टी20 वर्ल्ड कप 2024 शुरू होने से पहले आईसीसी को एक बड़ा झटका- रेटिंग के स्पांसर एमआरएफ ने एक लंबी पार्टनरशिप के बाद, आईसीसी को बाय-बाय कह दिया। वे 8 साल से आईसीसी के साथ थे पर उनका क्रिकेट से साथ तो बड़ा पुराना है। यूं तो एमआरएफ यानि कि मद्रास रबर फैक्ट्री का लोगो सचिन तेंदुलकर, स्टीव वॉ, ब्रायन लारा, विराट कोहली और एबी डिविलियर्स जैसे सुपरस्टार के साथ बैट पर भी नजर आया पर भारत की क्रिकेट में इस कंपनी का सबसे बड़ा योगदान एमआरएफ पेस फॉउंडेशन है।
आज भारत में विश्व स्तर के तेज गेंदबाज एक के बाद एक सामने आ रहे हैं- एक समय था जब एक बेहतर तेज गेंदबाज के लिए तरसते थे। तब इसी एमआरएफ ने तेज गेंदबाज तैयार करने के लिए 1987 में, चेन्नई में पेस फाउंडेशन शुरू की। 1987 में, एमआरएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर रवि मामन ने वह काम किया जो बीसीसीआई की जिम्मेदारी था।उन्होंने ही सोचा कि कब तक भारत सिर्फ स्पिन-गेंदबाजी के सहारे इंटरनेशनल क्रिकेट खेलता रहेगा? इसलिए पैसा लगाया और पेस फाउंडेशन शुरू की। इस पेस फाउंडेशन ने जवागल श्रीनाथ, वेंकटेश प्रसाद, विवेक राजदान, सुब्रतो बनर्जी, इरफान पठान, जहीर खान, मुनाफ पटेल और आशीष विंस्टन जैदी सहित ढेरों तेज गेंदबाज तैयार किए। आज न सिर्फ भारत से, दूसरे देशों से भी युवा तेज गेंदबाज यहां ट्रेनिंग के लिए आ रहे हैं।
जब भी इस फाउंडेशन का जिक्र होता है तो पहले रेजिडेंट कोच टीए शेखर और विदेशी एक्सपर्ट कोच डेनिस लिली का नाम लिया जाता है। डेनिस लिली अपने समय में नंबर 1 तेज गेंदबाज थे- 70 टेस्ट में 355 और 63 वनडे में 103 विकेट का रिकॉर्ड खुद बता देता है कि कैसे गेंदबाज थे? अभी तो वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट की वजह से कई महीने टेस्ट और वनडे नहीं खेले अन्यथा उनके नाम और भी विकेट होते। कभी इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने भारत नहीं आए- कतराते रहे। इन लिली को भी एमआरएफ ने एक्सपर्ट कोच के तौर पर बुला लिया था। आज कोई नहीं जानता कि लिली और शेखर को कोच बनाने की स्टोरी क्या है? ये दोनों इस फाउंडेशन की कामयाबी में ख़ास नाम हैं।