जब भारत-श्रीलंका मुकाबले में क्रिकेट हुआ शर्मसार

Updated: Thu, Feb 05 2015 06:03 IST

पाकिस्तान के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में शानदार जीत दर्ज कर भारत की टीम सेमीफाइनल में पहुंची थी और कोलकाता के ईडन गॉर्डन सेमीफाइनल मैच में भारत का मुकाबला श्रीलंका से था। 1996 का वर्ल्ड कप भारतीय उपमहाद्वीप में होने के कारण ऐसा माना जा रहा था 1996 वर्ल्ड कप में भारत की जीतने की संभावना प्रबल है । क्रिकेट दिग्गजों के अनुमान को सही साबित करते हुए भारत ने सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली थी। 

भारत ने वर्ल्ड कप 1996 में जो कुछ भी कमाया था वो सेमीफाइनल में श्रीलंका के साथ हुए मुकाबलें में अचानक धूमिल हो गया था। 13 मार्च 1996 को ईडन गॉर्डन के मैदान पर भारत और श्रीलंका की टीम सेमीफाइनल में एक दूसरे के सामनें थी। दोनों टीम फाइनल में जगह बनानें के लिए मैच में एड़ी चोटी का जोर लगाने के लिए मैदान पर उतरी थी।

भारत के कप्तान अजहर ने टॉस जीतकर पहले फिल्डिंग करने का फैसला किया था। अजहर को इस फैसले के कारण काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था। फिल्डिंग करने के पीछे अजहर ने ये तर्क दिया था कि श्रीलंका की टीम लक्षय का पीछा करने में काफी अच्छी है । लेकिन जब श्रीलंकन पारी की शुरूआत हुई तो भारतीय गेंदबाजों ने जयसूर्या समेत कालूवितरना और गुरुसिंहा का विकेट चटका कर अजहर के फैसले को काफी हद तक सही साबित किया। श्रीलंका के शुरूआत के 3 विकेट 35 रन पर गिर गए थे, लेकिन 1996 वर्ल्ड कप में शानदार फॉर्म में चल रहे अरविंद डि सिल्वा ने अपने बल्लेबाजी से तेजी से रन बनानें का सिलसिला कायम रखा था। डिसिल्वा ने रोशन महनामा के साथ चौथे विकेट के लिए 55 रनों की साझेदारी कर टीम को संतुलित स्थिति में लाने की कोशिश करी। 


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अरविंद डि सिल्वा जिस समय ब्लेलबाजी कर रहे थे ऐसा लग रहा था कि श्रीलंका के शुरूआती विकेट गिरने का इन पर कोई भी असर नहीं पड़ा था। लेकिन क्रिकेट में कभी भी कुछ घट सकता है । जिस समय रोशन महनामा और अरविंद डि सिल्वा श्रीलंकन पारी को तेजी से संवार रहे थे तभी भारत के बेहतरीन के स्पिनर अनिल कुंबले ने अरविंद डिसिल्वा को आउट कर भारत को बड़ी राहत पहुंचाई । डि सिल्वा आउट होने से पहले 47 गेंद पर 66 रनों की शानदार पारी खेली। अरिवंद के आउट होने के समय श्रीलंका का स्कोर 4 विकेट 84 रन था।

इसके बाद बल्लेबाजी करने आए कप्तान अर्जुन रणातुंगा ने महनामा का बखुबी साथ निभाया। लेकिन एक और मुसबित श्रीलंका का इंतजार कर रही थी। जब रोशन महनामा और अर्जुन राणातुंगा संभल कर पारी को आगे बढ़ा रहे थे तभी रोशन महनामा के पैरों की मांस पेशीयों में खिचाव होने के कारण उन्हें दुर्भागयवश रिटायर्ड हट होके पवेलियन जाना पड़ा। महनामा ने तब तक 101 गेंद पर 58 रन बना लिए थे। जिस समय महनामा रिटायर्ड हट होकर मैदान छोड़कर पवेलियन रवाना हुए थे उस वक्त तक श्रीलंकन टीम का स्कोर 37.2 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 182 रन था।  इसके बाद कप्तान अर्जुन रणतुंगा और हषण तिलकरत्ने के साथ मिलकर टीम श्रीलंका को सम्मानजनक स्थिति तक पहुंचाया और श्रीलंका ने 50 ओवरों में 251 रन बना लिए।  

