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ऐसे हुई थी एशेज सीरीज की शुरूआत

क्रिकेट के जनक कहे जाने वाले इंग्लैंड औऱ ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली एशेज सीरीज क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित सीरीज में से एक है

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The Story behind Ashes Cricket Series
The Story behind Ashes Cricket Series (Image Source: Google)
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Jun 27, 2015 • 07:44 AM

क्रिकेट के जनक कहे जाने वाले इंग्लैंड औऱ ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली एशेज सीरीज क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित सीरीज में से एक है । जिसे कोई नहीं हारना चाहता। इंग्लैंड औऱ ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट प्रेमियों के लिए इस सीरीज का महत्व वर्ल्ड कप या क्रिकेट के किसी औऱ प्रतिष्ठित टूर्नामेंट से कम नहीं है। आइए हम आपको बताते हैं कैसे हुई थी एशेज सीरीज की शुरूआत।

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
June 27, 2015 • 07:44 AM

मार्च 1877 में ऑस्ट्रेलिया औऱ इंग्लैंड के बीच हुए एक मुकाबले से टेस्ट क्रिकेट की शुरूआत हुई थी। इसके बाद कई बार दोनों देशों के बीच में टेस्ट सीरीज हुई। 1881-82 (  31 दिसंबर 1981 से 14 मार्च 1982 तक)  में इंग्लैंड की टीम टेस्ट सीरीज खेलने ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी। चार टेस्ट मैचों की इस सीरीज को इंग्लैंड की टीम 1-0 से हार गई जिसके कारण इंग्लैंड की मीडिया और क्रिकेट प्रेमियों के बीच उसकी काफी किरकरी हुई था। 

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इस जीत के करीब 5 महीने बाद अगस्त महीने में ऑस्ट्रेलियाई टीम महज एक टेस्ट मैच खेलने इंग्लैंड गई थी। साउथ लंदन के कैनिंगटन ओवल में खेले गए इस टेस्ट मैच के लिए केवल 3 दिन का समय निर्धारित किया गया था। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान थे और बिली मुर्डाक और इंग्लैंड की कमान एल्बर्ट नेलसन हार्नबी के हाथों थी।


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सर्द मौसम के बीच 28 अगस्त को हुए मुकाबले में बिली मुर्डाक ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पिच औऱ मौसम की हालत को देखकर पहले ही सबने अनुमान लगा लिया था कि मैच में गेंदबाजों का बोलबाला रहेगा। इंग्लैंड के पास अच्छी बल्लेबाजी औऱ गेंदबाजी होने के चलते उसे ही इस मैच का विजेता माना जा रहा था। 

गेंदबाजी को लेकर की गई भविष्यवाणी सही साबित हुई और टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम 80 ओवर में कुल 63 रन पर सिमट गई। तेज गेंदबाज डिक बारलो (5/19) औऱ टेड पीएट (4/31) की आग बरपाती गेंदबाजी के आगे कोई भी कंगारू बल्लेबाज नहीं टिक पाया था। इंग्लैंड की तरफ से जॉर्ज यूलियट भी एक विकेट लेने में कामयाब रहे थे। ऑस्ट्रेलिया की तरफ से जॉर्ज ब्लैकहैम ने सबसे ज्यादा 17 रन बनाए थे। इसके जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी इंग्लैंड की टीम भी कुछ खास कमान नहीं दिखा पाई और कुल 101 रन ही बना सकी। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज फेडरिक स्पोफोर्थ ने 46 रन देकर 7 इंग्लिश बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता दिखाया था। इसके अलावा हैरी बॉयल 2 औऱ टॉम गैरेट 1 विकेट लेने में कामयाब रहे थे। इंग्लैंड के पास पहली पारी में 38 रन की बढ़त थी। 

टेस्ट मैच के दूसरे दिन ऑस्ट्रेलियाई पारी दूसरी पारी की शुरूआत करने मैदान पर उतरी। इस बार शुरूआत अच्छी रही औऱ एलेक्स बैनरमैन (13) और ह्यूग मैसी (55) ने मिलकर पहले विकेट के 66 रन जोड़ डाले। लेकिन शानदार शुरूआत के बाद ऑस्ट्रेलियाई पारी पूरी तरह से लड़खड़ागई और कुल 122 रन पर सिमट गई। पहली पारी में इंग्लैंड के पास 38 रन की बढ़त थी जिसके चलते उसे जीत के लिए 85 रन का टारगेट मिला। हर कोई मान रहा था कि इंग्लैंड की टीम बड़ी ही आसानी से यह मैच जीत जाएगी लेकिन शायद होनी को कुछ और ही मंजूर था। 

एक बार फिर फेडरिक स्पोफोर्थ (7/44)  का जादू चला और मात्र 85 रन के टारगेट का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम केवल 77 रन पर ही ऑलआउट हो गई। जिसमें विलियम गिलबर्ट ग्रेस ने 32 रन का योगदान दिया था। ऑस्ट्रेलिया 7 रन के छोटे लेकिन महत्वपूर्ण अंतर से मैच जीत गया था। इस आपमानजक हार के बाद स्टेडियम में हर तरफ सन्नाटा छा गया तो क्योंकि इंग्लिश पहली बार अपने देश में हारी थी। 

इस शर्मानक हार के बाद इंग्लिश मीडिया ने अपनी टीम की जमकर खबर ली और मशहूर पत्रिका द स्पोर्टिंग टाइम ने अपनी मैगजीन में इंग्लैंड क्रिकेट की मरने की खबर छापी। मैगजीन की उस खबर में एशेज शब्द का इस्तेमाल किया गया था। इस खबर में लिखा गया था की 29 अगस्त 1882 को ओवल के मैदान में इंग्लिश क्रिकेट मर गया। शरीर का दाह संस्कार किया जाएगा और एशेज (राख) को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा। 

इस हार के तीन महीने बाद 30 दिसंबर 1882 को फिर इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर गई औऱ इंग्लिश टीम के कप्तान इवो ब्लीच ने कहा कि वह ऑस्ट्रेलिया से अपनी एशेज (राख) वापस लेने जा रहे हैं। ब्लीच के इस बयान ने ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में इतनी सुर्खियां बटोरी की इस सीरीज को द एशेज का नाम दे दिया गया। इंग्लैंड ने शानदार खेल दिखाकर हार का बदला लिया औऱ सीरीज पर 2-1 से कब्जा किया। 

कहा जाता है कि सीरीज में खेले गए तीसरे औऱ आखिरी टेस्ट मैच के बाद मैच में प्रयोग की गई गिल्लियों को जला दिया गया था और उसकी राख को इंग्लिश कप्तान इवो ब्लीच को सौंप दिया गया था (प्रमाणिकता नहीं) और ऐसे ही इंग्लैंड औऱ ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज का नाम एशेज पढ़ा था । इस सीरीज में जीत के बाद इंग्लैंड ने लगातार 8 बार एशेज सीरीज जीती थी। 

(सौरभ शर्मा)

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