मुनाफ पटेल को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक थे लेकिन उनकी माली हालत इस चीज को गंवारा नहीं करती थी। मुनाफ पटेल बेहद ही गरीब परिवार से आते हैं और जब उनके पिता को बेटे के इस सपने के बारे में पता चला तो उन्होंने बेटे को साफ कह दिया कि क्रिकेट छोड़कर मेरा काम में हाथ बंटाओ क्योंकि अब अकेले घर चलाना मेरे बस की बात नहीं है। जिसके चलते मुनाफ पटेल ने कम उम्र में ही एक मार्बल की फैक्टरी में काम करना शुरू कर दिया था।
मुनाफ पटेल मार्बल फैक्टरी में लेबर का काम करने लगे और मार्बर को उठाकर एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में रखते थे। मुनाफ पटेल को इस काम के लिए दिन के 35 रुपए दिहाड़ी मिलती थी। युवा मुनाफ का क्रिकेट के प्रति लगाव था लेकिन वो उस दिशा में आगे बढ़ नहीं पा रहे थे। उस वक्त मुनाफ पटेल का साथ युसूफ पठान ने दिया था।
युसूफ पठान ही वो इंसान थे जिन्होंने मुनाफ पटेल को क्रिकेट एसोसिएशन में इनरोल किया और 400 रुपए देकर उन्हें स्पोर्टस शूज दिलवाए। मुनाफ पटेल को दिल खोलकर युसूफ पठान की तारीफ करते हुए सुना जा चुका है। यहीं से मुनाफ पटेल की गाड़ी ने रफ्तार पकड़ी और वो बतौर प्रोफेशनल क्रिकेटर मैदान पर खेलने लगे।
