ऑस्ट्रेलिया से 1 फरवरी की उस हार का बदला लेना चाहेगी न्यूजीलैंड की टीम

Updated: Sat, Mar 28 2015 06:31 IST

28 मार्च, दिल्ली (Cricketnmore) 29 मार्च 2015 को ऑस्ट्रेलिया के एतिहासिक मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच वर्ल्ड कप 2015 का खिताबी भिड़ंत होगी। वर्ल्ड कप के इतिहास में जहां न्यूजीलैंड टीम को पहली बार वर्ल्ड कप का फाइनल खलने का मौका मिलेगा तो वहीं ऑस्ट्रेलिया की टीम सातवीं बार वर्ल्ड कप का फाइनल खेलने उतरेगी।

क्रिकेट के मैदान में जब कभी भी न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की टीम आमनें – सामनें होती है तो दोनों देशों के लिए क्रिकेट का रोमांच चरम पर तो होता ही है पर खासकर न्यूजीलैंड टीम के लिए एक ऐसी कड़वी याद मैच में न्यूजीलैंड खिलाड़ियों के साथ - साथ चलती रहती है जो हमेशा न्यूजीलैंड को तड़पा देती है। जिससे निजात पाने का एक ही उपाय है वर्ल्ड कप के फाइनल में जीत।


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न्यूजीलैंड के इस कड़वे एहसास के पीछे एक ऐसी घटना है जो न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट को मजेदार और रोचक बनाती है। वह घटना 1 फरवरी 1981 को मेलबर्न के ही क्रिकेट ग्राउंड पर घटी थी। वो हार आजतक न्यूजीलैंड क्रिकेट को सताती है।

1981 में बेंसन एंड हेजेज वर्ल्ड सीरीज कप के फाइनल में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की टीम मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर आमनें- सामनें थी। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ग्रेग चैपल ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम ने ग्रेग चैपल के नॉट – आउट 90 रन और ग्रैमी वुड की 72 रनों की पारी के बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवर में 4 विकेट पर 235 रन का लक्ष्य न्यूजीलैंड के सामने रखा।

न्यूजीलैंड के ओपनर बल्लेबाज ब्रूस एडगर ने शतक लगाकार मैच को लक्ष्य के बिल्कुल करीब पहुंचा दिया। ब्रूस एडगर ने मैच को अंतिम ओवर में पहुंचाकर ऑस्ट्रेलिया की हार का रास्ता तैयार कर दिया था। लेकिन मैच का वह आखरी ओवर वर्ल्ड क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसी कहानी लिखने वाला था जो क्रिकेग के ऊपर एक दाग से कम नहीं थी। उस आखिरी ओवर में जो हुआ उससे क्रिकेट प्रेमियों के दिल में क्रिकेट के जेंटलमैन गेम होने को लेकर शक पैदा कर दिया था।

उस आखिरी ओवर में हुआ यूं न्यूजीलैंड को जीत के लिए 15 रन की जरूरत थी। बल्लेबाजी करने के लिए ब्रूस एडगर 102 रन बनाकर नॉन स्ट्राइक पर खड़े थे तो स्ट्राइक पर रिचर्ड हैडली गेंदबाज ट्रेवर चैपल की गेंद का सामना करने के लिए तैयार थे।

अंतिम ओवर की पहली गेंद- हेडली ने लॉग ऑन पर चौका जड़ दिया। 
अब न्यूजीलैंड को जीत के लिए 5 गेंद पर 11 रन की जरूरत।

दूसरी गेंद - हेडली को एलबीडब्लू आउट कर ट्रेवर चैपल ने न्यूजीलैंड की उम्मीद को बड़ा झटका दिया।

हेडली के आउट होने के बाद बल्लेबाजी करने आए इयन स्मिथ ,न्यूजीलैंड को जीत के लिए अब 4 गेंद पर 11 रन की जरूरत।

