BCCI ने आईसीसी के नए संविधान का किया कड़ा विरोध
नई दिल्ली, 20 मार्च (CRICKETNMORE)| इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) द्वारा अपने संविधान में प्रस्तावित बदलावों को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल जौहरी ने 'अस्पष्ट' बताया है। उन्होंने कई मुद्दों पर भारतीय बोर्ड की आपत्तियां
नई दिल्ली, 20 मार्च (CRICKETNMORE)| इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) द्वारा अपने संविधान में प्रस्तावित बदलावों को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल जौहरी ने 'अस्पष्ट' बताया है। उन्होंने कई मुद्दों पर भारतीय बोर्ड की आपत्तियां दर्ज कराई हैं। जौहरी ने आईसीसी में भारतीय बोर्ड को ज्यादा महत्व देने की मांग की है।
वेबसाइट ईएसपीएनक्रिकइंफो के मुताबिक, जौहरी ने रविवार को आईसीसी को भेजे अपने मेल में लिखा है कि नया संविधान आईसीसी के व्यवहार को बदल देगा और उसके सदस्यों की स्वायत्तता पर बुरा प्रभाव डालेगा।
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जौहरी ने आईसीसी के मुख्य संचालन अधिकारी इयान हिग्गिंस को लिखा है, "आईसीसी का नया प्रस्तावित संविधान आईसीसी को सदस्यों के एक संगठन से पूरी तरह से राष्ट्रीय नियामक में बदल देगा।"
उन्होंने कहा, "यह आईसीसी के व्यवहार में मौलिक बदलाव होगा जो उसके सदस्यों की स्वायत्तता को नुकसान पहुंचाएगा।"
उन्होंने लिखा, "आईसीसी द्वारा कई प्रस्तावित बदलाव अस्पष्ट हैं। बदलावों का उद्देश्य स्पष्टता और पारदर्शिता लाना होता है। यह जरूरी है कि प्रस्तावित बदलावों में स्पष्टता हो ताकि सदस्य अपनी स्थिति को समझ सकें।"
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भारतीय बोर्ड की आपत्तियों को उठाते हुए जौहरी ने बीसीसीआई के मुख्य मुद्दों को भी गिनाया। इसमें उन्होंने आईसीसी चैयरमेन का वोट खत्म करना (जो पहले टाई ब्रेकर के रूप में उपयोग में लिया जाता था), सदस्य समिति को स्वतंत्र तथा आईसीसी के बाहर करना और बोर्ड में संबद्ध सदस्यों की संख्या तीन से एक करना शामिल है।
बीसीसीआई ने साथ ही प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रतिनिधि विक्रम लिमिए के आईसीसी के वित्तीय ढांचे में बदलाव के प्रस्ताव को मनमानी बताने और इससे असहमत रहने के कदम का समर्थन किया है।
उन्होंने लिखा है, "आईसीसी बिना किसी जांच और तकनीकी विश्लेषण के मौजूदा वित्तीय ढांचे में बदलाव करना चाहती है।"
उन्होंने लिखा, "यह एक बुनियादी बात है कि किसी भी बदलाव को लागू करने से पहले उसके बारे में सही जानकारी एकत्रित की जाए, प्राथमिकताएं तय की जाएं और उचित सिद्धांतों के आधार पर सही पद्धति को लागू किया जाए। मौजूदा वित्तीय ढांचे में बिना किसी उपरोक्त प्रयास के बदलाव करना मनमानी होगी।"