एशेज : इंग्लैंड वाले आज सोच भी नहीं सकते कि डॉन ब्रैडमैन कैसी चुनौती थे?
एक और एशेज सीरीज और एक और रोमांचक मुकाबले का इंतजार। इतिहास में इस सीरीज को क्या जगह मिलेगी- ये तो बाद में पता चलेगा पर इतना तय है कि इंग्लैंड को किसी 'डॉन ब्रेडमैन' से कोई चुनौती नहीं मिलेगी।
एक और एशेज सीरीज और एक और रोमांचक मुकाबले का इंतजार। इतिहास में इस सीरीज को क्या जगह मिलेगी- ये तो बाद में पता चलेगा पर इतना तय है कि इंग्लैंड को किसी 'डॉन ब्रेडमैन' से कोई चुनौती नहीं मिलेगी। एशेज की बात हो तो जिस बल्लेबाज़ का नाम सबसे पहले जहन में आता है- और किसी का नहीं, सर डॉन ब्रेडमैन का नाम है।
कुल मिलाकर टेस्ट रिकॉर्ड (1928-1948)- मैच: 52,पारी: 80, रन :6996, सेंचुरी: 29, टॉप स्कोर: 334 और औसत: 99.94 पर इसमें से 5028 रन तो अकेले इंग्लैंड के विरुद्ध बनाए- 37 टेस्ट की 63 पारी में 19 सेंचुरी के साथ और औसत 89.79 का। इंग्लैंड के विरुद्ध एलन बॉर्डर ने 3548 रन बनाए 47 टेस्ट में और सर गैरी सोबर्स ने 3214 रन बनाए 36 टेस्ट में। ये रिकॉर्ड अपने आप बता देता है कि डॉन ब्रैडमैन ने क्या किया?
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ब्रैडमैन क्रिकेट की दुनिया में एक अलग पहचान वाले क्रिकेटर हैं और जब वे ऑस्ट्रेलिया के लिए खेले- एशेज टेस्ट 'इंग्लैंड बनाम ब्रैडमैन' मुकाबले के तौर पर चर्चा में आते थे। किन्हीं दो टीम के बीच टेस्ट क्रिकेट में ऐसा प्रभुत्व किसी और खिलाड़ी का नहीं है। हालांकि इंग्लैंड के विरुद्ध उनका बल्लेबाजी का औसत (89.79) उनके कुल टेस्ट रिकॉर्ड (99.94) से कम रहा- तब भी और दूसरे सभी बल्लेबाजों से ज्यादा है।
जब 1928 में ब्रिस्बेन में इंग्लैंड के विरुद्ध पहली बार टेस्ट खेले तो ये उनका सिर्फ 10 वां फर्स्ट क्लास मैच था। सिर्फ 18 और 1 के स्कोर बनाए और नतीजा- टेस्ट टीम से बाहर। मेलबर्न टेस्ट में टीम में वापस और 79 एवं 112 के स्कोर। इसके बाद ब्रैडमैन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और रिकॉर्ड टूटते गए। सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं- कप्तान के तौर पर भी कभी इंग्लैंड के विरुद्ध सीरीज नहीं हारी।
जब डॉन ब्रैडमैन और इंग्लैंड की एक साथ बात करें और बॉडीलाइन का जिक्र न हो- ये नहीं हो सकता। 1928 -29 एशेज- डॉन ब्रैडमैन ने 4 टेस्ट में 468 रन बनाए और 1930 एशेज में 5 टेस्ट में 974 रन। इसके बाद अगली दो सीरीज में मुसीबत वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका की आई- 5-5 टेस्ट में क्रमशः 447 और 806 रन। अब फिर से इंग्लैंड की बारी थी।
