राहुल द्रविड़ Since 1996, राहुल द्रविड़ या राहुल डेविड? 'द वॉल' ने सुनाया दिलचस्प किस्सा
टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ ने अपने स्कूल के दिनों को लेकर एक मजेदार किस्सा शेयर किया है। राहुल द्रविड़ ने अभिनव बिंद्रा के साथ मजेदार बातचीत की है।
टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) ने अपने स्कूली दिनों को यादकर एक मजेदार किस्सा शेयर किया है। ओलंपिक्स चैंपियन निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के 'इन द ज़ोन' पॉडकास्ट में राहुल द्रविड़ ने मजेदार किस्सा शेयर करते हुए बताया कि कैसे एक बार न्यूज़पेपर में उनका नाम गलत छपा था और तब उन्हें महसूस हुआ कि लोग अभी भी उन्हें नहीं जानते हैं।
अभिनव बिंद्रा ने राहुल द्रविड़ से न्यूज़पेपर में उनका नाम द्रविड़ की जगह डेविड छापा गया था इसपर सवाल किया तब राहुल ने जवाब देते हुए कहा, 'शायद अखबार के एडिटर को लगा कि ये एक स्पेलिंग मिस्टेक है और द्रविड़ कोई नाम नहीं हो सकता इसलिए डेविड लिख दिया गया होगा। मुझे लगता है कि ये मेरे लिए अच्छा सबक था।'
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राहुल द्रविड़ ने आगे कहा, 'मैं भले ही स्कूल क्रिकेट में सेंचुरी जड़ने को लेकर काफी खुश और एक्साइटेड था। लेकिन, अभी भी मुझे लोग अच्छे से नहीं जानते थे। उन्हें तो मेरा नाम तक ठीक से पता तक नहीं है। वो मेरे नाम के सही होने तक पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए इसे बदल दिया गया था।'
Rahul ‘David’ recounts a crucial lesson he learnt after scoring his 1st century in school cricket. Tune in to my podcast ‘In the Zone’ to dissect the mind of THE gentleman from the gentleman’s game.@under25universe https://t.co/A9iUknxEMu #InTheZoneWithAB #Under25Original pic.twitter.com/v2CAvNAPRB
— Abhinav A. Bindra OLY (@Abhinav_Bindra) July 25, 2022
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एक किताब ने बदल दी थी सोच: राहुल द्रविड़ ने अभिनव बिंद्रा की तारीफ करते हुए आगे कहा, 'साल 2008 में अपने करियर के बुरे दौर से गुजर रहा था। रन बन नहीं रहे थे और उम्र भी बढ़ती जा रही थी। उसी दौरान मैंने अभिनव बिंद्रा को बीजिंग में ओलंपिक्स गोल्ड जीतते देखा। जिसने मुझे जोश से भर दिया। मैंने अभिनव की ऑटोबायोग्राफी पढ़ी और मेरा मानना है कि जो शख्स एक्सिलेंस की तलाश में है, उसे अभिनव की यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए। इसने मुझे काफी प्रेरित किया था।'