आपने नोट किया होगा कि इन दिनों पर्थ में इंटरनेशनल क्रिकेट मैच मशहूर डब्लूएसीए स्टेडियम में नहीं- ऑप्टस स्टेडियम में खेलते हैं। इसका मतलब ये नहीं कि उस पुराने स्टेडियम को नजरअंदाज कर दिया है- वहां 100 मिलियन डॉलर की लागत वाला डेवलपमेंट प्रोग्राम चल रहा है और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट एसोसिएशन का ऑफिस भी वहीं है। सिर्फ इस वजह से
नहीं, इन दिनों एक और खबर की वजह से ये ऐतिहासिक स्टेडियम चर्चा में है। इस डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत, एसोसिएशन ने फैसला लिया कि स्टेडियम कॉम्प्लेक्स में उन तीन लोगों की मूर्ति लगाएंगे जो वहां क्रिकेट में बदलाव लाने के लिए जिम्मेदार हैं- मशहूर तेज गेंदबाज डेनिस लिली पर अन्य दो नाम उन जो गॉस और फर्स्ट नेशन के खिलाड़ियों की एक टीम (1948) के, जो किसी को भी रास नहीं आए। इन दो नाम पर इतना हंगामा हो रहा है कि मूर्ति लगाने का काम रुका हुआ है और बोर्ड के 4 सदस्य (इनमें टेस्ट क्रिकेटर माइक वेलेटा और ग्रीम वुड भी) अब तक विरोध में इस्तीफा दे चुके हैं।
यहां ख़ास तौर पर बात करेंगे ज़ो गॉस की- कौन हैं ये और ऐसा क्या कर दिया कि स्टेडियम में उनकी मूर्ति लगे? जो एक महिला क्रिकेटर हैं- तेज गेंदबाज ऑलराउंडर, 1987 और 2000 के बीच ऑस्ट्रेलिया के लिए 12 टेस्ट और 65 वनडे इंटरनेशनल खेले (इनमें 4 वर्ल्ड कप भी)। रिकॉर्ड (टेस्ट : 280 रन एवं 20 विकेट, वनडे : 1099 रन 64 विकेट) से भी ज्यादा वे उस एक विकेट के लिए मशहूर हैं जिसकी गिनती उनके रिकॉर्ड में कहीं नहीं मिलेगी। उस विकेट ने, न सिर्फ जो को पूरी क्रिकेट की दुनिया में मशहूर कर दिया- कहा जाता है कि वह एक विकेट ऑस्ट्रेलिया में महिला क्रिकेट की लोकप्रियता का टर्निंग पॉइंट बन गया। सवाल उठता है- ऐसा क्या कर दिया था जो ने?