Chess Olympiad: शतरंज के खेल में भारत ने नया इतिहास रचा है। हंगरी के बुडापेस्ट में 45वें शतरंज ओलंपियाड में भारतीय टीम की दोहरी जीत से भले ही दुनिया हैरान हो, लेकिन भारत में शतरंज क्रांति की शुरुआत करने वाले पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद आश्चर्यचकित नहीं है। उनका मानना है कि भारतीय टीम इसकी हकदार थी।
आनंद ने अपने तीन दशक लंबे करियर में कई मौकों पर ओलंपियाड में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वे 1990 के दशक में प्रवीण थिप्से और दिब्येंदु बरुआ के साथ मजबूत टीमों का हिस्सा रहे और बाद में 2000 के दशक में पी.हरिकृष्णा, कृष्णन शशिकिरण, अभिजीत कुंते जैसे खिलाड़ियों के साथ मोर्चा संभाला।
ओलंपियाड में आनंद सहित भारतीय टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2004 में स्पेन के क्लाविया में हुआ था, जब टीम सबसे मजबूत प्रतियोगिताओं में से एक में छठे स्थान पर रही थी। आनंद ने शीर्ष बोर्ड पर रजत पदक जीता।