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इरफान पठान ने जम्मू-कश्मीर के क्रिकेटर्स के जीवन को सामान्य बनाया

कोलकाता, 8 सितम्बर | जम्मू एवं कश्मीर के खिलाड़ी इन दिनों बड़ौदा के मोती बाग मैदान में आगामी घरेलू सीजन की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन कुछ समय पहले तक उन्हें यह भी पता नहीं था कि भविष्य में वह

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Irfan Pathan
Irfan Pathan (Twitter)
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Sep 08, 2019 • 10:11 PM

कोलकाता, 8 सितम्बर | जम्मू एवं कश्मीर के खिलाड़ी इन दिनों बड़ौदा के मोती बाग मैदान में आगामी घरेलू सीजन की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन कुछ समय पहले तक उन्हें यह भी पता नहीं था कि भविष्य में वह क्या करेंगे।

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
September 08, 2019 • 10:11 PM

सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद खिलाड़ियों को राज्य से बाहर जाने के लिए कहा गया। अगस्त से लेकर सितंबर की शुरुआत तक कोई हलचल नहीं हुई और खिलाड़ियों के पास रहने की भी जगह नहीं थी, ऐसे समय में उनके मेंटर और पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज इरफान पठान ने सीईओ आशिक अली बुखारी सहित जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ के अधिकारियों से बात की और टीवी पर विज्ञापन देने की योजना बनाई। इसके जरिए कश्मीरी खिलाड़ियों को जम्मू में जेकेसीए कार्यालय पर रिपोर्ट करने के लिए कहा गया।

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इरफान ने आईएएनएस से कहा, "अगस्त के अंत में हमने विज्ञापन जारी करने का निर्णय किया और यह योजना काम कर गई। फिर हमने उन्हें बड़ौदा लाने और विजय हजारे ट्रॉफी से पहले एक कैम्प आयोजित करने का फैसला किया।"

उन्होंने कहा, "हमने जून के मध्य में कैम्प शुरू किया था और अच्छी प्रगति की थी। जब अगस्त की शुरुआत में कैम्प लगाया गया तो मैच खेलने और ट्रेनिंग करने का समय था। हम जानते हैं कि हम पीछे चल रहे हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने के लिए एक रास्ता खोजने की जरूरत थी कि लड़के क्रिकेट खेलने के लिए अच्छे से तैयार रहें।

जम्मू में केवल एक मैदान है और वहां अभ्यास करना असंभव हो गया क्योंकि अन्य आयु वर्ग के खिलाड़ी भी वहीं ट्रेनिंग करते हैं। आमतौर पर टीम नवंबर की शुरुआत तक श्रीनगर में प्रशिक्षण लेती है और फिर सर्दियों के दौरान जम्मू में स्थानांतरित हो जाती है।

जम्मू-कश्मीर क्रिकेट टीम के मेंटर इरफान ने कहा, "यह एक आदर्श स्थिति नहीं है। हम थोड़े कम तैयार हैं लेकिन हम पूरी कोशिश करेंगे। हमें मौजूदा स्थिति के बारे में सोचने की जरूरत है। हमें क्रिकेट खेलने के बारे में सोचने की जरूरत है। यह शिविर अधिकतम दो सप्ताह तक चलेगा।"

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