दिसंबर 2022 में बीसीसीआई ने जो क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी (सीएसी) बनाई उसमें जतिन परांजपे (Jatin Paranjpe), अशोक मल्होत्रा और सुलक्षणा नाइक हैं। ये कोई साधारण कमेटी नहीं- बीसीसीआई के लिए सेलेक्टर और कोच तक चुनने का काम यही कमेटी करती है। अभी पिछले दिनों इसी कमेटी ने अजीत अगरकर को सेलेक्टर चुना और अब यही अगरकर, उस कमेटी के हेड हैं जो टीम इंडिया चुन रही है।
बीसीसीआई ने सबसे पहली सीएसी में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण को लिया था। इनकी तुलना में जतिन परांजपे? वे तो (1998 में) सिर्फ 4 वनडे इंटरनेशनल खेले- हां, फर्स्ट क्लास और लिस्ट ए क्रिकेट में मुंबई के लिए 100+ मैच खेले। तो क्या इतने कम इंटरनेशनल मैच खेलने वाले का ऐसी पॉवरफुल कमेटी में आना हैरानी की बात नहीं? वे तो बीसीसीआई की सीनियर सेलेक्शन कमेटी में भी रहे हैं। जब लोढ़ा कमेटी की सिफारिश को लागू करते हुए कमेटी बदलना जरूरी हो गया था तो जो दो सेलेक्टर हटाए (टेस्ट क्रिकेटर न होने की वजह से) उनमें से एक जतिन परांजपे ही थे (दूसरे : गगन खोड़ा)। तब बीसीसीआई का उन्हें बिना काम, 43 लाख रुपये की फीस देना भी खूब चर्चा में रहा था- खैर ये एक अलग स्टोरी है।
वे किसी स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन में किसी पोस्ट पर नहीं हैं, किसी आईपीएल टीम से नहीं जुड़े और किसी टीम के कोचिंग स्टॉफ में भी नहीं- तो कैसे बीसीसीआई की इतनी पॉवरफुल कमेटी में आ जाते हैं? जवाब के लिए जतिन परांजपे के और परिचय जानना जरूरी है। उससे पहले दो फैक्ट-