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भारतीय ऑनलाइन स्किल गेमिंग हितधारक उद्योग को बचाने के लिए साथ आए: देश में 10 लाख नौकरियां, 40 करोड़ यूजर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश

ऑनलाइन कौशल गेमिंग कंपनियों और गेम डेवलपर्स के 120 से अधिक सीईओ/संस्थापकों के साथ-साथ सभी उद्योग निकायों ने ऑनलाइन स्किल गेमिंग उद्योग की सुरक्षा के हित में पीएमओ और संबंधित मंत्रालयों को पत्र लिखा है।

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IANS News
By IANS News July 15, 2023 • 19:28 PM
Indian online skill gamings stakeholders come together to save industry: 1m Indian jobs, 400m Indian
Indian online skill gamings stakeholders come together to save industry: 1m Indian jobs, 400m Indian (Image Source: IANS)

Indian online skill gamings: ऑनलाइन कौशल गेमिंग कंपनियों और गेम डेवलपर्स के 120 से अधिक सीईओ/संस्थापकों के साथ-साथ सभी उद्योग निकायों ने ऑनलाइन स्किल गेमिंग उद्योग की सुरक्षा के हित में पीएमओ और संबंधित मंत्रालयों को पत्र लिखा है।

जीएसटी परिषद ने मंगलवार 11 जुलाई को ऑनलाइन गेमिंग पर पूर्ण अंकित मूल्य पर 28 प्रतिशत कर लगाने की घोषणा की, जिससे उद्योग को झटका लगा और वे काफी संकट में पड़ गए।

वर्तमान में, उद्योग जीजीआर/प्लेटफ़ॉर्म शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहा है। पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि, “जीजीआर/प्लेटफ़ॉर्म शुल्क पर जीएसटी को 28 प्रतिशत तक बढ़ाने से जीएसटी मात्रा में 55 प्रतिशत की वृद्धि होगी। हालांकि इस तरह की वृद्धि उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण होगी, उद्योग राष्ट्र निर्माण में योगदानकर्ता बनने के लिए इस वृद्धि का समर्थन करता है।

हालाँकि, इस क्षेत्र को जीवित रखने के लिए यह कर उद्योग द्वारा अर्जित प्लेटफ़ॉर्म शुल्क/सकल गेमिंग राजस्व पर लगाया जाना चाहिए। यह किसी भी अन्य प्रौद्योगिकी सेवा प्लेटफ़ॉर्म के समान है, जहां केवल प्लेटफ़ॉर्म द्वारा अर्जित राजस्व पर जीएसटी लगाया जाता है।

कुल 20 अरब डॉलर के उद्यम मूल्यांकन, 2.5 अरब डॉलर के राजस्व और एक अरब डॉलर के वार्षिक करों के साथ ऑनलाइन कौशल गेमिंग का राजस्‍व वर्ष 2025 तक 30 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़कर पांच अरब डॉलर तक पहुंचने के लिए तैयार है। भारतीय ऑनलाइन गेमर्स की कुल संख्या में वृद्धि हुई है। वर्ष 2020 में 36 करोड़ ऑनलाइन गेमर थे जिनकी संख्‍या 2023 में 42 करोड़ से अधिक हो गई है। इस उद्योग ने 2014 और 2020 के बीच लगभग 50 करोड़ डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया, और जनवरी 2021- जून 2022 के बीच 1.5 अरब डॉलर से अधिक का एफडीआई आकर्षित किया। उद्योग वर्तमान में लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार देता है। अगले कुछ वर्षों में इन आंकड़ों में काफी वृद्धि होगी।

पत्र में कहा गया है, “पूर्ण जमा मूल्य पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव उद्योग के विकास पथ को उलट देगा। इसका संभावित रूप से एमएसएमई और स्टार्टअप पर, जिनके पास इस तरह की अभूतपूर्व कर वृद्धि का सामना करने के लिए पूंजी नहीं है, विनाशकारी प्रभाव (व्यवसाय बंद होने सहित) होगा, भंडार नहीं हो सकता है। इसके अलावा, यह निर्णय अवैध अपतटीय जुआ संचालकों को प्रोत्साहित करेगा, भारतीय उपयोगकर्ताओं को उनके पास ले जाएगा और अंततः न तो इष्टतम कर संग्रह होगा और न ही वैध उद्योग का विकास होगा।”

उद्योग ने पत्र में आठ मुख्य बिंदुओं पर भी प्रकाश डाला है जो पत्र में इस तरह के कराधान के प्रतिकूल प्रभाव को रेखांकित करते हैं और पीएमओ से एक व्यवहार्य और प्रगतिशील जीएसटी व्यवस्था और वर्तमान सिफारिश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हैं।

“यह डिजिटल इंडिया पहल और पीएम के विज़न में बाधकारी है। जीएसटी बोझ में 400 प्रतिशत - 500 प्रतिशत की वृद्धि उद्योग की विकास क्षमता को बाधित करेगी और बड़ी संख्या में एमएसएमई और स्टार्टअप के अस्तित्व पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। भारी संख्‍या में छंटनी होगी और आजीविका पर प्रभावित होगी। उपभोक्ता सामर्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा और अंडग्राउंड ब्‍लैक इकोनॉमी और कई आपराधिक गतिविधियों का प्रसार होगा।

इसमें कहा गया है, “विदेशी गैम्बिलिंग साइटें अनपेक्षित लाभार्थी होंगी जिसके परिणामस्वरूप सरकार को पर्याप्त कर हानि होगी और भारतीय गेमर्स हानिकारक विदेशी गैम्बिलिंग वेबसाइटों के संपर्क में आ जाएंगे, जो भारत सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। विदेशी निवेश का गला घोंटते हुए ऑनलाइन गेमिंग बिचौलियों को अपने दायरे में लाने के इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निर्णय को बेहद सकारात्मक रूप से लिया गया है और इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण एफडीआई प्रवाह बढ़ेगा। हालांकि, पूर्ण मूल्य पर जीएसटी लगाने से घरेलू और विदेशी दोनों संभावित निवेशक भारत में ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को एक व्यवहार्य निवेश गंतव्य के रूप में नहीं देखेंगे। इसके अलावा, इस निर्णय के आधार पर मौजूदा 2.5 अरब डॉलर से अधिक का निवेश दांव पर है। इससे हम ग्लोबल गेमिंग लीडर बनने का अवसर खो देंगे और निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा। सरकारी खजाने के लिए दीर्घकालिक शुद्ध राजस्व हानि होगी।”

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