Dilip Vengsarkar: पिछले कुछ महीनों में मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने अपने कुछ, पहले और आज के क्रिकेटरों के साथ-साथ अपने पूर्व चीफ शरद पवार को भी वानखेड़े स्टेडियम में उनकी मूर्ति लगा या किसी स्टैंड/गेट को उनका नाम दे या और भी किसी तरीके से सम्मानित किया है। बहरहाल सम्मान पाने वालों की लिस्ट में एक नाम रह गया, उसकी वजह चाहे जो भी हो। अब इसमें सुधार किया जा रहा है और एमसीए ने वानखेड़े स्टेडियम में दिलीप वेंगसरकर की आदमकद मूर्ति लगाने का फैसला लिया है।
भारत के कप्तान रहे दिलीप वेंगसरकर न सिर्फ मुंबई के लिए खेले, एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट भी रहे और एक बार प्रेसिडेंट की पोस्ट का चुनाव हार गए। अब उन्हें सम्मान दे रहे हैं भारतीय और मुंबई क्रिकेट में उनके योगदान को देखते हुए।वेंगसरकर 116 टेस्ट और 129 वनडे खेले और भारत की 1983 वर्ल्ड कप चैंपियन टीम में भी थे।
संयोग से, यह सम्मान उन्हें उस पारी को खेलने की 50वीं सालगिरह के करीब दिया है, जिसे देख हर किसी ने कहा कि मुंबई क्रिकेट स्कूल से दिलीप वेंगसरकर नाम की एक नई, युवा और गजब की टेलेंट सामने आई है। इस पारी से ऐसा असर पड़ा कि सेलेक्टर्स उन्हें टेस्ट क्रिकेट के लिए भारतीय टीम में शामिल करने पर मजबूर हो गए। यही वेंगसरकर भारत के बेहतरीन बल्लेबाज़ों के दौर में, भारत के सबसे कामयाब बल्लेबाजों में से एक बन गए। जब 1976 में ऑकलैंड में न्यूजीलैंड के विरुद्ध टेस्ट खेल अपना इंटरनेशनल करियर शुरू किया, तब तक वे सिर्फ़ 8 फर्स्ट क्लास और 4 लिस्ट ए मैच ही खेले थे।