T20 वर्ल्ड कप में सिर्फ 10 गेंद की वह पारी जो टूर्नामेंट इतिहास की बेस्ट पारी में से एक हैं- ऐसा क्या ख़ास था उसमें?
विजडन ने जब 2010 से 2019 के दशक की सबसे बेहतरीन पारी चुनी तो जानते हैं किसे चुना- उसे जिसमें बल्लेबाज ने सिर्फ 10 गेंद खेलीं। कुछ तो ख़ास होगा इसमें तभी तो कई जानकार तो इसे टी20 वर्ल्ड कप
इसे खेला : वेस्टइंडीज के कार्लोस ब्रेथवेट ने
गेंदबाज : इंग्लैंड टीम और ख़ास तौर पर बेन स्टोक्स
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गेंद : 10
रन बनाए : 34* (1 चौका, 4 छक्के)
मैच : कोलकाता में फाइनल 3 अप्रैल 2016 को
वह 2016 के टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल था और मैच में कार्लोस ब्रेथवेट का कुल प्रदर्शन गेंद के साथ 3-23 और बैट के साथ 34*(10) था और बैट के साथ इसी आतंक ने मुश्किल में फंसी वेस्टइंडीज टीम को चैंपियन बना दिया।
सीधे उस फाइनल पर चलते हैं। वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर इंग्लैंड को पहले बल्लेबाजी के लिए कहा और पारी के दो टॉप स्कोर बनाने वाले जोस बटलर (36) और जो रूट (54) के विकेट सहित 3 विकेट लिए ब्रेथवेट ने सिर्फ 23 रन देकर। उनका स्कोर रहा 155-9 और वेस्टइंडीज को जीत के लिए 156 रन बनाने थे।
स्कोर 15.3 ओवर में 107-6 था तो फेवरिट इंग्लैंड था, वेस्टइंडीज नहीं। यहां नंबर 8 पर खेलने आए ब्रेथवेट और पिच पर मौजूद थे मार्लन सैमुअल्स। उसके बाद जो हुआ वह किसी पारी कथा जैसा था और ये दोनों मिलकर वेस्टइंडीज को टाइटल तक ले गए।
ये कमाल उस ब्रेथवेट ने किया जिसने उस फाइनल से पहले, 5 साल में 14 इंटरनेशनल वाइट बॉल मैच में न तो कभी 20 रन बनाए थे और न ही दो से ज्यादा विकेट लिए थे। उस फाइनल में, 4 ओवर में 3-23 की गेंदबाजी की और 10 गेंद में 34 रन (इनमें से 24 तो सिर्फ 4 गेंद पर) बनाकर सनसनीखेज तरीके से वेस्टइंडीज को टाइटल दिला दिया था ।
तब रन चेज़ में, जब वे बैटिंग के लिए आए तो 27 गेंद में 49 रन की जरूरत थी और तब 21 गेंद पर 39 रन की जब ब्रेथवेट ने अपनी पहली गेंद खेली। सबसे अच्छी बात ये थी कि एक स्टार बल्लेबाज मार्लोन सैमुअल्स (जो बाद में प्लेयर ऑफ द मैच थे) एक सिरे पर थे और पारी को संभाले रखा था।
16 गेंद में 35 रन की जरूरत थी जब डेविड विली (तब तक उनका रिकॉर्ड था 3.2-0-12-3) की गेंद पर ब्रेथवेट का कवर के ऊपर का शॉट, बाउंड्री से पहले फील्ड हो गया और अब 15 गेंद पर 33 रन की जरूरत थी। जब 13 गेंद में 31 रन की जरूरत थी तो इंग्लैंड के कैंप में जश्न की तैयारी शुरू हो गई थी और टाइटल तेजी से वेस्टइंडीज की पकड़ से दूर जा रहा था। यहां से मैच पलटा और ब्रेथवेट ने विली के स्पैल की आखिरी गेंद पर शानदार 4 लगाया। वेस्टइंडीज अभी भी मुकाबले में था। कई जानकार तो इस 4 को उन सभी 6 से भी ज्यादा श्रेय देते हैं जीत का।
अब 19वां ओवर क्रिस जॉर्डन ने फेंका- इसमें सिर्फ 8 रन बने और अब वेस्टइंडीज को आख़िरी ओवर में जीत के लिए 19 रन की जरूरत थी। 20वां ओवर बेन स्टोक्स ने फेंका और साफ़ इरादा था रन रोकने हैं- ठीक वैसे ही जैसे पिछले ओवर में जॉर्डन ने किया। सब जानते हैं कि जॉर्डन डेथ ओवर में गेंदबाजी के एक्सपर्ट थे पर स्टोक्स भी कोई कम नहीं थे। इतनी बड़ी ड्यूटी और स्टोक्स ने क्या किया? सामने थे- ब्रेथवेट।
पहली गेंद- खराब जो लेग स्टंप हाफ-वॉली थी और ब्रेथवेट ने सीधे डीप बैकवर्ड स्क्वायर पर 6 लगा दिया।
दूसरी गेंद- कप्तान मॉर्गन ने स्टोक्स को कहा था यॉर्कर फेंकने के लिए और स्टोक्स यॉर्कर न फेंक पाए- एक और 6 लगा।
तीसरी गेंद- फिर से स्टोक्स ने यॉर्कर न फेंका और एक बार फिर 6 रन।
चौथी गेंद- ऐसा लग रहा था कि स्टोक्स को हिप्नोटाइज कर दिया है और उन्हें मालूम ही नहीं है कि यॉर्कर फेंकते कैसे हैं और ब्रेथवेट के लगातार चौथे 6 ने वेस्टइंडीज को दूसरी बार ट्रॉफी दिला दी।
लॉकडाउन के दौरान, एक इंटरव्यू में, उस ओवर की चर्चा करते हुए स्टोक्स ने कहा- 'लोग सोचते हैं कि मैंने जानबूझकर स्लॉट में चार गेंदें फेंकी जबकि सच्चाई ये है कि हर बार जब मैं अपने मार्क पर लौटता था तो यही याद था कि यॉर्कर फेंकना है।' संयोग से इससे पहले के कुछ महीनों की क्रिकेट में स्टोक्स ने सबसे ज्यादा यॉर्कर फेंकने की ही प्रैक्टिस की थी और उन्हें अपने इस टेलेंट पर पूरा भरोसा था। देख लीजिए- क्या हुआ?
