भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच ने अपने शानदार खेल और नेतृत्व से देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने भारत की महिला हॉकी टीम को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई। प्रीतम सिवाच देश की पहली महिला हॉकी कोच हैं, जिन्हें 'द्रोणाचार्य अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया।
2 अक्टूबर 1974 को गुरुग्राम के झाड़सा में जन्मीं प्रीतम सिवाच ने महज 13 साल की उम्र में हॉकी खेलनी शुरू की। उस समय प्रीतम 7वीं क्लास में थीं। जब प्रीतम ने हॉकी स्टिक थामी, तो गांव के लोगों से खूब ताने सुनने को मिले, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की।
जब प्रीतम 10वीं क्लास में थीं, तब परिवार चाहता था कि उनकी शादी हो जाए, लेकिन प्रीतम ने परिवार से कुछ समय मांगा। वह अपने सपनों की उड़ान भरना चाहती थीं। उन्होंने परिवार से ये तक कह दिया कि अगर इतनी जल्दी शादी करवाई, तो वह घर से भाग जाएंगी। ऐसे में उन्हें 2 साल की मोहलत मिल गई।