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सौरव गांगुली ने जानी दुश्मन ग्रेग चैपल को किया टीचर-डे पर विश

सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल के बीच विवाद किसी से छिपा नहीं है। इस बीच टीचर डे के मौके पर सौरव गांगुली ने चैपल को विश किया है।

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Cricket Image for Former Indian Captain Sourav Ganguly Wishes Greg Chappell On Teachers Day
Cricket Image for Former Indian Captain Sourav Ganguly Wishes Greg Chappell On Teachers Day (Sourav Ganguly and Greg Chappell)
Prabhat  Sharma
By Prabhat Sharma
Sep 06, 2022 • 05:00 PM

टीचर डे के मौके पर सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने अपनी लाइफ के सबसे बड़े टीचर को याद किया है। सौरव गांगुली ने कहा, 'मेरे सभी कोच को जॉन राइट, ग्रेग चैपल गैरी कस्टर्न सभी लोगों को। आज मैं आप लोगों को अपने फेवरेट टीचर के बारे में बताऊंगा। बहुत समय से मैं ये वीडियो करने की सोच रहा था लेकिन, अब जाकर मुझे टाइम मिला है। 1992 से लेकर आजतक एक चीज ने मेरा हमेशा साथ दिया वो है फेलियर।' 

Prabhat  Sharma
By Prabhat Sharma
September 06, 2022 • 05:00 PM

सौरव गांगुली ने आगे कहा, '1992 से मेरी कहानी शुरू होती है। जब मैं अपना पहला दौरा खेलने ऑस्ट्रेलिया गया था। ये मानना मेरे लिए अनरियल था कि ऐसा मेरे साथ हो रहा है। मैं चाहता था कि जैसे सचिन ने उस वक्त अपना नाम कमाया था वैसे मैं भी अपना नाम बनाऊं। लेकिन,मैं फेल हो गया मैंने सबको निराश किया। उसके बाद मैं टीम से ड्रॉप हो गया।'

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सौरव गांगुली ने कहा, 'पहले मैच के बाद मैं ड्रॉप हो गया। मुझे नहीं पता था कि आगे मुझे खेलने का मौका मिलेगा या नहीं। लेकिन, बस मेरे दिमाग में एकबात थी कि मेरी कहानी ऐसे नहीं खत्म हो सकती। मैं पहले से ज्यादा मेहनत करने लगा। सपना था इंडिया के लिए फिर से खेलूं। फिर से इंडिया की जर्सी पहनूं। उन 4 साल के फेलियर ने मुझे बहुत कुछ सुनाया और क्रिकेटर बनाया।'

सौरव गांगुली ने बोला, 'इसके बाद 1996 में जब मैंने लॉर्ड्स में अपने डेब्यू टेस्ट में शतक बनाया तो वो इन्हीं मेहनत का परिणाम था। इसके बाद मैंने हर मैच ऐसा खेलना शुरू किया जैसे ये मेरा लास्ट मैच हो। 2002 में नेटवेस्ट सीरीज के दौरान जो मैंने किया वो सबको याद होगा। बहुत कम लोग कह पाते हैं कि वो अपने सपने को जी पाएं और मैंने ऐसा किया।'

सौरव गांगुली ने कहा, '2003 विश्वकप के दौरान हम एक के बाद एक टीम को हरा रहे थे। हमें उम्मीद थी कि हम जीतेंगे। लेकिन, हर हार गए। फाइनल के बाद हमें लग रहा था कि हम थोड़ा और मेहनत करते तो शायद जीत जाते। इस हार के बाद भी मैं नहीं टूटा। हमारी अगली सीरीज ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ थी। मैंने ठान ली कि हम ऑस्ट्रेलिया में नहीं हारेंगे।'

सौरव गांगुली ने आगे कहा, '2007 विश्वकप हमारे लिए बहुत अहम था। उस वक्त हमारे पास बहुत कोच के नाम आए लेकिन, हमनें ग्रेग चैपल को चुना। हमें वो विश्वकप जीतना ही था। लेकिन, तब तक मैं कप्तानी छोड़ चुका था या यूं कह लें कि मुझसे कप्तानी छुड़वाई गई थी। उस वक्त जो भी मेरे साथ हुआ उसने मुझे एक बेहतर इंसान बनाया।'

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सौरव गांगुली ने कहा, 'मेरे साथ जो भी हुआ उसने मुझे मजबूत किया। मैं 19 साल की उम्र में दोबारा चला गया। मैं टीम से ड्रॉप हुआ और फिर वापस आया। मैं वापस आया एक बेहतर खिलाड़ी बनकर उस साल मैंने 1200 से ज्यादा टेस्ट रन बनाए। मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि आपकी लाइफ में कई ऐसे पल आएंगे जब आप टूटेंगे लेकिन, हर बार आपको उठ कर खड़ा होना होगा। हमें याद करना होगा सबसे बड़े टीचर फेलियर को।'

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