भारत के टेस्ट इतिहास की सबसे शर्मानक हार
भारत ने अपना पहला टेस्ट 25 जून 1932 को इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में खेला था। 20 साल के इंतजार और 24 टेस्ट मैचों बाद भारत को 10 फरवरी 1952 को अपनी पहली जीत मिली।
भारत ने अपना पहला टेस्ट 25 जून 1932 को इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में खेला था। 20 साल के इंतजार और 24 टेस्ट मैचों बाद भारत को 10 फरवरी 1952 को अपनी पहली जीत मिली। लेकिन भारतीय टीम जीत का जश्न पूरा भी नहीं मना पाई थी और उसे इतिहास की सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा।
जीत के 4 महीने बाद ही भारत की टीम चार टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए इंग्लैंड गई थी । इंग्लैंड में भारत के पुराने रिकॉर्ड से ही सब को पता था कि आगे क्या होने वाला है। 5 जून 1952 को लीड्स में भारत औऱ इंग्लैंड के बीच इस सीरीज का पहला मैच खेला गया। भारत को इस मैच में 7 विकटों से हार झेलनी पड़ी।
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इसके बाद लॉर्ड्स में सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच खेला गया और वीनू मांकड की शानदार बल्लेबाजी और गेंदबाजी भी टीम भारत को हार से नहीं बचा सकी और भारत को 8 विकेट की करारी हार झेलनी पड़ी।
इसके बाद वो टेस्ट मैच आया जिसके बारे सोचकर आज भी भारत के हर क्रिकेट प्रेमी का दिल दहल जाता है। आज से करीब 62 साल पहले 17 जुलाई 1952 को मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफोर्ड में उस सीरीज तीसरा और एतिहासिक मैच खेला गया। दोनों ही टीमों ने शायद सोचा होगा कि इस मैच में एक ऐसा इतिहास बनने वाला है। तीन दिन चले इस मैच में जो हुआ वह इतिहास बन गया। सुबह काफी बारिश होने के बाद मैच शुरू हुआ और लियोनार्ड हुटन और विजय हजारे टॉस के लिए मैदान पर उतरे। इंग्लैंड के कप्तान लियोनार्ड हुटन ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया।
कप्तान हजारे ने गेंद दत्तू फड़कर और रमेश डिवेचा की जोड़ी के हाथ में थमाई और उन्होंने अच्छी गेंदबाजी की । दोनों की जोड़ी गेंद को दोनों तरफ स्विंग करा रहे थे और कई बार उन्हें पिच से असमान्य उछाल भी मिल रहा था। लेकिन हुटन और शेफर्ड की जोड़ी ने मिलकर टीम को संभली शुरूआत दी।
गीली गेंद होने की वजह से भारतीय टीम के गेंदबाज काफी परेशान रहे इससे कप्तान विजय हजारे की भी परेशानी बढ़ रही थी, वह अपने स्पिन गेंदबाजों का प्रयोग पूरे तरीके से नहीं कर पाए।
मौसब खराब होने और खराब रोशनी के कारण अंपायरों ने खेल रोकन का फैसला किया। जिस समय खेल रोका गया उस समय इंग्लैंड ने 2 विकेट के नुकसान पर 153 रन बना लिए थे। कप्तान हुटन नॉटआउट रहे थे। दूसरे दिन हुटन और पीटर मे की जोड़ी मैदान पर उतरी । हुटन ने 10 चौकों की मदद से अपना शतक पूरा किया। पीटर मे ने भी 9 चौकों की मदद से 69 रन की पारी खेली।
भारतीय टीम के गेंदबाजों ने दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक इंग्लैंड के पांच बल्लेबाज लियोनार्ड हुटन, पीटर मे, टॉम ग्रावेनी, एलैन वॉटकिन्स,और जिम लेकर को आउट कर वापस पवेलियन भेजा। जब दूसरे दिन का खेल खत्म हुआ तो इंग्लैंड की टीम का स्कोर 7 विकेट के नुकसान पर 297 रन था।