फाइनल की टिकट के लिए जब भारत बल्लेबाजी करने उतरा तो नवजोत सिंह सिद्धू के रूप में जल्द ही भारत को बड़ा झटका। लेकिन पहला विकेट जल्दी गिर जाने के बाद  सचिन तेंदुलकर और संजय मांजरेकर ने मिलकर भारत की पारी को आगे बढ़ाने का काम जारी रखते हुए दूसरे विकेट के लिए शानदार 90 रनों की साझेदारी कर डाली। जब सचिन औऱ मांजरेकर मैदान पर बल्लेबाजी कर रह थे तो ऐसा लग रहा था कि भारत मैच बड़े ही आसानी से जीत जाएगा। लेकिन क्रिकेट में किस्मत की बाजी कब औऱ किस तरफ पलटेगी क्रिकेट में इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता है। सचिन तेंदुलकर जब 65 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे तभी जयसूर्या की एक घूमती गेंद पर गच्चा खा गए औऱ  विकेटकीपर कालूवितरना ने सचिन को स्टंप आउट कर पवेलियन की राह दिखा दी थी। तेंदुलकर के आउट होते ही भारतीय खेमें में मानों खलबली सी मच गई थी। सचिन के आउट होने के बाद टीम भारत के स्कोर में केवल एक रन ही जुड़ा था तभी बल्लेबाजी करने आए अजहर बिना कोई रन बनाए आउट हो गए थे। अजहर के आउट होने के बाद एक के बाद एक विकेट भारत के ऐसे गिरने लगे जैसे आंधी में पेंड़ के पत्ते उड़ रहें हो । भारतीय बल्लेबाज विनोद कांबली एक छोर पर खड़े हुए भारतीय विकेटों का पतन देख रहे थे। भारत के 7 विकेट केवल 22 रन पर गिर गए थे।। एक तरफ जहां भारत की टीम का स्कोर 98 रन पर एक विकेट था वहीं टीम भारत का स्कोर 8 विकेट पर 120 रन हो गया था।

सनथ जयसूर्या की स्पिन बॉलिंग के सामने भारतीय बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी थी। जयसूर्या ने अपने किए केवल 7 ओवरों में एक मेडन ओवर के साथ सिर्फ 12 रन खर्चकर 3 भारतीय बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा था। भारतीय टीम के विकेटों के पतन को वहां मौजूद क्रिकेट दर्शक हजम नहीं कर पाए और दर्शक स्टेडियम में उपद्रव माचाने लगे थे। दर्शक अपने सीट के आस – पास आग लगाने लगे थे , बोतलों को मैदान पर फैंक कर अपने गुस्से का इजहार करने लगे थे। दर्शकों का हुड़दंग इस कदर बढ़ गया था कि  मैच रैफरी क्लाइव रॉयड ने दोनों टीमों को मैदान से बाहर बुला लिया गया था। 15 मिनट के बाद जब मैच को फिर से शुरू करने की कोशिश की गई तो भी स्टेडियम का माहौल पहले के जैसा ही था। क्लाइव लॉय़ड ने स्टेडियम के माहौल का जायजा लेने के बाद श्रीलंका को मैच का विजेता घोषित कर दिया था। हार के बाद मैदान से वापस लौटते हुए विनोद कांबली का रोना भी इस मैच में चर्चा का विषय बना, और इसे लेकर कांबली की बहुत आलोचना हुई। सेमीफाइननल मैच में श्रीलंकाई बल्लेबाज अरविंद दिसिल्वा को मैन ऑफ द मैच से नवाजा गया था।

सेमीफाइनल में भारत की यह हार आज भी भारतीय क्रिकेट के वनडे इतिहास में सबसे खराब प्रदर्शन में गिना जाता है। 1987 वर्ल्ड कप के बाद ये दूसरा मौका था जब भारत अपने घरती पर खेलते हुए वर्ल्ड कप के फाइनल में जाने से रह गई थी। 
 

विशाल भगत/CRICKETNMORE   

 

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