किसी बड़ी हस्ती के निधन की खबर के क्रिकेट पर असर के जिक्र में आम तौर पर किंग जार्ज, श्रीमति इंदिरा गांधी और क्वीन एलिजाबेथ के निधन की खबर चर्चा में आती है। एक अनोखी क्रिकेट घटना, नई दिल्ली में 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी के निधन से भी जुड़ी है। 77 साल पहले, उन दिनों में भारत की टीम ऑस्ट्रेलिया टूर पर थी। उस टूर की सबसे बड़ी खासियत थी- देश की आजादी के बाद भारत की क्रिकेट टीम का पहला इंटरनेशनल टूर और पहली टेस्ट सीरीज। इस सीजन के ऑस्ट्रेलिया टूर में सिडनी के आख़िरी टेस्ट के खत्म होने की तय तारीख 7 जनवरी 2025 थी पर 1947-48 के टूर में एडिलेड में चौथा टेस्ट ही 28 जनवरी 1948 को खत्म हुआ था। इस तरह जब महात्मा गांधी के निधन की खबर आई तो सीरीज में न सिर्फ एक टेस्ट (6 फरवरी से शुरू), दो अन्य टूर मैच भी बचे थे- मिल्ड्यूरा में विक्टोरियन कंट्री इलेवन (31 जनवरी से शुरू) और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया (20 फरवरी से शुरू) के विरुद्ध। 30 जनवरी को महात्मा गांधी का निधन हुआ और 31 जनवरी से मिल्ड्यूरा में मैच था।
महात्मा गांधी की हत्या के बाद, भारत में जिस तरह से माहौल बिगड़ा, उसकी खबरें ऑस्ट्रेलिया भी पहुंच रही थीं और टीम के क्रिकेटर न सिर्फ सदमे में थे, बड़ी चिंता में भी थे। तब आज की तरह से न तो भारतीय प्रेस और टीवी रिपोर्टर का काफिला टीम के साथ होता था और न ही खबरें आज की तरह से बाहर आती थीं। निधन की खबर सबसे पहले टीम मैनेजर पंकज गुप्ता को मिली और उन्होंने इस खबर को खिलाड़ियों को बताया।
भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट पर अपनी किताब 'इंडियन समर्स (Indian Summers) में ऑस्ट्रेलिया के बेहतरीन क्रिकेट इतिहासकार गिदोन हे (Gideon Haigh) ने लिखा है- पंकज गुप्ता ने तब कहा था कि खिलाड़ियों को ये खबर सुनकर बड़ा धक्का लगा। रातमें किसी को भी नींद नहीं आई। सभी उदास थे और आकाशवाणी से प्रसारित हो रहा ब्यौरा सुनते रहे- 'हम में से कुछ लोग तो यह खबर सुनकर रो पड़े।'