संयोग से इंग्लैंड के भूतपूर्व कप्तान रे इलिंगवर्थ का देहांत उन दिनों में हुआ जब जो रुट की इंग्लिश टीम ऑस्ट्रेलिया में एशेज में इस सीरीज के लगातार तीसरे टेस्ट में हार की तरफ बढ़ रही थी। अब पता चला कि ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट जीतना कितना मुश्किल होता है पर रे इलिंगवर्थ ने तो 1970-71 में ऑस्ट्रेलिया में इंग्लैंड को 2-0 से एशेज जीत दिलाई। ऑस्ट्रेलिया के पास तब टॉप टीम थी।
वैसे तो इलिंगवर्थ को उनके निधन के बाद 1958 और 1973 के बीच 61 टेस्ट के करियर (23.24 औसत से 1836 रन और 31.20 पर 122 विकेट) तथा 31 टेस्ट में 12 जीत के लिए याद किया गया पर सच ये है कि ऑस्ट्रेलिया में मुश्किलों के बीच एशेज जीतने का मुकाबला उनकी और कोई उपलब्धि नहीं करती। इसी सीरीज की एक बात ऐसी थी जिसे वे 50 साल बीतने के बावजूद नहीं भूले और अपने निधन से कुछ दिन पहले भी उसका जिक्र किया था।
मौजूदा इंग्लिश क्रिकेटर सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने से जिन वजह से कतरा रहे थे उनमें से एक ये भी थी कि हो सकता है क्वारंटीन के कारण कुछ दिन के लिए परिवार से दूर रहना पड़े। इसके मुकाबले इलिंगवर्थ की टीम का ऑस्ट्रेलिया टूर 6 महीने से भी ज्यादा का था और क्रिकेटर अपने परिवार से दूर रहे थे। एक ऐसी सीरीज में जिसमें अजीब किस्म की मुश्किलें सामने थीं, उसमें अकेलेपन में खेलना और जीतना आसान नहीं था। मुश्किलें भी ऐसी जो किसी भी टीम का दम तोड़ दें। देखिए :
- घरेलू अंपायरों का पक्षपात ऐसा कि 6 टेस्ट में इंग्लिश गेंदबाज़ों को एक भी विकेट एलबीडब्ल्यू से नहीं मिला। फिर भी इंग्लैंड ने उन्हें 6 बार 300 से कम पर आउट किया
- अंपायरिंग की हालत ये थी कि इंग्लैंड टीम को लग रहा था कि वे 13 लोगों की टीम से खेल रहे हैं। इनमें से ख़ास तौर पर अंपायर लू रोवन का जॉन स्नो को चेतावनी देने वाला किस्सा विवादस्पद मामले में अलग से चर्चा में खूब आता है।