रणजी ट्रॉफी 2019-20 क्वार्टर फाइनल में नहीं होगा इस तकनीक का इस्तेमाल,सबा करीम ने की पुष्टि
नई दिल्ली, 18 फरवरी| बीसीसीआई ने कहा था कि रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट दौर में निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) का उपयोग किया जाएगा, लेकिन अब जब देश के सबसे बड़े टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल करीब है तब पता चला है
नई दिल्ली, 18 फरवरी| बीसीसीआई ने कहा था कि रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट दौर में निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) का उपयोग किया जाएगा, लेकिन अब जब देश के सबसे बड़े टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल करीब है तब पता चला है कि इन मैचों में डीआरएस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
क्रिकेट संचालन के महा प्रबंधक सबा करीम हालांकि इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि डीआरएस के न होने से रणजी ट्रॉफी के आने वाले मैच में अंपायरिंग के स्तर पर असर नहीं पड़ेगा।
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करीम ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि तकनीक के इस्तेमाल का जब सवाल आता है तो समानता एक बड़ी चीज है और इसलिए डीआरएस का इस्तेमाल सेमीफाइनल से किया जाएगा।
उन्होंने कहा, "हमने कहा था कि हम डीआरएस को इस्तेमाल करने की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं जो हमने किया। हम सभी टीमों में समानता लाना चाहते हैं। इसलिए हम इसे सेमीफाइनल से उपयोग में लाना चाहते हैं। क्वार्टर फाइनल में सभी मैच टेलीविजन पर दिखाए नहीं जाएंगे। इसलिए हम डीआरएस ला नहीं सकते थे।"
रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मैचों में सौराष्ट्र का सामना आंध्रप्रदेश से अंगोल में होगा। वहीं कर्नाटक का सामना मेजबान जम्मू एवं कश्मीर से जम्मू में होगा। कटक में ओडिश और बंगाल का मैच होगा। वहीं वाल्साड में गुजरात का सामना गोवा से होगा।
करीम ने साथ ही कहा कि बीसीसीआई अंपायरिंग के स्तर को सुधारने का हर संभव प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा, "हमारे पास कुछ अच्छे अंपायर हैं, जो इन मैचों में काम करेंगे। अच्छी गुणवत्ता लाना एक सतत प्रक्रिया है जिसमें समय लगेगा। लेकिन अंपायरिंग का स्तर निश्चित तौर पर सुधरा है। हम मैच रेफरी की रिपोर्ट पर जाते हैं और सभी अंपायरों का मूल्यांकन होता है और हमने उन्हें अलग-अलग ग्रेड में रखा है।"
पूर्व विकेटकीपर ने कहा, "हमारे सामने जब भी कोई मुद्दा आता है हम उसे देखते हैं लेकिन बीसीसीआई की तरफ से एक शिक्षा प्रणाली लागू की गई है और हम अंपायरिंग का स्तर सुधारने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं।"