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भारत का वो इकलौता क्रिकेटर जो Timed Out हुआ, बाउंड्री किनारे बातचीत करने के चक्कर मे गवांया था विकेट

6 नवंबर 2023 से पहले 'टाइम आउट' क्रिकेट लॉ में होने के बावजूद, इंटरनेशनल क्रिकेट में इस तरीके से कोई आउट नहीं हुआ था (या किया नहीं गया था)। दिल्ली में बांग्लादेश के विरुद्ध श्रीलंका के एंजेलो मैथ्यूज टाइम आउट...

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti November 18, 2023 • 15:52 PM
Who Is Hemulal Yadav The Only Indian cricketer To Have Been Timed Out
Who Is Hemulal Yadav The Only Indian cricketer To Have Been Timed Out (Image Source: Google)
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6 नवंबर 2023 से पहले 'टाइम आउट' क्रिकेट लॉ में होने के बावजूद, इंटरनेशनल क्रिकेट में इस तरीके से कोई आउट नहीं हुआ था (या किया नहीं गया था)। दिल्ली में बांग्लादेश के विरुद्ध श्रीलंका के एंजेलो मैथ्यूज टाइम आउट हुए और ये रिकॉर्ड भी बन गया। इस में क्या हुआ- ये एक अलग चर्चा है। रिकॉर्ड ये कि इससे पहले ऑफिशियल क्रिकेट में सिर्फ 6 बार बल्लेबाज टाइम आउट हुआ था। 2006-07 में टीम इंडिया के दक्षिण अफ्रीका टूर में एक टेस्ट में 6 मिनट के बाद बाहर निकले थे सौरव गांगुली पर कप्तान ग्रीम स्मिथ ने अपील नहीं की। ऐसे और भी किस्से हैं। 

जिन 6 टाइम आउट का जिक्र है उनके ऐसे आउट होने के पीछे की वजह को अगर ध्यान से पढ़ें तो वे वास्तव में 'टाइम आउट' थे ही नहीं- उन्हें 'एब्सेंट' लिख सकते थे क्योंकि उनमें से कोई भी बैटिंग के लिए पिच पर आया ही नहीं। उदहारण के लिए- वासबर्ट ड्रेक्स। पिच पर होना तो दूर, वे तो उस महाद्वीप में भी नहीं थे जहां मैच खेल रहे थे। एंजेलो ऐसे पहले हैं जो बैटिंग के लिए आए और टाइम आउट हुए। 

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इन 6 में एक मिसाल भारत से भी है और इस बार उसी की विस्तार से चर्चा करेंगे। ये रिकॉर्ड बनाया हेमूलाल यादव ने दिसंबर 1997 में उड़ीसा के विरुद्ध त्रिपुरा की तरफ से रणजी ट्रॉफी मैच खेलते हुए। नंबर 11 बल्लेबाज और मजे की बात ये कि बैटिंग के लिए तैयार थे और सिर्फ बॉउंड्री के बाहर थे। तब भी गड़बड़ कर दी। जो हेमू ने किया वह किसी भी युवा बल्लेबाज के लिए ट्रेनिंग में एक टॉपिक होना चाहिए। 

1996 और 1998 के बीच सिर्फ दो सीजन खेले वे - 8 फर्स्ट क्लास (24 विकेट) और 7 लिस्ट ए मैच (8 विकेट) पर 1997-98 के टाइम आउट ने उन्हें याद रखने वाला नाम बना दिया। जिक्र तो ये भी है कि वे 'जानबूझकर' इस तरह से आउट हुए ताकि उनका नाम विजडन में तो आ जाए, अन्यथा तो कुछ ख़ास कर नहीं रहे थे। कुछ साल पहले तक विजडन में जिक्र बहुत बड़ी बात मानते थे। वे इस तरह से आउट होने वाले पहले और एकमात्र भारतीय फर्स्ट क्लास क्रिकेटर हैं। 

20 दिसंबर 1997 का दिन और कटक में मैच चल रहा था। इस आउट के मामले में लॉ ये कि विकेट गिरने या बल्लेबाज के रिटायर होने के बाद, अगले बल्लेबाज को, 3 मिनट के अंदर गेंद खेलने के लिए तैयार होना चाहिए। इस मैच में कई ऐसे खिलाड़ी खेल रहे थे जो आज अपने अलग-अलग रोल के लिए (जैसे कि कोच/अंपायर/मैच रेफरी) ज्यादा मशहूर हैं। इनमें से संजय राउल, प्रवंजन मलिक, रश्मि रंजन परिदा, देबाशिश मोहंती और शिव सुन्दर दास के नाम खास हैं ।

 उड़ीसा ने पहले बैटिंग की और दिन के अंत में स्कोर 264-3 था। दूसरे दिन मलिक ने दोहरा शतक (201) पूरा किया और मैच त्रिपुरा की पकड़ से बाहर कर दिया। 521-8 पर कप्तान संजय राउल ने पारी घोषित कर दी। बचे समय में त्रिपुरा का स्कोर 35-2 हो गया। तीसरा दिन बरसात से प्रभावित रहा और 5 विकेट गिरे।

आख़िरी दिन त्रिपुरा का 8वां विकेट 198 रन पर गिरा। आदित्य शुक्ला पिच पर थे। हेमू बॉउंड्री पर, पहले से अपने नंबर के इंतजार में खड़े थे। उसी  वक्त अंपायर शंकर डेंडापानी और केएन राघवन (दोनों केरल के और इंटरनेशनल अंपायर) ने ड्रिंक्स का भी इशारा कर दिया। त्रिपुरा का स्कोर 235-9 था। अंपायर मार्कस कुटो ने अपने एक राइट-अप में लिखा है कि इस ड्रिंक्स इंटरवल में राउल फटाफट टीम ड्रेसिंग रूम में  बाथरूम चले गए थे और उन्हें देखकर हेमू भी अपनी टीम के ड्रेसिंग रूम में बाथरूम चले गए। राउल तो फटाफट ग्राउंड में लौट आए और उनकी टीम फील्डिंग के लिए तैयार थी। लौटे तो हेमू भी पर ग्राउंड पर जाने की जगह बॉउंड्री पर ही खड़े हो गए। 

ऑफिशियल तौर पर ये दर्ज है जब खेल दोबारा शुरू होने वाला था तब भी हेमू बाउंड्री के किनारे अपने टीम मैनेजर के साथ बातचीत कर रहे थे। इतने मग्न थे बातों में कि ध्यान मैच से ही हट गया। क्रीज पर जाने की तरफ तो ध्यान ही नहीं था। उड़ीसा की टीम कितना इंतजार करती- राउल ने अपील की और अंपायरों ने आपसी बातचीत के बाद हेमू यादव को टाइम आउट देकर इतिहास बना दिया।

त्रिपुरा ने फॉलोऑन किया। मैच ड्रा रहा और उड़ीसा को 5 जबकि त्रिपुरा को 3 पॉइंट मिले। बहरहाल इतिहास बन चुका था और ये मैच उस इतिहास का हिस्सा बन गया। 

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इस किस्से में एक बड़ी ख़ास बात ये है कि अगर आप उस समय की किसी अखबार में इस घटना की रिपोर्ट पढ़ें तो ये लिखा मिलेगा कि हेमू इस तरह से आउट होने वाले, फर्स्ट क्लास क्रिकेट के पहले क्रिकेटर हैं। आज हर जगह लिखा जा रहा है कि वे इस तरह से आउट होने वाले दूसरे क्रिकेटर थे। दोनों स्टेटमेंट सही हैं पर ये कैसे हुआ- ये एक अलग स्टोरी है।
 


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