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अजिंक्य रहाणे की सफलता का रहस्य, बाकि खिलाड़ियों के मुकाबले अपनाया था यह तरीका

इस साल आईपीएल से पहले जहां, एक ओर खिलाड़ी सफेद गेंद से अभ्यास कर रहे थे तो वहीं, दूसरी ओर अजिंक्य रहाणे आस्ट्रेलिया दौरे के लिए लाल गेंद से अभ्यास कर रहे थे। रहाणे की इस कड़ी मेहनत का नतीजा

IANS News
By IANS News December 30, 2020 • 22:39 PM
Image of Cricketer Ajinkya Rahane
Image of Cricketer Ajinkya Rahane (Ajinkya Rahane (Image Source: Google))
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इस साल आईपीएल से पहले जहां, एक ओर खिलाड़ी सफेद गेंद से अभ्यास कर रहे थे तो वहीं, दूसरी ओर अजिंक्य रहाणे आस्ट्रेलिया दौरे के लिए लाल गेंद से अभ्यास कर रहे थे।

रहाणे की इस कड़ी मेहनत का नतीजा है कि उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में खेले गए दूसरे टेस्ट में 112 रनों की मैच जिताउ पारी खेली। उनकी इस पारी के दम पर भारत ने दूसरे टेस्ट में आस्ट्रेलिया को आठ विकेट से हराकर चार मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-1 की बराबरी हासिल कर ली है।

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पूर्व भारतीय बल्लेबाज प्रवीण आमरे बल्लेबाजी में रहाणे की मदद कर रहे हैं।

आमरे ने आईएएनएस से कहा, "कोविड की वजह से यह साल चुनौतीपूर्ण रहा। उचित अभ्यास सत्र कठिन था। साथ ही दौरा ऐसा था कि यूएई में आईपीएल और वहां से वह सीधे ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना था। हमने उन्हें आईपीएल के लिए नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए तैयार किया। हम जानते थे कि ऑस्ट्रेलियाई टीम जोरदार वापसी करेगी, खासकर शॉर्ट गेंदों के साथ। मीडिया भी वही दिखा रहा था।"

आमरे का कहना है कि रहाणे को लगा था कि ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले लाल गेंद के साथ अभ्यास करने का मौका नहीं मिलेगा, खासकर यूएई में जहां सफेद गेंद से क्रिकेट होगी इसलिए, उन्होंने करीब 10-12 दिन तक प्रतिदिन दो घंटे के दो सत्रों में कड़ी ट्रेनिंग की।

आमरे ने कहा, "कोविड के बावजूद उन्होंने वास्तव में कड़ी मेहनत की। खासकर, उन्होंने खुद अपने अभ्यास सत्रों का प्रबंधन किया। एक सत्र नहीं, लेकिन वह दिन में दो सत्र तक लाल गेंद से अभ्यास करते थे। वह सिर्फ उस तरह की चुनौतियों का सामना करते थे, जैसा कि उन्हें आस्ट्रेलिया में करना था। इसलिए, उन्होंने जाने से पहले खुद को अच्छी तरह से तैयार किया था। वह इस बात से अवगत थे कि उन्हें संयुक्त अरब अमीरात में लाल गेंद से काम करने का मौका नहीं मिलेगा, जहां केवल सफेद गेंद ही होगी। वह केवल आस्ट्रेलिया में ही लाल गेंद खेलेंगे।"

"उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उन्होंने खुद इसकी योजना बनाई और इस पर कड़ी मेहनत की। हम आम तौर पर एक सत्र के लिए अभ्यास करते हैं लेकिन इस बार उन्होंने सुनिश्चित किया कि वह दिन में दो सत्र तक लाल गेंद से अभ्यास करें।"

रहाणे ने दूसरे टेस्ट से पहले 27 टेस्ट तक केवल दो ही शतक लगाए थे। इनमें से एक एंटिगा में वेस्टइंडीज के खिलाफ और दूसरा रांची में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ। इस दौरान उनका 10 अर्धशतक था।

आमरे ने कहा, "वह उन चीजों पर काम करना चाहते थे, जो कि उन्होंने इंग्लैंड में 2014 में किया था, जहां उन्होंने लॉडर्स में 103 रनों की पारी खेली थी। वह अपनी सकारात्मक चीजों पर काम करना चाहते थे।"

2013 में जब रहाणे ने दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में पदार्पण किया था तो वह मैच उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। उन्होंने पहली पारी में सात और दूसरी पारी में केवल एक ही रन बनाया था।

आमरे ने आगे कहा, "उनका पदार्पण टेस्ट मैच बहुत बुरा था। वहां से उन्होंने एकजुट होकर काम करना शुरू किया क्योंकि मेरा मानना था कि उन्हें अगले स्तर पर जाना है। मुझे पता था कि वह वहां खेल सकते हैं। अगली चार सीरीज ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड दौरे पर थी। एक भारतीय बल्लेबाज के रूप में, आप हमेशा घर पर खेलने में सहज होते हैं, कम से कम अपने शुरूआती टेस्ट में। हम जानते थे कि चुनौती हमेशा से थी क्योंकि वह अपने पदार्पण में सही नहीं थे।"

उन्होंने कहा, "अजिंक्य जानते थे कि देश के लिए खेलने के लिए उन्हें काफी कुछ असाधारण करना होगा। मेरी भूमिका उन्हें तैयार करने की थी क्योंकि मैंने दक्षिण अफ्रीका में खेला था। मुझे उछाल विकेट और वहां परिस्थितियों के बारे में पता था। वास्तव में हर दौरे के लिए हमने अलग से तैयारी की थी।"


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