धर्मशाला टेस्ट मैच से पहले कोर्ट ने किया बीसीसीआई को मजबूर, देनी पड़ेगी ये बड़ी रकम

Updated: Fri, Mar 24 2017 23:44 IST

नई दिल्ली, 24 मार्च (CRICKETNMORE): सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से हिमाचल प्रदेश राज्य क्रिकेट संघ (एचपीसीए) को भारत और आस्ट्रेलिया के बीच चौथा टेस्ट मैच आयोजित कराने के लिए ढाई करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है। विराट कोहली ने लताड़ा ऑस्ट्रेलियाई मीडिया को

दोनों देशों के बीच यह मैच शनिवार से शुरू होगा। 

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाय चंद्रचूड़ की पीठ ने एचपीसीए को ढाई करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है। 

अदालत ने कहा, "बीसीसीआई को यह आदेश दिया जाता है कि वह अनुंबध के मुताबिक राज्य संघों को एकदिवसीय और टेस्ट मैचों की मेजबानी के लिए पैसा का आवंटन करे ताकि मैचों के आयोजन में कोई बाधा नहीं आए।"

अदालत ने कहा कि बीसीसीआई आईपीएल के आयोजन के लिए किए गए अनुबंध का प्रतिबद्धता से पालन करे। आईपीएल के दसवें संस्करण की शुरुआत पांच अप्रैल से हो रही है जिसके मैच 10 जगह आयोजित किए जाएंगे। 

पीठ ने कहा, "अनुबंध के बाद नियमों का पालन करते हुए बीसीसीआई को अनुबंध की शर्तो को पूरा करना चाहिए। यह कहने की जरूरत नहीं है। जब हम कहते हैं कि बीसीसीआई को अनुबंध को लेकर प्रतिबद्धता निभानी चाहिए तो इसका गंभीरतापूर्वक पालन होना चाहिए।"

बीसीसीआई को एचपीसीए, अन्य राज्य संघों और आईपीएल के प्रति अनुबंध की शर्ते निभाने की बात कहते हुए अदालत ने अपने 20 जनवरी 2017 के फैसले को दोहराया जिसमें उसने कहा था कि एक अधिकारी सिर्फ नौ साल तक ही बीसीसीआई और राज्य संघ में रह सकता है। 

पीठ ने कहा, "हमारे लिए इस अदालत द्वारा दिए गए निर्देश और आदेश साफ हैं। अगर किसी अधिकारी ने बीसीसीआई में नौ साल पूरे कर लिए हैं तो वह दोबारा बीसीसीआई के लिए अयोग्य है। इसी तरह अगर किसी अधिकारी ने राज्य संघ में नौ साल पूरे कर लिए हैं तो वह भी राज्य संघ में दोबारा नियुक्त किए जाने के लिए अयोग्य है।"

अपने फैसले को विस्तार से समझाते हुए अदालत ने कहा, "किसी तरह की परेशानी को दूर करते हुए हम एक उदाहरण देते हुए बताते हैं कि अगर किसी अधिकारी ने एक राज्य संघ में नौ साल बिताए हैं तो वह बीसीसीआई में काम करने के लिए अयोग्य नहीं है।"

कोर्ट का यह स्पष्टीकरण अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के उस बयान के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा कि 20 जनवरी को स्पष्ट होने जाने के बाद प्रशासकों की समिति जो इस समय बीसीसीआई का कार्यभार संभाल रही है वह इसे लेकर स्पष्ट नहीं है। 

अटॉर्नी जनरल रेलवे, विश्वविद्यालय संघ की तरफ से पेश हुए थे। यह लोग बीसीसीआई में मताधिकार छीने जाने के फैसले पर अदालत से पुनर्विचार चाहते हैं। 

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