2003 वर्ल्ड कप, जब टीम इंडिया के साउथ अफ्रीका रवाना होने से पहले स्पांसर ने रखी थी ख़ास शर्त
अब तो इतिहास सब जानते हैं। सौरव गांगुली की टीम इंडिया 2003 वर्ल्ड कप फाइनल तो खेली लेकिन भारत से वर्ल्ड कप जीतने वाली दूसरी टीम न बन सकी। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने हराया था- सिर्फ हराया नहीं था, फाइनल
अब तो इतिहास सब जानते हैं। सौरव गांगुली की टीम इंडिया 2003 वर्ल्ड कप फाइनल तो खेली लेकिन भारत से वर्ल्ड कप जीतने वाली दूसरी टीम न बन सकी। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने हराया था- सिर्फ हराया नहीं था, फाइनल को लगभग एकतरफा कर दिया था।
फाइनल में हार के बाद, बहुत कुछ लिखा गया इस हार के बारे में। कहीं एक जिक्र तब के बीसीसीआई के टीम स्पांसर सहारा की तरफ से भी आया था- इसीलिए चाह रहे थे कि टीम वर्ल्ड कप के लिए रवाना होने से पहले मंदिर में दर्शन करे, कामयाबी के लिए मिलकर प्रार्थना करे।
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ईश्वर में आस्था तो हमेशा भारत की पहचान है। किसी भी बड़े मैच से पहले मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे और चर्च में टीम की कामयाबी के लिए कामना की जाती है। जरा रन नहीं बनते या विकेट नहीं मिलते तो खिलाड़ियों के अलग-अलग धार्मिक स्थल में जाने की खबर आने लगती है और लिस्ट में विराट कोहली, केएल राहुल से लेकर मोहम्मद शमी तक के नाम हैं। इस साल ही टीम इंडिया के कई क्रिकेटर के, श्रीलंका के विरुद्ध, 15 जनवरी के तीसरे वनडे से पहले तिरुवनंतपुरम में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में जाने की खबर और फोटो खूब छपे पर ये कुछ क्रिकेटरों का अपने आप, एक-साथ उस प्राचीन मंदिर में जाने का फैसला था- ये टीम इंडिया का प्रोग्राम नहीं था।
2003 वर्ल्ड कप के लिए टीम को रवाना होना था मुंबई से और टीम के रवाना होने से पहले स्पांसर सहारा की तरफ से अनुरोध आया कि पूरी टीम मुंबई के प्रसिद्ध मंदिर सिद्धिविनायक के दर्शन करे। तब तक बीसीसीआई ने टीम इंडिया के लिए रवानगी का जो प्रोग्राम बनाया था उसमें टीम के मंदिर जाने का कहीं जिक्र नहीं था। बहरहाल सहारा सिर्फ स्पांसर नहीं थे, खुद सहारा श्री बड़ी हस्ती थे और उनकी बात को यूं आसानी से टाल नहीं सकते थे।
टीम के साथ जो ऑफिशियल दक्षिण अफ्रीका जा रहे थे वे बीसीसीआई के बड़े अधिकारियों से, इस अनुरोध पर, निर्देश पाने की कोशिश करते रहे पर कुछ हासिल न हुआ। मसला मंदिर जाने या न जाने का नहीं था- मसला था कि क्या पूरी टीम को ऑफिशियल विजिट बनाकर मंदिर ले जाएं? सहारा की तरफ से ये संकेत आ चुका था कि टीम के मंदिर जाने से शानदार फोटो बनेंगी।
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संयोग से जिस दिन मंदिर जा सकते थे वह मंगलवार था- एक शुभ दिन और इससे तो बात को और वजन मिल गया। टीम ऑफिशियल आपस में इस चर्चा में लगे रहे कि क्या ये सही होगा? क्रिकेट टीम एक धर्मनिरपेक्ष भारत का प्रतिनिधित्व करती है- तो क्या पूरी टीम को एक साथ मंदिर जाने के लिए कहना सही रहेगा? तय हुआ खिलाड़ियों से पूछें। सीनियर सचिन तेंदुलकर से पूछा तो जवाब मिला- 'मैंने पहले ही अपनी प्रार्थनाएं कर ली हैं।' एक-दो और क्रिकेटरों ने कहा वे भी अपनी पूजा कर चुके हैं। बस हो गया फैसला- टीम ऑफिशियल तौर पर मंदिर नहीं जाएगी। ये एक घटना एक मिसाल के तौर पर याद की जाती है और आज तक टीम ऑफिशियल के लिए ऐसा सवाल आने पर गाइडलाइन है।