वाकई चैंपियन की तरह खेला था भारत

Updated: Fri, Feb 06 2015 04:55 IST

2011 वर्ल्ड कप भारत के सरजमीं पर होने से भारत के ऊपर वर्ल्ड कप में बेहतर परफॉर्मेंस करने का दबाव था। भारतीय टीम को वर्ल्ड कप जीतने का सबसे मजबूत दावेदारों में गिना जा रहा था। खासकर मीडिया ने भारत को लेकर इतना ज्यादा शोर कर दिया गया था कि भारत के खिलाड़ियों के ऊपर वर्ल्ड कप में बढ़िया प्रदर्शन करने का दबाव साफ झलक रहा था। हालांकि भारत ने ही वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले अपने प्रदर्शन से ऐसी उम्मीद जगाई थी। 

2011 वर्ल्ड कप में भारत की टीम में युवा और अनुभव का बेहतर तालमेल था। सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग ने भारत के लिए ओपनिंग बल्लेबाजी की जिम्मेदारी संभाली तो मध्य क्रम में गौतम गंभीर, विराट कोहली , युवराज सिंह,सुरेश और खुद कप्तान धोनी के साथ – साथ गेंदबाजी में जहीर खान , हरभजन सिंह , मुनफ पटेल , आशीष नेहरा, रविचंद्रन अश्विन ने अपने अच्छे प्रदर्शन के बल पर भारतीय टीम को शुरूआती मैच जीताकर क्वार्टर फाइनल तक आसानी से पहुंचा दिया था।

अहमदाबाद में डिफेंडिंग चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल खेलते हुए भारत ने सही मायने में अपने खेल से क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद की कल्पना के सागर में गोते लगवाने के लिए मजबूर कर दिया था। मैच में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने शानदार शतक 104 रन बनाकर भारत के सामने 260 रन की मुश्किल चुनौती पेश करी पर भारत के महान बल्लेबाज तेंदुलकर ने अपने बल्ले का मनलुभावन कारनामा दिखाकर भारत को शानदार शुरूआत दी तेंदुलकर ने 68 गेंद पर 53 रन बनाएं तो साथ ही गौतम गंभीर ने भी अर्धशतक ठोक कर ऑस्ट्रेलिया के लिए हार की तस्वीर तैयार कर दी थी। पूरे वर्ल्ड कप में अपने खेल से असाधारण परफॉर्मेंस करने वाले युवराज सिंह ने बाकि का काम करते हुए 65 गेंद पर 57 रन बनाकर भारत को 5 विकेट से शानदार जीत दिला दी। युवराज के इस शानदार फॉर्म को देखते हुए कंगारू कप्तान ने मैच के बाद यहां तक कह दिया था कि वर्ल्ड कप 2011 में भारत के विजय अभियान को रोकना अब असंभव है।

भारतीय क्रिकेट में यदि सबसे रोमांचकारी मुकाबले के बारे में सोचा जाता है तो भारत और पाकिस्तान के बीच के मुकाबले का विश्व क्रिकेट में कोई सानी नहीं है। 2011 के सेमीफाइनल में जब दोनों टीम आमने – सामने मोहाली के मैदान पर भिड़ी तो दोनों देश के  राजनेता से लेकर क्रिकेट प्रशंसकों के बीच मैच को लेकर रोमांच चरम पर था। पाकिस्तान के खिलाफ एक बार फिर सचिन तेंदुलकर गेंदबाजों पर भारी पड़े। वैसे तो पाकिस्तानी फिल्डरों ने 4 बार तेंदुलकर का कैच छोड़कर अपने टीम के लिए खुद गड्ढा खोद दिया था। वर्ल्ड क्रिकेट के सबसे महान बल्लेबाज को 4 बार आउट करने का मौका खोना पाकिस्तान के लिए एक बार फिर वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की हार तय कर दी। सचिन तेंदुलकर के 85 रन की बेहद शानदार पारी का अंत शाहिद अफरीदी ने किया। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 260 रन बनाएं। 260 रन के लक्ष्य को पाकिस्तान की टीम हासिल नहीं कर पाई और भारत ने एक बार फिर वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ नहीं हारने का रिकॉर्ड बनाएं रखा। 