ब्रेथवेट को इस ओवर ने, क्रिकेट में एक ख़ास मुकाम पर पहुंचा दिया और ये रास्ता सीधे सुपरस्टारडम तक जाता था। ब्रेथवेट ने ये छिपाया नहीं कि ये लगातार चार 6 किसी स्कीम या स्ट्रेटजी का हिस्सा नहीं थे- वे तो वास्तव में घबरा रहे थे। मार्लोन सैमुअल्स ने उस आख़िरी ओवर के शुरू होने से पहले बस इतना कहा था- जोरदार हिट लगाओ, 6 गया तो ठीक अन्यथा गेंद हवा में रही और कैच हो गए तो कम से कम मार्लन को क्रॉस कर मैच फिनिश करने का मौका तो मिल जाएगा। बेन को जो कहा गया उन्होंने माना नहीं पर हर 6 में ब्रेथवेट ने अपना पूरा जोर लगा दिया। ख़ास तौर पर चौथी गेंद वाले स्ट्रोक के 6 होने का उन्हें भरोसा नहीं था और सच ये है कि जीत का जश्न मानते हुए ब्रेथवेट को पता चला था कि ये भी 6 था यानि कि लगातार 4 गेंद पर छक्के।
इस पारी ने ब्रेथवेट की जिंदगी बदल दी। कमेंट्री बॉक्स में तब माइक पर, संयोग से वेस्टइंडीज के ही इयान बिशप थे और उस समय उन्होंने जो बोला वह कमेंट्री में हमेशा याद किया जाता है। उन्होंने खुशी से उछलते हुए कहा था- 'कार्लोस ब्रेथवेट : नाम याद रखना।' उनके ऐसा बोलने के पीछे भी एक किस्सा है। उस फाइनल से दो दिन पहले वे एक दोस्त के प्रोग्राम में गए और वहां उनसे पूछा गया- क्रिस गेल और ड्वेन ब्रावो जैसों के अलावा कौन इस फाइनल का स्टार हो सकता है तो उन्हें एकदम कार्लोस ब्रेथवेट का ख्याल आया (क्योंकि उस वर्ल्ड कप में वह अच्छी गेंदबाजी कर रहे थे और गेंद हिट भी कर सकते थे) और वे बोले- 'कार्लोस ब्रैथवेट एक अच्छा ऑल-राउंड क्रिकेटर है- नाम याद रखना। तो यही बात उस आख़िरी छक्के के बाद बिशप को याद आ गई और उसी को बोल दिया।
स्पोर्ट्स में ऐसा बोलने की एक स्टोरी और भी है। फुटबॉल कमेंटेटर क्लाइव टिल डस्ले ने 2002 में इसी 'नाम याद रखें' का इस्तेमाल किया था 16 साल के वेन रूनी का जिक्र करते हुए। रूनी ने तब एक बेहतर टीम के विरुद्ध आखिरी मिनट में 30-यार्ड से गोल की स्कीम बनाई थी और तब कमेंटेटर ने उनके बारे में कहा था- उसका नाम याद रखना।
ये बात अलग है कि ब्रेथवेट इसी पारी के स्टार बन कर रह गए और अपने करियर में फिर से ऐसी ऊंचाई पर नहीं पहुंचे। वेस्टइंडीज टीम से अंदर-बाहर होते रहे।संयोग से 2019 क्रिकेट वर्ल्ड कप में एक बार फिर से वे ऐसा ही कमाल दिखाने के बड़ा करीब थे। न्यूजीलैंड के विरुद्ध एक ग्रुप मैच में, अपना पहला और आखिरी इंटरनेशनल 100 लगाया पर वेस्टइंडीज जीत हासिल करने से 5 रन पीछे रह गया।ब्रेथवेट ने 2019 के बाद से इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेला।
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स्टोक्स की बात करें तो शायद ये ओवर, उनके बुरे दिनों की शुरुआत था- अगले साल एक नाइट क्लब के बाहर लड़ाई में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और मारपीट का आरोप लगाया। सुनवाई में अंततः बरी हो गए पर इस सब से, लगभग 5 महीने क्रिकेट न खेल पाए और 2017-18 का ऑस्ट्रेलिया का एशेज टूर इसमें शामिल था।