सीमित क्षमता और टीम चयन में कुछ खामियां भारतीय टीम को क्रिकेट के एपीसेंटर कहे जाने वाली जगह में भारी पड़ गया और उसे पारी तथा 76 रनों से इंग्लैंड के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। अपने प्रीमियर स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन जो विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में मदद नहीं मिलने वाली पिच पर भी प्रभावशाली रहे थे उनको लगातार तीन टेस्ट मैचों में बाहर रखना समझ के परे है।
शार्दूल ठाकुर को चोट के कारण दूसरे टेस्ट से बाहर रखना समझने लायक है। उन्हें तीसरे मैच के लिए टीम में लेना चाहिए था, क्योंकि वह भारतीय टीम में एकमात्र नेचुरल स्विंग गेंदबाज हैं और हवा में गति अक्सर अंग्रेजी परिस्थितियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इशांत शर्मा, जिन्हें ठाकुर की जगह लाया गया इन दिनों लगातार टेस्ट मैच खेलने के लिए खास फिट नहीं है, इस सीरीज में वह अच्छा नहीं कर सके हैं। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल और मौजूदा सीरीज के पहले दो टेस्ट मैचों के बाद भी भारतीय चयनकर्ता इस बात को नहीं समझ सके हैं कि वह मददगार वातावरण में सफलता हासिल करने में सक्षम नहीं है।