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'आई लव यू सो मच जानू', हसीन जहां ने सोशल मीडिया पर फिर से रोया शमी को लेकर रोना

मोहम्मद शमी से अलग हो चुकी उनकी पत्नी हसीन जहां ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट शेयर किया है जिसके कैप्शन में उन्होंने काफी कुछ लिखा है।

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'आई लव यू सो मच जानू', हसीन जहां ने सोशल मीडिया पर फिर से रोया शमी को लेकर रोना
'आई लव यू सो मच जानू', हसीन जहां ने सोशल मीडिया पर फिर से रोया शमी को लेकर रोना (Image Source: Google)
Shubham Yadav
By Shubham Yadav
Jul 05, 2025 • 04:44 PM

भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी इन दिनों अपनी निजी जिंदगी को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें शमी को अपनी पत्नी हसीन जहां और बेटी आयरा के लिए हर महीने गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि शमी अपनी पत्नी को 1.50 लाख रुपये और बेटी को 2.50 लाख रुपये प्रतिमाह अदा करें।

Shubham Yadav
By Shubham Yadav
July 05, 2025 • 04:44 PM

ये भुगतान पिछले सात सालों से लागू माना जाएगा। साथ ही निचली अदालत को छह माह के भीतर इस मामले का अंतिम निपटारा करने का निर्देश भी दिया गया है। ये मामला ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण’ कानून के तहत दर्ज है। फैसले के बाद हसीन जहां ने सोशल मीडिया पर शमी के खिलाफ एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने क्रिकेटर को "मतलबी" और "अहंकारी" जैसे शब्दों से संबोधित किया।

अपने इंस्टाग्राम पोस्ट की शुरुआत उन्होंने मजाकिया अंदाज़ में "आई लव यू सो मच जानू" लिखकर की, लेकिन आगे उन्होंने शमी पर जमकर निशाना साधा। हसीन जहां ने शमी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति जो कभी कुछ नहीं था और अचानक सब कुछ पा जाता है, तो उसके भीतर घमंड और गलत सोच जन्म लेती है। उन्होंने ये भी कहा कि शमी का अहंकार इस कदर बढ़ चुका है कि उन्होंने अब तक न तो अपनी पत्नी और न ही अपनी बेटी से कोई संपर्क साधा है।

हसीन जहां ने ये भी दावा किया कि शमी ने अपनी बेटी से पिछली बार केवल कोर्ट के आदेश और डर के चलते ही मुलाकात की थी। गौरतलब है कि इससे पहले जिला अदालत ने शमी को पत्नी के लिए 50,000 रुपये और बेटी के लिए 80,000 रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ हसीन जहां ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय कुमार मुखर्जी ने मंगलवार को पारित अपने फैसले में कहा कि दोनों के लिए आर्थिक स्थिरता बनाए रखने हेतु यह अंतरिम गुजारा भत्ता आवश्यक और न्यायसंगत है।

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