पहलवानों के समर्थन में उतरी 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम, कहा- जल्दबाजी में न ले कोई फैसला
1983 की क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता टीम ने शुक्रवार (2 मई) को पहलवानों के विरोध पर अपना बयान जारी कर दिया है। अपने इस बयान में उन्होंने पहलवानों से इस मामले में जल्दबाजी में फैसला नहीं लेने की गुजारिश की है और यह उम्मीद जताई है कि उनकी शिकायतों को सुना जाएगा और जल्दी से हल किया जाएगा।
टीम ने कहा कि पहलवानों द्वारा मेहनत से जीते गए मेडल गंगा में फेंकने का फैसला न केवल उनकी निजी बल्कि पूरे देश की क्षति है। महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण के आरोप में भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के प्रमुख बिरज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे विनेश फोगट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने 30 मई को हरिद्वार तक मार्च किया लेकिन अपने मेडल गंगा में फेंकने की अपनी धमकी पर अमल नहीं किया।
1983 की टीम ने कहा, "हम अपने चैंपियन पहलवानों के साथ हुई बदसलूकी के बेकार दृश्यों से परेशान हैं। हम इस बात से भी सबसे अधिक चिंतित हैं कि वे अपनी मेहनत की कमाई को गंगा नदी में बहा देने के बारे में सोच रहे हैं। उन मेडल्स को जीतने में वर्षों का प्रयास शामिल है। बलिदान, दृढ़ संकल्प और धैर्य केवल उनका ही नहीं बल्कि देश का गौरव और आनंद है। हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वे इस मामले में जल्दबाजी में कोई फैसला न लें और साथ ही उम्मीद करते हैं कि उनकी शिकायतों को सुना जाएगा और उनका जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा। देश के कानून को चलने दो।"
1983 क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य मदन लाल ने एएनआई से कहा, "दिल दहला देने वाला है कि उन्होंने अपने मेडल फेंकने का फैसला किया। हम उनके मेडल फेंकने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि पदक हासिल करना आसान नहीं है और हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि जितनी जल्दी हो सके इस मुद्दे को सुलझाएं।"
जब पहलवानों ने 28 मई को नए संसद भवन की ओर बिना अनुमति के मार्च किया, तो दिल्ली पुलिस ने उन्हें कानून और व्यवस्था का उल्लंघन करने के आरोप में हिरासत में ले लिया। पुलिस ने विरोध स्थल को भी साफ कर दिया और स्पष्ट रूप से कहा कि पहलवानों को जंतर-मंतर पर लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पहलवानों के खिलाफ पुलिस की इस कार्रवाई की जमकर आलोचना भी हुई।
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारतीय क्रिकेट टीम ने कपिल देव की कप्तानी में 1983 में क्लाइव लॉयड की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज को हराते हुए पहली बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया था। 25 जून, 1983 को लॉर्ड्स में हुए फाइनल में भारत की तरफ से सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ, के श्रीकांत, सैयद किरमानी, यशपाल शर्मा, मदन लाल, बलविंदर सिंह संधू, संदीप पाटिल, कीर्ति आजाद और रोजर बिन्नी खेले।