Cricket History - भारत का इंग्लैंड दौरा 1946
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हवाई जहाज का साधन आने से यात्रा आसान हो गई और 1946 के इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम पहली बार उड़ान भरकर एशिया से बाहर गई। यह एक नाजुक पल था क्योंकी भारत में राजनीति
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हवाई जहाज का साधन आने से यात्रा आसान हो गई और 1946 के इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम पहली बार उड़ान भरकर एशिया से बाहर गई। यह एक नाजुक पल था क्योंकी भारत में राजनीति अपने उफान पर थी जिसके कारण सभी चीजें काफी अव्यस्थित थी।
यह दौरा भारत की आजादी से लगभग एक साल पहले हुआ था, लेकिन इसके बावजूद इस दौरे पर किसी चीज को लेकर परेशानी नहीं आई। इस दौरान भारत के कप्तान 'पटौदी के नवाब' इफ्तिखार अली खान थे जिन्होंने 1930 के करीब इंग्लैंड के लिए पहले 3 टेस्ट मैचों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
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इस दौरे पर भारत के लिए वीनू मांकड़, विजय हजारे और रुसी मोदी ने अपना टेस्ट डेब्यू किया और इंग्लैंड के लिए एलेक बेडसर और गोडफ्रे इवांस ने टेस्ट क्रिकेट में कदम रखा।
दिलचस्प बात यह है कि भारत के लिए अब्दुल हाफीज करदार और गुल मोहम्मद ने अपना टेस्ट डेब्यू किया जो बाद में भारत और पाकिस्तान के बंटवारें के बाद पाकिस्तान के लिए खेले। आगे चलकर करदार पाकिस्तान के पहले कप्तान बने।
गर्मियों में हुए इस सीरीज में भारत ने 11 मैच जीते और 4 में उन्हें हार मिली लेकिन इस दौरान उन्होंने तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में 0-1 से हार मिली। भारत को यह हार लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर हुए सीरीज के पहले मैच में मिली।
ओल्ड ट्रेफोर्ड में खेला गया सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच आखिरी गेंद तक गया। इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ 3 घंटे में ही 278 रन बना लिए। बेडसर ने भारतीय मिडिल ऑर्डर को तहस-नहस कर दिया। जब मैच में 13 मिनट बचे हुए थे तब भारत ने अपना 9वां विकेट खो दिया लेकिन रंगा सोहनी और दत्ता राम हिंडेलकर की मदद से भारत यह मैच ड्रॉ करवाने में कामयाब रहा।
विजय मर्चेन्ट इस दौरान सबसे दमदार बल्लेबाज के रूप में नजर आए और उन्होंने तब अपनी टीम के लिए 74.53 की औसत से कुल 2,385 रन बनाए थे। तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में उन्होंने 49 की औसत से कुल 245 रन बनाए और वो दोनों टीमों में से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में सबसे आगे थे।