वर्ल्ड कप 2023 यानि कि भारत चौथी बार मेजबान। इससे पहले 1987, 1996 और 2011 में वर्ल्ड कप के मेजबान थे। पिछले तीनों मौके पर, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देश साथ थे। चार बार वर्ल्ड कप का भारतीय उपमहाद्वीप में आयोजन किसी आश्चर्य से कम नहीं- ख़ास तौर पर तब जबकि तय तो ये था कि वर्ल्ड कप हमेशा इंग्लैंड में खेलेंगे। इसलिए वर्ल्ड कप का आयोजन इंग्लैंड से बाहर निकालना अपने आप में किसी इतिहास से कम नहीं। कैसे कर दिखाया था ये?
1983- उस साल वह हुआ जिसके बारे में सोचा भी नहीं था। लॉर्ड्स में वर्ल्ड कप फाइनल में वेस्टइंडीज के सामने वह टीम इंडिया जिसे पिछले दोनों वर्ल्ड कप में खेली क्रिकेट देखकर इस तरह की क्रिकेट के लिए 'अनाड़ी' कहा था। उस जीत की जो स्टोरी हैं उनमें से एक ख़ास ये कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड चीफ एनकेपी साल्वे (वे सांसद थे उस समय) ने 25 जून के फाइनल से पहले, दो और पास मांगे- उन्हें ये पास न तो इंग्लिश बोर्ड और न ही आईसीसी ने दिए। तब जो हुआ उसी ने क्रिकेट को बदला>
उस एक घटना पर साल्वे ने तय कर लिया था कि जिस वर्ल्ड कप पर इंग्लैंड वाले इतना अकड़ रहे हैं- वही उनसे छीन लेना है। तब तक सोच ये थी कि इंग्लैंड से बाहर वर्ल्ड कप नहीं हो सकता। वे जानते थे कि जब तक एशिया के और क्रिकेट देश साथ नहीं होंगे- ये संभव नहीं। भारत ने वर्ल्ड कप जीता 25 जून को और उसी दिन साल्वे ने स्कीम पर काम शुरू कर दिया था। 26 जून- उनके बहनोई ने टीम के सम्मान में जो लंच दिया उसमें पाकिस्तान क्रिकेट के चीफ एयर मार्शल नूर खान भी मेहमान थे। वहीं नूर खान को तैयार किया कि मिलकर वर्ल्ड कप इंग्लैंड से छीनेंगे।