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नेट्स पर गेल को आउट करने के बावजूद कोई सराहना नहीं मिलने से निराश थे अश्विन

Anil Kumble: भारत के स्टार ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अपना करियर शुरू करने से पहले नेट्स पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों को गेंदबाजी की थी लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी।

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IANS News
By IANS News July 24, 2024 • 13:18 PM
Wonderful to see Ashwin right up there, says Anil Kumble after off-spinner equals his record
Wonderful to see Ashwin right up there, says Anil Kumble after off-spinner equals his record (Image Source: IANS)
Anil Kumble: भारत के स्टार ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अपना करियर शुरू करने से पहले नेट्स पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों को गेंदबाजी की थी लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी।

भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच चेपॉक में वनडे मैच हो रहा था, जो बाद में 2011 में होने वाले वनडे विश्व कप की तैयारी का हिस्सा था। मुझे दोनों टीमों के लिए नेट्स में गेंदबाज़ी करने के लिए कहा गया। अंतर्राष्ट्रीय टीमें स्थानीय गेंदबाज़ों को नेट्स में गेंदबाज़ी करने के लिए बुलाती हैं, क्योंकि वे मैच से पहले अपने गेंदबाज़ों को थकाना नहीं चाहते थे। मेरे लिए एक अंतर्राष्ट्रीय टीम के लिए नेट गेंदबाज़ के तौर पर पहला ऐसा निमंत्रण था।

मैं क्रिस गेल, ब्रायन लारा, मेरे हीरो सचिन तेंदुलकर और भारतीय क्रिकेट के मौजूदा स्टार एमएस धोनी को गेंदबाज़ी करने के लिए उत्साह से भर गया था। मैंने पढ़ा था कि कैसे इमरान खान ने वक़ार यूनुस को घरेलू क्रिकेट खेलने से पहले ही नेट्स में गेंदबाज़ी करते देख, अपनी टीम में शामिल कर लिया था। पापा ने मुझे बताया था कि कैसे के श्रीकांत ने एक स्थानीय मैच में सुनील गावस्कर को प्रभावित किया था, और इसी तरह वह भारतीय टीम में पहुंचे थे। ये विचार मेरे दिमाग़ में भी था। मैं उन खिलाड़ियों को असल में गेंदबाज़ी करने जा रहा था जिनके साथ और जिनके ख़िलाफ़ खेलने का मैंने सपना देखा था।

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वेस्टइंडीज़ की टीम सबसे पहले अभ्यास के लिए पहुंची। चेपॉक में अलग से नेट्स के लिए जगह नहीं बनाया गया है। इसलिए मुख्य मैदान के साइड पिच पर नेट्स लगाए गए थे। मैंने पहले गेल को गेंदबाज़ी की। मैंने उन्हें कैच एंड बोल्ड आउट कर दिया। बाद में मैंने उन्हें एक और बार कैच आउट कराया। जब आप नेट्स में या क्लब स्तर पर गेंदबाज़ी करते हो, या फिर रणजी ट्रॉफ़ी स्तर पर गेंदबाज़ी कर रहे हो, बल्लेबाज़ आपको सिर हिलाकर, आपकी सराहना करके या कम से कम"(वेल )बोल्ड" कहता है। गेल ने बस गेंद उठाई और मुझे वापस फेंक दी। उन्होंने सराहना स्वरूप कुछ भी नहीं कहा ।

वह आउट हुए, उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मुझे लगा कि बस गेल ही ऐसा करते होंगे लेकिन इसके बाद जो भी बल्लेबाज़ बल्लेबाज़ी करने आया, सब लोग वैसा ही व्यवहार कर रहे थे। वह आपके ख़िलाफ़ बड़े शॉट लगाएंगे लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे, आउट भी होंगे तो कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। वह बस गेंद को उठा कर आपकी तरफ़ फेंक देंगे। मुझे यह व्यवहार थोड़ा सा अजीब लगा।