पाकिस्तान को हराकर मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका और भारत की टीम आमनें – सामनें थी। लगभग 28 साल के बाद भारत वर्ल्ड कप फाइनल में था। सभी क्रिकेट प्रशंसकों के लिए भारतीय टीम ने कभी न भुलने वाले वक्त की पटकथा तैयार कर दी थी। 

श्रीलंका ने विवादित टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय किया। जहीर खान ने बेहद ही शानदार गेंदबाजी कर श्रीलंका को शुरूआत में रन बनानें के लिए एड़ी चोटी का काम करना पड़ा। पहले 10 ओवर में श्रीलंका के केवल 31 रन 1 विकेट के नुकसान पर बन पाए थे। 

वर्ल्ड कप के फाइनल में किसी भी बल्लेबाज या गेंदबाज के द्वारा अपने टीम के लिए खास परफॉर्मेंस करना किसी भी खिलाड़ी के लिए सबसे बेहतरीन पल होता है। श्रीलंका के महेला जयवर्धने ने ऐसा ही कारनामा करते हुए बेहतरीन पारी खेलकर श्रीलंका को शुरूआती झटकों से बाहर निकालकर भारत के सामने कड़ी चुनौती पेश की। महेला जयवर्धने ने नाबाद 103 रन की पारी  श्रीलंका को 274 रन के स्कोर तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया।

भारत के लिए क्रिकेट के सबसे बड़े महाकुंभ पर विजय प्राप्त करने के सपने को साकार करने के लिए जब भारत की टीम बल्लेबाजी करने ऊतरी तो सहवाग और तेंदुलकर की सलामी जोड़ी को लसिथ मलिंगा ने जल्द पवेलियन भेजकर वानखेड़े पर मौजूद सभी क्रिकेट प्रशंसकों को बड़ा आघात दिया। श्रीलंका की टीम भारत पर दबाव बनानें की हर एक संभव कोशिश करने में लगी रही तो दूसरी तरफ गौतम गंभीर ने अपने वनडे करियर का बेहद ही शानदार पारी खेलकर भारत को बड़ी राहत दी। गंभीर ने 97 रन की बेहतरीन पारी खेली थी और भारत को मुश्किल से निकालकर जीत की राह तैयार की थी। भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 79 गेंदों में नाबाद 91 रन की पारी खेली और विजयी छक्का लगाकार 28 साल बाद वर्ल्ड कप भारत के नाम किया। 

जब महेंद सिंह धोनी ने कुलसेकरा  की गेंद पर छक्का जड़ा तो वानखड़े स्टेडियम में मौजूद दर्शकों के साथ – साथ भारतीय खिलाड़ियों के ऊपर असीम भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा था। 28 साल बाद धोनी के नेतृत्व में भारत एक बार फिर वर्ल्ड चैम्पियन बन गया।

पूरे टूर्नामेंट में युवराज सिंह ने कमाल की परफॉर्मेंस करते हुए 9 मैच में 362 रन बनानें के साथ – साथ 15 विकेट झटक कर मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम किया था। गेंदबाजी में भी जहीर खान भारत के तरफ से सबसे सफलतम गेंदबाज रहें। खान ने 9 मैच में 18.76 के गेंदबाजी औसत के साथ 21 विकेट पर अपना कब्जा किया था।
वैसे भारत के तरफ से वर्ल्ड कप जैसे टूर्नामेंट में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपने बल्ले से फिर से कमाल किया और 9 मैच में 482 रन बनाकर भारत के तरफ से सबसे ज्यादा रन बनानें वाले बल्लेबाज साबित हुए। इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में वह दूसरे नंबर पर थे। नंबर वन पर श्रीलंका के तिलकरत्ने दिलशान थे जिन्होंने सचिन से 18 रन ज्यादा कुल 500 रन बनाए थे। 

 

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