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शतरंज की दुनिया में 2 अगस्त और विश्वनाथन आनंद के बीच है खास कनेक्शन

World Junior Chess Championship: खेल के इतिहास में 2 अगस्त की तारीख और शतरंज की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले विश्वनाथन आनंद के बीच एक बेहद खास कनेक्शन है। 'मद्रास टाइगर' और विशी नाम से मशहूर ये खिलाड़ी 5 बार विश्व चैंपियन रहा है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए विश्वनाथन ने कड़ी मेहनत की और मात्र छह साल की उम्र से ही चेस बोर्ड पर अपना हुनर दिखाना शुरू कर दिया था।

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IANS News
By IANS News August 02, 2024 • 09:38 AM
(090814) Mumbai: Launch of the World Junior Chess Championship
(090814) Mumbai: Launch of the World Junior Chess Championship (Image Source: IANS)

World Junior Chess Championship: खेल के इतिहास में 2 अगस्त की तारीख और शतरंज की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले विश्वनाथन आनंद के बीच एक बेहद खास कनेक्शन है। 'मद्रास टाइगर' और विशी नाम से मशहूर ये खिलाड़ी 5 बार विश्व चैंपियन रहा है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए विश्वनाथन ने कड़ी मेहनत की और मात्र छह साल की उम्र से ही चेस बोर्ड पर अपना हुनर दिखाना शुरू कर दिया था।

विश्वनाथन आनंद के बारे में और अधिक जानने से पहले 2 अगस्त के साथ उनके कनेक्शन को जान लीजिए। इतिहास के पन्नों में 2 अगस्त की तारीख देश में चेस क्रांति लाने वाले इस खिलाड़ी के नाम दर्ज है। ये वही तारीख है, जब साल 1987 में विश्वनाथन आनंद ने फिलिपींस में आयोजित विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप में खिताबी जीत हासिल की थी।

वह यह कारनामा करने वाले पहले एशियाई शतरंज खिलाड़ी थे। आनंद ने 1987 में विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप जीतकर अपने जूनियर करियर का यादगार समापन किया। यहां से इस खिलाड़ी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और शतरंज की दुनिया में खूब नाम कमाया।

शतरंज में भारत के शीर्ष खिलाड़ी और देश के पहले ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने कई खिलाड़ियों को इस खेल से जुड़ने के लिए प्रेरित किया है। ये माइंड मास्टर तीन दशक से भी अधिक समय तक भारत का शीर्ष शतरंज खिलाड़ी बना रहा।

एक भारतीय और एशियाई शतरंज खिलाड़ी के रूप में, आनंद ने कई कीर्तिमान स्थापित किए। जिनमें 1984 में आईएम (14 वर्ष की आयु) का खिताब जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय बनना, 16 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र के भारतीय चैंपियन बनना, 1987 में विश्व जूनियर चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय और भारत के पहले ग्रैंड मास्टर बनना और भारत (और एशिया) के पहले विश्व चैंपियन बनना शामिल है।

वे रॉबर्ट जेम्स फिशर के बाद पहले विश्व चैंपियन और मैक्स यूवे के बाद दूसरे ऐसे खिलाड़ी भी थे जो रूस या पूर्वी यूरोप से नहीं थे। इसके अलावा, आनंद नॉकआउट टूर्नामेंट, राउंड रॉबिन टूर्नामेंट और पारंपरिक मैच प्ले के माध्यम से कथित विश्व चैंपियनशिप जीतने वाले पहले और एकमात्र खिलाड़ी थे। साल 2000, 2007, 2008, 2010 और 2012 में विश्वनाथ आनंद विश्व चैंपियन बने थे।

आनंद अब विश्व शतरंज महासंघ फिडे के उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने कई मौकों पर भारतीय टीमों के मेंटॉर की भूमिका सफलतापूर्वक निभाई है। आनंद ने अपनी वेस्टब्रिज आनंद शतरंज अकादमी से युवा भारतीयों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। भारतीय शतरंज के मौजूदा युवा स्टार डी गुकेश और आर प्रज्ञानानंदा भी विश्वनाथन को अपना आदर्श मानते हैं।

वे रॉबर्ट जेम्स फिशर के बाद पहले विश्व चैंपियन और मैक्स यूवे के बाद दूसरे ऐसे खिलाड़ी भी थे जो रूस या पूर्वी यूरोप से नहीं थे। इसके अलावा, आनंद नॉकआउट टूर्नामेंट, राउंड रॉबिन टूर्नामेंट और पारंपरिक मैच प्ले के माध्यम से कथित विश्व चैंपियनशिप जीतने वाले पहले और एकमात्र खिलाड़ी थे। साल 2000, 2007, 2008, 2010 और 2012 में विश्वनाथ आनंद विश्व चैंपियन बने थे।

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Article Source: IANS


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