और यह सिर्फ़ वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ियों तक ही सीमित नहीं था। भारतीय बल्लेबाज़ भी ऐसे ही थे। भारतीय टीम के नेट सेशन के दौरान, मेरा एक दोस्त स्टेडियम आया था। वह नेट्स के बाद धोनी के साथ फोटो खिंचवाना चाहता था ताकि वह कॉलेज की लड़कियों को प्रभावित कर सके। मैं भी धोनी का दीवाना था। वह जिस तरह से गेंद को हिट करते थे,जिस तरह से वह मैच फ़िनिश करते थे, उनके लंबे बाल। वह सारी चीज़ें उन्हें एक अलग ही स्तर पर लेकर जाती थी।

जब हमारा नेट सेशन ख़त्म हुआ तो मैंने धोनी के साथ फ़ोटो खिंचवाई। मैंने उन्हें अपने दोस्त के बारे में भी बताया और वह मान गए। इसके बाद तो मेरा दोस्त ख़ुशी से चांद पर पहुंच गया था। हालांकि मैंने अपने दोस्त को बताया कि मैं अगली बार नेट बोलर के तौर पर नहीं आऊंंगा। यह सुन कर वह चौंक गया। वह लड़कियों को प्रभावित करने के लिए और ज़्यादा फ़ोटो तो लेना ही चाहता था लेकिन वह इस बात से ज़्यादा सकते था कि मैं इस स्तर के बल्लेबाज़ों को गेंदबाज़ी करने का मौक़ा गंवा रहा हूं।

मैंने उसे बताया कि नेट्स के दौरान मेरे साथ क्या हुआ ता। मैं काफ़ी निराश था। मैं यह नहीं समझ पा रहा था कि नेट्स के दौरान उन खिलाड़ियों से क्या अपेक्षा रखी जाए। हालांकि नेट्स के जरिए सीधे चयनित होने वाले खिलाड़ियों की कहानी मेरे दिमाग़ में घूम रही थी लेकिन मुझे इस नेट सेशन से कुछ ज़्यादा उम्मीद नहीं थी। मैंने अपने दोस्त को बताया कि नेट्स के दौरान किसी भी बल्लेबाज़ ने मेरी सराहना नहीं की और मैंने कभी भी इस तरह की जगह पर गेंदबाज़ी नहीं की है, जहां कोई आपकी गेंदबाज़ी की सराहना नहीं करता या इस तरह का व्यवहार करता है। जब आप इस तरह की जगह पर गेंदबाज़ी करते हो तो अक्सर लोग आपसे पूछते हैं कि आप किस स्कूल या क्लब की तरफ़ से खेलते हो या और कई चीज़ें पूछते हैं। हालांकि यहां तो किसी ने मेरा नाम तक नहीं पूछा।

जब हमारा नेट सेशन ख़त्म हुआ तो मैंने धोनी के साथ फ़ोटो खिंचवाई। मैंने उन्हें अपने दोस्त के बारे में भी बताया और वह मान गए। इसके बाद तो मेरा दोस्त ख़ुशी से चांद पर पहुंच गया था। हालांकि मैंने अपने दोस्त को बताया कि मैं अगली बार नेट बोलर के तौर पर नहीं आऊंंगा। यह सुन कर वह चौंक गया। वह लड़कियों को प्रभावित करने के लिए और ज़्यादा फ़ोटो तो लेना ही चाहता था लेकिन वह इस बात से ज़्यादा सकते था कि मैं इस स्तर के बल्लेबाज़ों को गेंदबाज़ी करने का मौक़ा गंवा रहा हूं।

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यह 'आई हैव द स्ट्रीट्स: ए कुट्टी क्रिकेट स्टोरी' नामक पुस्तक का एक अंश है, जिसके लेखक आर अश्विन और सिद्धार्थ मोंगा हैं। इसे पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने प्रकाशित किया है।

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