इस सीजन में आईपीएल ट्रेड विंडो के अंतर्गत खिलाड़ियों के एक से दूसरी टीम में ट्रांसफर से पहले जिस ट्रांसफर की सबसे ज्यादा चर्चा हुई वह है गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) का टीम मेंटर के तौर पर कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) वापस लौटना। जिस केकेआर से, उनके कामयाब कप्तान होने के बावजूद, वे कड़वाहट के साथ अलग हुए थे- अब उसी में लौट आए हैं। तो इस तरह गौतम गंभीर का आईपीएल सफर खिलाड़ी के तौर पर दिल्ली डेयरडेविल्स से कोलकाता नाइट राइडर्स और फिर वापस दिल्ली कैपिटल्स का रहा- उनका मेंटर के तौर पर सफर लखनऊ सुपर जाइंट्स से कोलकाता नाइट राइडर्स का है। लखनऊ टीम के साथ वे सिर्फ नाम के मेंटर नहीं थे- टीम का थिंक टैंक थे। ग्राउंड में और ग्राउंड के बाहर टीम की पहचान थे और कोई सपोर्ट स्टॉफ/ खिलाड़ी उनकी मर्जी के बिना लखनऊ की ट्रेन/फ्लाइट नहीं पकड़ सका। स्पष्ट है कि वे ऐसा ही रोल कोलकाता नाइट राइडर्स में चाहेंगे पर सवाल ये है कि क्या कोलकाता नाइट राइडर्स में ऐसा हो पाएगा?
इस सवाल का जवाब ढूंढना है तो सबसे पहले इस सवाल की चर्चा करनी होगी कि वे कोलकाता नाइट राइडर्स से दिल्ली गए क्यों थे? कोलकाता नाइट राइडर्स के आज तक के सबसे कामयाब कप्तान- तो कोलकाता नाइट राइडर्स ने उन्हें तब ही आगे खेलने के लिए रोका क्यों नहीं था? ये एक ऐसा दर्द है जो समय के साथ दब गया था पर कोलकाता नाइट राइडर्स ने उन्हें नया कॉन्ट्रैक्ट देकर इसे कुरेद दिया है। ये आईपीएल की सबसे विवादास्पद स्टोरी में से एक है। चलिए आईपीएल पर चलते हैं-
आईपीएल के शुरू के सालों में, कई बड़े खिलाड़ी के साथ खेलने के बावजूद केकेआर का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा था- 2008 और 2010 में नंबर 6 तथा बीच में 2009 में नंबर 8 थे। यही टीम 2011 में नंबर 4 पर आ गई यानि कि 2011 से किस्मत बदली और पहली बार प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई किया। ये टर्न-एराउंड उसी सीजन में खरीदे गौतम गंभीर की बदौलत था- उन्हें टीम ने अपने साथ पहले ही सीजन में कप्तान बना दिया था।