कुछ दिन पहले श्रीलंका-पाकिस्तान कोलंबो टेस्ट के दौरान एक बड़ी अजीब बात हुई। पाकिस्तान के क्रिकेटर मोहम्मद रिजवान प्लेइंग इलेवन में नहीं थे। टेस्ट शुरू होने के थोड़ी देर बाद रिजवान ने सब्स्टीट्यूट के तौर पर शाहीन शाह अफरीदी की गेंद पर कुसल मेंडिस (6) का कैच लपका। उसके बाद, पाकिस्तान की पारी में सरफराज (22 गेंद में 14*) रिटायर हर्ट हुए तो रिजवान कनकशन सब्स्टीट्यूट बन गए यानि कि अब टेस्ट टीम में आ गए।
तो इस तरह टेस्ट में रिजवान की भूमिका रही- सब्स्टीट्यूट के तौर पर एक कैच, कनकशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर 50* और दूसरी पारी में रमेश मेंडिस को स्टंप किया। एक खिलाड़ी के, एक ही टेस्ट में, अलग-अलग तरह के रोल का ये अनोखा नजारा था। टेस्ट क्रिकेट में पहली बार ही ऐसा हुआ कि एक टीम की दोनों पारी में, फील्डिंग में किसी खिलाड़ी का नाम अलग-अलग तरह से लिखा गया।
टेस्ट इतिहास में, ऐसा तो हो चुका था कि टेस्ट खेल रहे एक खिलाड़ी ने, उसी टेस्ट में सब्स्टीट्यूट के तौर किसी को आउट किया यानि कि दूसरी टीम के लिए सब्स्टीट्यूट थे। तब, टीम टेस्ट में बहुत कम खिलाड़ियों के साथ खेलती थीं (खर्चा बचाने के लिए- टूर पर आई आस्ट्रेलिया टीम में भी सिर्फ 12 खिलाड़ी थे ताकि टूर के मुनाफे को ज्यादा खिलाड़ियों के बीच न बांटना पड़े ; ऑस्ट्रेलिया की टीम तो इस मांग के मंजूर होने के बाद ही आई थी कि गेट मनी उनकी होगी) और अक्सर जरूरत में दूसरी टीम के किसी भी खिलाड़ी को अपना सब्स्टीट्यूट बनाकर फील्डिंग के लिए कह देते थे।