भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई ऑलराउंडरों ने अपनी छाप छोड़ी है, जिन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से टीम की जीत में योगदान दिया। कपिल देव, इरफान पठान, यूसुफ पठान, रवींद्र जडेजा, प्रवीण कुमार और युवराज सिंह जैसे दिग्गजों की इस सूची में एक नाम उभरकर सामने आता है- शार्दुल ठाकुर।
16 अक्टूबर 1991 को महाराष्ट्र के पालघर में जन्मे शार्दुल ने अपने आठ साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में कई बार टीम इंडिया के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाई। 'पालघर एक्सप्रेस' के नाम से मशहूर इस क्रिकेटर का भारतीय टीम तक का सफर कठिनाइयों और मेहनत से भरा रहा। आइए, जानते हैं कि कैसे शार्दुल ठाकुर ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से 'लॉर्ड शार्दुल' की उपाधि हासिल की।
मुंबई से 87 किलोमीटर दूर पालघर में जन्मे शार्दुल ठाकुर हर रोज़ ट्रेनिंग के लिए इतनी दूरी तय करते थे। किशोरावस्था में अपना करियर बनाने के लिए उन्हें काफ़ी संघर्ष करना पड़ता था और उन्हें लगभग 7 घंटे का सफ़र तय करना पड़ता था, और उनकी मेहनत रंग लाई है। 8 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में आज शार्दुल ठाकुर भारतीय क्रिकेट का एक चमकता सितारा है, जिसे लॉर्ड शार्दुल के नाम से फैंस प्यार से बुलाते हैं। अपनी गेंदबाजी के दम पर बल्लेबाजों को परेशान करने से लेकर बल्ले से कमाल दिखाने तक, शार्दुल ने क्रिकेट जगत में अपनी खास पहचान बनाई है।