तीसरी गेंद-  इयन स्मिथ ने ट्रेवल की फुलटॉस गेंद को मिड- विकेट के ऊपर से मारने की कोशिश की जिसमें स्मिथ नाकाम रहे और गेंद सही तरह से बैट पर नहीं लगी , जिससे तीसरी गेंद पर सिर्फ 2 रन ही बन सका।

अब न्यूजीलैंड को 3 गेंद पर 9 रन की जरूरत। दर्शकों में रोमांच चरम पर पहुंच गया। 

चौथी गेंद- इयन स्मिथ ने कदमों का इस्तमाल करते हुए गेंद को सीमा- रेखा के बाहर भेजने की कोशिश की पर एक बार फिर नाकाम रहे और गेंद बैट का बाहरी किनारा लेते हुए फाइन लेग की तरफ चली गई, और इस गेंद पर भी 2 रन ही बन पाया। अब न्यूजीलैंड को जीत के लिए 2 गेंद पर 7 रन की जरूरत थी। दर्शकों की धड़कन तेज होने लगी., हर कोई टकटकी लगाए मैच देख रहा था।

पांचवीं गेंद- बेहद ही तनाव वाले समय में ट्रेवल ने अक्लमंदी से काम किया और  इयन स्मिथ को छोटी गेंद डाली जिसे स्मिथ अच्छी तरह पढ़ नहीं पाए और बोल्ड हो गए। इयन स्मिथ के आउट होते ही न्यूजीलैंड की टीम के लिए हताशा लेकर आया खासकर दूसरे छोर से विकटों का पतन देखने वाले शतकवीर ब्रूस एडगर के लिए ये सब देखना किसी बड़े सदमें से कम ना था।

अब न्यूजीलैंड को 1 गेंद पर 7 रन की जरूरत थी तो वहीं मैच को टाई करने के लिए 6 रन की ।
इसी दौरान ऑस्ट्रेलियन कप्तान ग्रेग चैपल और गेंदबाज भाई ट्रेवल चैपल के साथ सलाह करने लगे। उस छोटी सी बातचीत के बाद वहां मौजूद दर्शकों के साथ – साथ क्रिकेट पंडितों के बीच क्रिकेट की एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली जिससे क्रिकेट जगत खुद भौच्चका रह गया था। 

ऐसी नौबत इसलिए आई क्योंकि ऑस्ट्रेलियन कप्तान ग्रेग चैपल ने ट्रेवल की अंतिम गेंद पर छक्का ना पड़े इससे बचने के लिए अंडर आर्म गेंद डालने के लिए अपने गेंदबाज को कहा।
 

अंतिम गेंद - ऐसा करने पर सामने खड़े बल्लेबाज ब्रायन मस्केचनिए इस तरह के गेंद को खेलने के लिए तैयार नहीं थे। अंपायर ने ब्रायन मस्केचनिए के ऊपर दबाव डाला और हार – कर मस्केचनिए को अंडर आर्म गेंद खेलनी पड़ी जिसे ब्रायन ने मैच खत्म की औपचारिकता मान खेला।

ग्रैग चैपल के इस फैसले की चौतरफा आलोचना हुई। इस मैच में ग्रैग के बड़े भाई इयान चैपल कमेंट्री कर रहे थे और जब मैदान पर ये सब होने जा रहा था तब वह कमेंट्री बॉक्स में चिल्ली रहे थे "नहीं ग्रैग नहीं ऐसा मत करो"।  

उस 1  फरवरी  1981 की यादें आज भी न्यूजीलैंड क्रिकेट में किसी गहरे घाव की तरह है जो भरे नहीं भरता।

तो 2015 का फाइनल उस याद को हमेशा के लिए दफन कर देगा जिससे न्यूजीलैंड क्रिकेट आज तक उबर नहीं पाया है। ब्रेंडन मैक्लम एंड कम्पनी के लिए 29 मार्च का दिन उस कड़वी याद और हताशा को खत्म करने का सुनहरा मौका होगा।
 

विशाल भगत (Cricketnmore)

 

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