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IND vs AUS: विजय दहिया का बयान, आम टेस्ट मैचों से बहुत अलग डे-नाइट टेस्ट मुकाबला

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आस्ट्रेलिया को दिन-रात प्रारूप टेस्ट मैच खेलने का सबसे ज्यादा अनुभव है। उसने सात पिंक बॉल टेस्ट खेले हैं और सभी में जीत हासिल की है। उससे उलट भारत के पास सिर्फ एक दिन-रात टेस्ट मैच खेलने

IANS News
By IANS News December 12, 2020 • 21:19 PM
IND vs AUS: Day-Night test has a big difference than Normal Test Matches
IND vs AUS: Day-Night test has a big difference than Normal Test Matches (Indian Test Team)
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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आस्ट्रेलिया को दिन-रात प्रारूप टेस्ट मैच खेलने का सबसे ज्यादा अनुभव है। उसने सात पिंक बॉल टेस्ट खेले हैं और सभी में जीत हासिल की है। उससे उलट भारत के पास सिर्फ एक दिन-रात टेस्ट मैच खेलने का अनुभव है जो उसने पिछले साल कोलकाता के ईडन गार्डन्स में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था।

बीसीसीआई पहले तो दिन-रात टेस्ट मैच खेलने से कतरा रही थी। पिछले आस्ट्रेलिया दौरे पर भी उसने इस प्रारूप का टेस्ट मैच खेलने से मना कर दिया था।

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जब भारत ने अपना पहला पिंक बॉल टेस्ट खेला तब तक आस्ट्रेलिया को इस प्रारूप में खेलते हुए चार साल हो गए थे।

आस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ ने कुछ दिन पहले कहा था कि उनके पास दिन-रात प्रारूप में खेलने का अनुभव भारत की तुलना में ज्यादा है जो आने वाली सीरीज में उसके लिए फायदेमंद रहेगा।

अब भारत को एडिलेड ओवल पर अपना दूसरा दिन-रात प्रारूप का टेस्ट मैच खेलना है। इस मैदान पर आस्ट्रेलिया ने चार दिन-रात प्रारूप के टेस्ट मैच खेले हैं और सभी में जीत हासिल की है।

भारत के लिए यह एक चिंता का विषय हो सकता है।

भारत ने अपने घरेलू क्रिकेट में दलीप ट्रॉफी में दिन-रात प्रारूप में गुलाबी गेंद से खेला है लेकिन कुछ समय बाद वह दोबारा लाल गेंद पर लौट आई थी। वह इस समय सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) में तीन दिवसीय अभ्यास मैच खेल रही है और एक अच्छी बात यह है कि यह भी दिन-रात प्रारूप में खेला जा रहा है।

मयंक अग्रवाल, चेतेश्वर पुजारा, जसप्रीत बुमराह, रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा, ऋषभ पंत, मोहम्मद सिराज, नवदीप सैनी और पृथ्वी शॉ उस दलीप ट्रॉफी का हिस्सा थे जो दिन-रात प्रारूप मे खेली गई थी।

एक कॉमेंटेटर के तौर पर उस दलीप ट्रॉफी को कवर करने वाले भारत के पूर्व विकेटकीपर विजय दहिया ने हालांकि कहा है कि ज्यादा टेस्ट खेलने का अनुभव ज्यादा काम नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि भारत के पास अभ्यास और घरेलू स्तर पर गुलाबी गेंद से खेलने का अच्छा अनुभव है।

दहिया ने आईएएनएस से कहा, "मुझे नहीं लगता कि ज्यादा अंतर आएगा। यह इस पर निर्भर करता है कि आप कितनी जल्दी स्थिति से तालमेल बैठाते हो। भारतीय खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेशक एक दिन-रात प्रारूप का टेस्ट मैच खेला हो, लेकिन ऐसा नहीं है कि वह कभी गुलाबी गेंद से नहीं खेले। हमने दलीप ट्रॉफी के तीन सीजन में गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया है। आप गुलाबी गेंद से अभ्यास भी कर रहे हो। आप जानते हो कि मैच किस समय खेला जाता है। आप कह सकते हैं कि वह हमसे ज्यादा खेले हैं, लेकिन अभ्यास मैच में जो हुआ, इसने बताया है कि हम अच्छे से इसे समझ सके हैं।"

दहिया वो खिलाड़ी हैं जिन्होंने 1996-97 में रणजी ट्रॉफी फाइनल दिन-रात प्रारूप में खेला था। उन्होंने कहा कि यह प्रारूप काफी अलग है।

उन्होंने कहा, "यह अलग कॉन्सेप्ट है। समय अलग होता है। आप टेस्ट मैच खेलने के लिए सुबह उठते हैं। आपको तैयारी करने का समय कम मिलता है। आम टेस्ट मैच में होता है कि आप जितनी जल्दी शुरू करेंगे उतनी जल्दी आप मैच में होंगे। आप वापस जाएंगे, रिकवर करेंगे और अगले दिन फिर मैदान पर होंगे। आपको लगता है कि सुबह जल्दी आती है।"

दहिया ने कहा, "लेकिन जब आप दिन-रात प्रारूप में खेलते हैं तो यह काफी अलग होता है। यहां आपको सोचने का ज्यादा समय मिलता है। आप सुबह में काफी कुछ करते हो। कई बार खेलने से पहले जब आपके पास ज्यादा समय होता है जो कई बार अच्छा नहीं रहता है।"


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