दो बार पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB)) के अध्यक्ष रहे (दिसंबर 2003 से अक्टूबर 2006 तक और अगस्त 2014 से अगस्त 2017 तक) शहरयार एम खान (Shahryar Khan) का देहांत हो गया। वे 89 साल के थे। क्रिकेट में उनके नाम के साथ जुड़ी कई स्टोरी हैं- भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंध से लेकर ओवल के उस विवादस्पद टेस्ट तक जिसके लिए उन्होंने अपने कप्तान का ही साथ नहीं दिया। इसके अतिरिक्त एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज के लिए क्वालीफाई किया और 1957 में पाकिस्तान फॉरेन सर्विसेज में शामिल हो गए। कई देश में पाकिस्तान के राजदूत/हाईकमिश्नर भी रहे।
उनका एक परिचय और भी है- क्रिकेट में कई जगह लिखा मिलेगा कि वे न सिर्फ राजघराने से थे, भारतीय क्रिकेट के मशहूर पटौदी परिवार से संबंधित थे- मंसूर अली खान पटौदी उनके कजिन/चचेरे भाई थे। ये चचेरे भाई वाली बात गलत है और वे मौसी के बेटे थे। असल में इन दोनों के आपसी रिश्ते में झांकें तो कई नई बातें मालूम होती हैं। शहरयार खान भी मूलतः तो भारतीय ही थे, भोपाल में जन्म हुआ और भोपाल राजघराने से उनका वही नाता था जिसके साथ आज पटौदी परिवार का नाम जोड़ा जाता है। वे विभाजन के एकदम बाद भारत से नहीं गए थे- 1950 में गए और अपनी किताब में उन्होंने ये भी लिखा कि वे तो भोपाल छोड़ना ही नहीं चाहते थे पर चूंकि मां जाना चाहती थीं इसलिए उन्हें भी जाना पड़ा। इसी को और विस्तार से देखते हैं।
पिता- नवाब मोहम्मद सरवर अली खान जो कुरवाई स्टेट के शासक थे। मां- राजकुमारी बेगम आबिदा सुल्ताना जो भोपाल के नवाब हाजी हाफिज सर मोहम्मद नवाब हमीदुल्ला खान की बेटी थीं। मां ने शादी के बाद भी भोपाल न छोड़ा- इस तरह जन्म हुआ 29 मार्च 1934 को भोपाल रियासत के शासक परिवार में। वैसे भी शहरयार खान के जन्म के एक-दो साल बाद माता-पिता अलग हो गए थे। उन्होंने लिखा- भोपाल में हिंदू और मुस्लिम तथा अन्य धर्म के लोग मिलकर रहते थे और इसे 'शांति का स्वर्ग' कहते थे। सबूत के तौर पर वे लिखतें हैं कि विभाजन के दौरान भी यहां शांति ही रही।