1932 -33 की सीरीज खेलने इंग्लैंड को ऑस्ट्रेलिया जाना था। तब इंग्लैंड के सामने एक ही सवाल था- डॉन ब्रैडमैन को कैसे रोकें? उन्हें मालूम था कि अगर ब्रैडमैन ने ऐसे ही रन बनाए तो एशेज जीतने का तो सवाल ही ही नहीं पैदा होता। एक ही रास्ता था- कुछ अलग करो। उसी में डगलस जार्डिन को कप्तान बनाया और टीम मैनेजर प्लम वार्नर के साथ मिलकर जार्डिन ने ब्रैडमैन को रोकने के लिए पारंपरिक लेग थ्योरी को शॉर्ट-पिच गेंदबाजी के साथ जोड़ दिया- इसे पिच पर साकार किया नॉटिंघमशायर के तेज गेंदबाजों हेरोल्ड लारवुड और बिल वोस ने।
क्रिकेट इतिहास में ये तो जिक्र होता है कि इस लेग थ्योरी ने ब्रैडमैन को ढेरों रन बनाने से रोक दिया पर ये कहीं जिक्र नहीं होता कि उन दिनों वास्तव में ब्रैडमैन का पूरा ध्यान क्रिकेट पर था ही नहीं। वे बीमार थे- ऐसी बीमारी से जो पकड़ में नहीं आ रही थी। ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड ऑफ कंट्रोल से वे खुलेआम टकरा रहे थे- बोर्ड ने उन्हें सिडनी सन अखबार के लिए एक कॉलम लिखने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। इस बात ने ब्रैडमैन को और मुश्किल में फंसा दिया क्योंकि वे तो अखबार के साथ दो साल का कॉन्ट्रेक्ट कर चुके थे। हालात ये थे कि ब्रैडमैन ने कह दिया- सीरीज में नहीं खेलेंगे पर कॉन्ट्रेक्ट नहीं तोड़ेंगे। इस सबसे नुक्सान ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट का होता- इसलिए पेपर ने, बिना पेनल्टी लगाए, ब्रैडमैन को कॉन्ट्रेक्ट से रिलीज कर दिया।
ऐसे में कैसे कह दें कि ब्रैडमैन उस ख़ास सीरीज में खेलने के सही मूड में थे? टेस्ट से पहले, इंग्लैंड के विरुद्ध तीन फर्स्ट क्लास मैचों में ब्रैडमैन ने 6 पारी में सिर्फ 17.16 औसत दर्ज़ की। अभी तो, इनमें से सिर्फ एक मैच में इंग्लैंड ने लेग थ्योरी को आजमाया था।
सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में सीरीज शुरू हुई और वे पहले टेस्ट में वे नहीं खेले- अफवाह थी कि नर्वस ब्रेकडाउन है। वे टीम में नहीं थे, तब भी इंग्लैंड ने बॉडीलाइन का इस्तेमाल किया और टेस्ट जीता। उस टेस्ट में जो हुआ उसे देखकर पूरे ऑस्ट्रेलिया में एक ही चर्चा थी- बॉडीलाइन को मात देनी है तो ब्रैडमैन को वापस लाओ। सिर्फ वही इस खतरनाक गेंदबाजी पर हावी हो सकते थे। ब्रैडमैन मेलबर्न के दूसरे टेस्ट में लौटे। सीरीज में 4 टेस्ट में 396 रन (56.57 औसत)- आखिर तक किसी भी टेस्ट सीरीज में ब्रैडमैन के सबसे कम रन और औसत। छोटे कद के होने के बावजूद ब्रैडमैन चोटिल नहीं हुए पर और कई बल्लेबाजों का खून पिच पर गिरा। यह वह सीरीज थी जिसने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच न सिर्फ क्रिकेट सम्बंध, राजनीतिक सम्बंध भी बिगाड़ दिए थे।
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इंग्लैंड ने सीरीज जीत ली पर इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकाई- इस सीरीज के बाद उनके विरुद्ध ब्रैडमैन ने 24 टेस्ट में 3190 रन बनाए 91.14 औसत से 12 सेंचुरी के साथ। इंग्लैंड को आज किसी 'ब्रैडमैन 'को नहीं रोकना पड़ता।