Duleep Trophy: इस घरेलू सीजन के दलीप ट्रॉफी मैच खेले जा रहे हैं इन दिनों। जिस टूर्नामेंट को, जोनल टीम के बीच मैचों के साथ शुरू किया, आयोजन के सफर में न सिर्फ टूर्नामेंट का स्वरूप बदलता रहा, टीम का नाम भी। इस सीजन में इंडिया ए, इंडिया बी, इंडिया सी और इंडिया डी टीम खेल रही हैं। दलीप ट्रॉफी का मतलब है भारत का घरेलू फर्स्ट क्लास मैचों का टूर्नामेंट और आम छवि यही है कि इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया की तरह, भारत की घरेलू क्रिकेट में विदेशी खिलाड़ी नहीं खेलते। क्या आप विश्वास करेंगे कि दलीप ट्रॉफी में विदेशी खिलाड़ी तो क्या, विदेशी टीम भी खेल चुकी हैं। कैसे और कब?
इसके लिए 2003 के साल पर चलते हैं और वह 6 जून का दिन था जब मुंबई में रणजी ट्रॉफी कप्तान और कोच की कॉन्फ्रेंस में, टीम इंडिया के क्रिकेटरों के घरेलू टूर्नामेंट न खेलने के मसले पर बोलते हुए, तब के बीसीसीआई चीफ जगमोहन डालमिया ने कहा था कि बहुत ज्यादा इंटरनेशनल क्रिकेट खेली जा रही है और क्रिकेटरों के पास समय ही कहां है कि घरेलू टूर्नामेंट खेलें। वे ये मान गए कि इन सीनियर के खेलने से ही घरेलू क्रिकेट और बेहतर हो सकता है। वहीं, तब की बीसीसीआई टेक्निकल कमेटी के चीफ सुनील गावस्कर ने भी इस पर सहमति दी और बताया कि घरेलू क्रिकेट को और बेहतर और रोमांचक बनाने के लिए ही, बीसीसीआई अगले साल से दलीप ट्रॉफी टूर्नामेंट में खेलने विदेशी टीम बुला सकता है।
चूंकि इंग्लिश काउंटी सीजन सितंबर तक खत्म हो जाता है, इसलिए चैंपियनशिप विजेता काउंटी या बांग्लादेश टीम (उन सालों में ये चर्चा थी कि उनके स्तर में सुधार के लिए बीसीसीआई उनकी मदद करे और अपने घरेलू टूर्नामेंट में खेलने दे) खेल सकते हैं। विदेश से एक टीम के आने का मतलब था टूर्नामेंट में कुल 6 टीम (5 जोनल टीम पहले से खेल रही थीं) और इनके दो ग्रुप बनाकर मैच की गिनती बढ़ जाती। यही हुआ और 2003-04 सीजन से दलीप ट्रॉफी में विदेशी टीम का खेलना शुरू हो गया। देखिए इनके खेलने का रिकॉर्ड :