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कैसे एक ट्रिपल सेंचुरी करुण नायर का करियर निगल गई? 25 साल की उम्र में ठोके थे 303 रन

करुण नायर ने इंग्लैंड के खिलाफ महज 25 साल की उम्र में 303 रनों की पारी खेली थी। करुण नायर ने 6 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उनके बल्ले से 62.33 की औसत से रन निकले हैं।

Prabhat  Sharma
By Prabhat Sharma August 19, 2022 • 14:50 PM
Cricket Image for How A Triple Century Devoured Karun Nair Career
Cricket Image for How A Triple Century Devoured Karun Nair Career (Karun Nair 300)
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क्या कभी आपने ऐसा सुना है कि किसी क्रिकेटर ने अपनी टीम के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में तीहरा शतक मारा हो लेकिन, बावजूद इसके उसे टीम से ड्रॉप किया गया हो और दोबारा कभी उसकी वापसी ना हुई है। हम बात कर रहे हैं टीम इंडिया के मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज करुण नायर (Karun Nair) के बारे में जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 303 रनों की पारी खेली थी। 

तारीख थी 19 दिसंबर 2016 करुण नायर चेन्नई में अपना तीसरा टेस्ट मैच खेलने मैदान पर उतरे थे। करुण नायर को चोटिल अजिंक्य रहाणे की जगह प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया था। करुण नायर के होने ना होने से टीम को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। बावजूद इसके उस मैच में 25 साल के करुण नायर ने करिश्मा कर दिया और वीरेंद्र सहवाग के बाद टेस्ट क्रिकेट में तीहरा शतक लगाने वाले दूसरे भारतीय बने। 

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इस कारनामे के बाद करुण नायर इतिहास के ऐसे तीसरे बल्लेबाज बन गए थे जिन्होंने अपने करियर के पहले शतक को तीहरे शतक में बदल दिया था। इसके बाद फरवरी 2017 में भारत ने अपना अगला टेस्ट मैच खेला जिसमें रहाणे ने टीम में वापसी की और करुण नायर को टीम से ड्रॉप कर दिया गया था। इस बात की कल्पना करना भी अटपटा लगता है कि कैसे 300 रन बनाने वाले खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन से ड्रॉप किया जा सकता है।

बांग्लादेश के खिलाफ उस पूरी सीरीज में नायर को प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं मिला वहीं अगली टेस्ट सीरीज जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ थी उसमें भी करुण नायर बेंच ही गर्म कर रहे थे। करुण नायर को दूसरे टेस्ट मैच में टीम में शामिल किया गया लेकिन उस मैच की दोनों पारी में नायर महज 26 और 0 के स्कोर पर आउट हो गए।

इसके बाद अगले  दो टेस्ट मैचों में भी नायर को प्लेइंग इलेवन में मौका मिला लेकिन, वहां पर भी वो फ्लॉप साबित हुए। इसके बाद नायर टीम के स्कवॉड में तो कई बार शामिल हुए लेकिन, कभी भी उन्हें प्लेइंग इलेवन में खेलने का मौका नहीं मिला। इस पूरे मामले को अगर गौर से समझें तो पाएंगे कि 303 रनों की पारी ही थी जिन्होंने उम्मीदें बढ़ा दी थीं।

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वरना ऐसा कम ही देखा गया है कि एक या दो खराब टेस्ट मैच के बाद किसी युवा खिलाड़ी को टीम में मौका ना मिला हो। उस वक्त उनको सिलेक्ट ना करने के पीछे राजनीति से ज्यादा उनकी 300  रनों की पारी ही कारण नजर आती है क्योंकि उस वक्त कहा गया था कि नायर नेट्स में उस तरह की बैटिंग नहीं कर पा रहे हैं जैसा उस दिन इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने की थी।


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