Cricket Tales: भारत की टीम वेस्टइंडीज टूर पर है। टेस्ट सीरीज के लिए रोहित शर्मा कप्तान और अजिंक्य रहाणे उप कप्तान। इनमें से रहाणे को उप कप्तान बनाने के फैसले की बड़ी चर्चा है और ये सेलेक्टर्स की सोच की तरफ साफ़ इशारा है- वे भविष्य की तैयारी में, किसी युवा खिलाड़ी को अनुभव दिलाने के इतने अच्छे मौके का फायदा नहीं उठा पाए। वेस्टइंडीज टूर और उप कप्तान के इस मुद्दे को एक-साथ देखें तो सीधे 1962 का वेस्टइंडीज टूर याद आता है। क्या हुआ था तब?
1961-62 में टेड डेक्सटर की इंग्लिश टीम के विरुद्ध भारत ने अपनी पिचों पर जो क्रिकेट खेली उसकी इंग्लैंड में भी बड़ी तारीफ़ हुई थी- टेस्ट सीरीज को भारत ने 2-0 से जीता था।तब भी वह भारतीय क्रिकेट में बदलाव का दौर था- सीनियर थे टीम में पर साथ-साथ बेहतर युवा खिलाड़ी भी आ रहे थे। इसी टेस्ट सीरीज में, मंसूर अली खान पटौदी ने टेस्ट डेब्यू किया था। सीरीज के सफल कप्तान, नारी कांट्रेक्टर को ही वेस्टइंडीज के अगले टूर के लिए कप्तान बनाए रखना कोई मुश्किल मुद्दा नहीं था- सवाल था कि उप कप्तान किसे बनाएं? ठीक आज की तरह से ये सवाल सबसे बड़ी चर्चा था।
यहां नाम आता है नवाब पटौदी का। 40 टेस्ट में भारत के कप्तान। वही, जो सिर्फ एक आंख से देखने के बावजूद अपने समय में सबसे बेहतर बल्लेबाज में से एक गिने गए। जब वे एक कार एक्सीडेंट में दाहिनी आंख खोने के कुछ महीने बाद क्रिकेट में लौटे तो सेलेक्टर्स को उनमें ऐसी टेलेंट नज़र आई कि नेट्स में चार महीने की प्रेक्टिस के बाद, हैदराबाद में टेड डेक्सटर की एमसीसी टीम के विरुद्ध बोर्ड प्रेसीडेंट इलेवन का कप्तान बना दिया। कप्तानी तो वे इससे पहले भी कर चुके थे- इंग्लैंड में स्कूल इलेवन और बाद में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की। एक महीने बाद, दिसंबर 1961 में, दिल्ली में इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट डेब्यू और पहली चार टेस्ट पारियों में स्कोर 13, 64, 32 और 103 थे।