न्यूजीलैंड से भारत में क्लीन स्वीप हार की चर्चा में विराट कोहली और रोहित शर्मा के सही क्रिकेट फार्म में न होने का मसला खूब उछला। बात सिर्फ इस सीरीज की नहीं थी- डर ये था कि अगर खराब फार्म ऑस्ट्रेलिया टूर पर भी जारी रही तो क्या होगा? रन की कमी के जिक्र में, एक बार फिर इन दोनों के घरेलू क्रिकेट में न खेलने का मसला सामने आ गया। इस बार तो बीसीसीआई की कड़ी गाइडलाइन के बावजूद ये दोनों खुद को दलीप ट्रॉफी में खेलने से बचा गए थे। फार्म की तलाश में कितनी मदद मिलती है घरेलू क्रिकेट के मैच खेलने से? इस सवाल का जवाब एक लंबी बहस है पर इस संदर्भ में भारतीय क्रिकेट के एक किस्से का जिक्र बड़ा जरूरी है।
कोई भी खिलाड़ी, डॉन ब्रैडमैन और सचिन तेंदुलकर भी, 'आउट ऑफ फार्म' की चर्चा से बच न पाए। ये किस्सा सचिन तेंदुलकर का है। 2012-13 में इंग्लैंड की टीम ने भारत में 4 टेस्ट की सीरीज में 2-1 से जीत हासिल की। अपनी पिचों पर भारत की इस हार पर बड़ा शोर हुआ। आलोचना के निशाने पर तो सचिन तेंदुलकर भी थे और तब ये चर्चा खूब थी कि उनके लिए रिटायर होने का वक्त आ गया है। 4 टेस्ट की 6 पारी में सिर्फ 112 रन और इनमें से भी 76 रन टॉप स्कोर थे यानि कि बची 5 पारी में सिर्फ 36 रन। तब भी संयोग से कुछ दिन बाद ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सीरीज थी- फर्क ये कि वह सीरीज भारत में थी।
इस आलोचना के जवाब में तेंदुलकर एकदम रिटायर नहीं हुए, अपने फॉर्म में सुधार के लिए, ऑस्ट्रेलिया सीरीज की शुरुआत से कुछ हफ्ते पहले खुद ही ईरानी ट्रॉफी 2013 मैच खेलने का फैसला किया। ये मैच था 6 से 10 फरवरी तक और 22 फरवरी से ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध टेस्ट शुरू थे। मैच था अभिषेक नायर (जो मौजूदा टीम इंडिया के सपोर्ट स्टाफ में हैं) की कप्तानी में मुंबई और हरभजन सिंह की कप्तानी में रेस्ट ऑफ इंडिया के बीच वानखेड़े स्टेडियम में।