मधुमिता बिष्ट को भारत की उन अग्रणी बैडमिंटन खिलाड़ियों में गिना जाता है, जिन्होंने महिलाओं को इस खेल के लिए प्रेरित किया। मधुमिता ने तेज गति, सटीक शॉट और रणनीतिक खेल के दम पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। वह कई प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर युवाओं के लिए प्रेरणा बनीं। मधुमिता साइना नेहवाल और पीवी सिंधु से पहले भारत के बैडमिंटन जगत की पहचान रही हैं।
5 अक्टूबर 1964 को जन्मीं मधुमिता बिष्ट 1992 ओलंपिक गेम्स की एकल स्पर्धा में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र भारतीय महिला शटलर थीं, जिन्हें 'उत्तराखंड की बैडमिंटन क्वीन' कहा जाता है।
मधुमिता बिष्ट ने आइसलैंड की एल्सा नीलसन को 11-3, 11-0 से मात देकर अपने अभियान की शानदार शुरुआत की थी। दूसरे गेम में मधुमिता ने अपनी प्रतिद्वंदी को एक भी अंक नहीं लेने दिया था। हालांकि, अगले मुकाबले में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन की जोआन मुगेरिज की कड़ी चुनौती का सामना करते हुए हार का सामना करना पड़ गया।