लगातार तीसरे दिन इंग्लैंड की टीम मैदान पर खेलने के लिए उतरी। तीसरे दिन गॉडफ्रे इवांस (71) एलेक बेडसर के आउट होन के बाद 9 विकेट के नुकसान पर 347 रन बनाकर इंग्लैंड ने पारी घोषित कर दी थी। इंग्लैंड की तरफ से कप्तान हुटन ने सबसे ज्यादा 104 रन बनाए थे।
इसके बाद भारतीय पकंज रॉय औऱ वीनू मांकड की जोड़ी ओपनिंग के लिए मैदान पर उतरी। उसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया। अपना तीसरा इंटरनेशनल मैच खेल रहे फ्रैड ट्रयूमैन ने एलन बेडसर के साथ मिलकर ऐसा कहर बरपाया की टीम का एक भी बल्लेबाज उनके सामनें टिक नहीं सका।
सलामी जोड़ी बिना कुछ कमाल दिखाए वापस लौट गई, वीनू माकंड ने 4 रन बनाए और पकंज रॉय तो खाता भी नहीं खोल पाए। ट्रयूमैन की बॉलिंग के दौरान कप्तान हुटन ने ऐसी फील्डिंग लगा रखी थी की सब देखकर हैरान थे। उन्होंने 3 स्लिप , दो गली , 2 शॉर्ट लेग और एक शॉट मिड ऑफ लगातार लगाए रखे।
सुबह हुई बारिश के कारण गेंद इतनी लहरा रही थी कि बल्लेबाजों के लिए उसे खेलना बिल्कुल नामुकिन सा लग रहा था। फ्रैड ट्रयूमैन (31/8) और एलन बेडसर (11/2) की बेहतरीन गेंदबाजी के आगे पूरी भारतीय टीम केवल 58 रनों पर ही पस्त हो गई। भारत के लिए विजय मांजरेकर ने 22 और हेमू अधिकारी ने 16 रन बनाए थे।
उसने अपने सबसे न्यूनतम स्कोर की बराबरी कर ली जो उसने 1947-48 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाया था।
इसके बाद एक ही दिन में दूसरी बार भारतीय टीम बल्लेबाजी करने उतरी। उसके बाद जो हुआ उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने पहली पारी को रिकॉर्ड कर के दोबारा उसका टेप चला दिया हो।
पहली ही पारी की तरह इस पारी में भी फ्रैड ट्रयूमैन ने पंकज रॉय को 0 पर आउट किया और पहली ही पारी की तरह वीनू मांकड(6) को एलन बेडसर को आउट किया।
मांकड और रॉय के आउट होने के बाद विजय हजारे औऱ हेमू अधिकारी की जोड़ी मैदान पर आई। पहली पारी की तरह ही इस पारी में भी इन दोनों ने ही सबसे ज्यादा रन बनाए। हेमू अधिकारी ने 27 रन और विजय हजारे ने 16 रन की पारी खेली। दोनों ने मिलकर तीसरे विकेट के लिए 48 रन जोड़े। विजय हजारे के आउट होने के बाद पूरी टीम तास के पत्तों की तरह ठह गई और टीम ने 7 विकेट केवल 27 रनों मे ही गवां दिए औऱ दूसरी पारी में पूरी भारतीय टीम केवल 82 रनों में सिमट गई।
पहली पारी में ट्रयूमैन और बेडसर की जोड़ी ने कहर बरपाया था औऱ इस पारी में बेडसर और टोनी लॉक की जोड़ी ने कमाल कर के दिखाया । टोनी लॉक ने इसी मैच के साथ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। दूसरी पारी में एलन बेडसर ने 5, टोनी लॉक ने 4 औऱ फ्रैड ट्रयूमैन ने 1 विकेट लिया।
इसी के साथ भारतीय टीम एक ही दिन में दो बार आउट होने वाली पहली टेस्ट टीम बन गई। बारिश के कारण इस मैच का चौथा मैच ड्रॉ रहा और भारतीय टीम क्लिनस्वीप से बच गई। सीरीज 3-0 से इंग्लैंड के नाम रही। इसके बाद जब भारतीय टीम वापस अपने देश लौटी तो उसका बहुत विरोध हुआ और अखबारों द्वारा टीम के प्रदर्शन की काफी आलोचना की गई।