ऐसे हुई सचिन की बादशाहत की शुरूआत
विल्स वर्ल्ड कप 1996 में भारतीय टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। भारत के इस बड़े टूर्नामेंट में शानदार परफॉर्मेंस करने के पीछे जो वजह रही वो भारत के एक युवा बल्लेबाज के द्वारा पूरे टूर्नामेंट में किया गया परफॉर्मेंस रहा था। 1996 वर्ल्ड कप में सचिन रमेश तेंदुलकर ने अपनी बल्लेबाजी से जो छाप छोड़ी उससे उन्होंने पूरे क्रिकेट जगत में अपनी बादशाहत कायम कर ली।
सचिन तेंदुलकर की बादशाहत की शुरूआत 1996 वर्ल्ड कप में पहले ही मैच से शुरू हो गई थी जब भारत की टीम वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में अपना पहला मैच केन्या के खिलाफ कटक के स्टेडियम में 18 फरवरी को खेलने उतरी। उस मैच में कप्तान अजहर ने टॉस जीतकर पहले फिल्डिंग करने का निर्णय लिया और टूर्नामेंट की कमजोर माने जानी वाली टीम केन्या को 199 रनों पर रोक दिया। इसके बाद सचिन ने शानदार बल्लेबाजी करी और अपने बल्ले से जो कहर केन्याई गेंदबाजों पर ढ़ाया उससे केन्या की टीम का सूपड़ साफ हो गया । तेंदुलकर ने धमाकेदार बल्लेबाजी करते हुए शानदार शतक जड़ा और केवल 138 गेंद पर 127 रन पर नॉट आउट रहकर टीम भारत को वर्ल्ड कप 96 में पहली जीत दिलाई। सचिन तेंदुलकर के शानदार शतक के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया।
सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी का कारनामा आगे बढ़ा औऱ अगले लीग मैच में वेस्टइंडीज जैसी बड़ी टीम के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी करके भारतीय टीम को मैच जीताने में मुख्य भूमिका निभाई।
21 फरवरी 1996 को ग्वालियर के मैदान पर हुए मैच में भारत के गेंदबाजों ने बेहतरीन परफॉर्मेंस करके वेस्टइंडीज की टीम को 173 रनों पर बांधकर रख दिया। लेकिन वेस्टइंडीज की टीम जो हमेशा से अपने बेहतरीन तेज गेंदबाजों के लिए जानी जाती थी उनके सामनें 174 रनों के लक्ष्य को हासिल करना भी इतनी आसान बात नहीं थी। कर्टनी वॉल्श, एम्ब्रोज और बिशप जैसे धार – धार तेज गेंदबाजों के सामने भारत की शुरूआत बेहद ही खराब रही और दो विकेट 15 रन के योग पर गिर गए। इसके बाद एक बार फिर सचिन तेंदुलकर ने वेस्टइंडीज के गेंदबाजों का संघर्ष के साथ सामना करते हुए मैच को कप्तान अजहर के साथ मिलकर बचा ले गए। सचिन तेंदुलकर ने 91 गेंद पर 70 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली जिसके बदौलत भारत ने वेस्टइंडीज को 5 विकेट से हराया था।
जरूर पढ़ें ⇒ वेस्टइंडीज की हार के हीरो बने शेन वॉर्न
सचिन के होम ग्राउंड मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत का अगला मुकाबला उस समय की बेहद ही शानदार टीम ऑस्ट्रेलिया से हुआ था। 27 फरवरी को हुए उस मैच में हालांकि भारत ऑस्ट्रेलिया से 16 रन से हार गया पर इस मैच में भी अपने बल्ले के कारनामें से सचिन तेंदुलकर ने सभी क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया। सचिन तेंदुलकर ने केवल 84 गेंद का सामना करते हुए 90 रनों की दार्शनिक पारी खेली जिसमें 14 चौके और 1 छक्का शामिल था।
2 मार्च 1996 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में एक बार फिर सचिन तेंदुलकर ने श्रीलंका जैसी टीम के साथ बेजोड़ बल्लेबाजी करते हुए टूर्नामेंट में अपना दूसरा शतक जड़ा। सचिन तेंदुलकर ने 137 गेंद पर 137 रन की शानदार पारी खेली। अपनी इस जबरदस्त पारी के दरम्यान सचिन तेंदुलकर ने 8 चौके और 5 आसमानी छक्के जड़े। हालांकि सचिन तेंदुलकर की इस अतिशी बल्लेबाबाजी के बाद भी भारत श्रीलंका से 6 विकेट से हार गया पर सचिन के इस पारी ने उनको वर्ल्ड के समकालीन बल्लेबाजों की सूची में अव्वल स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया। सचिन तेंदुलकर का 137 रन उस समय तक अपने खेले वनडे मैचों में उनका सर्वाधिक स्कोर था।
6 मार्च 1996 को सचिन जिम्बाब्वें के खिलाफ हुए मैच में असफल रहे और केवल 3 रन ही बना पाए और साथ ही 9 मार्च को हुए अपने चिरप्रतिदवंदी पाक्सितान के खिलाफ मैच में भी सचिन तेंदुलकर का बल्ला खामोश रहा और वह केवल 31 रनों का ही योगदान दे पाए।
13 मार्च 1996 को कोलकाता के ईडन गार्डन पर सेमीफाइनल मैच हालांकि विवादों के साएं में आ गया पर उस मैच में भी सचिन तेंदुलकर ने 65 रनों का योगदान दिया था। सचिन सेमीफाइनल मैच में स्टंप आउट हो गए भारतीय टीम ताश के पत्तों की तरह ढह जिससे वहां मौजूद दर्शकों ने जमकर हंगामी किया और मैच को पूरा नहीं होने दिया।
सचिन तेंदुलकर ने विल्स वर्ल्ड कप 1996 में अपने खेले 7 मैचों के 7 पारियों में 87.17 की बल्लेबाजी औसत के साथ बल्लेबाजी करते हुए 523 रन बनाएं थे जिसमें 3 अर्धशतक और 2 शानदार शतक शामिल था। सचिन वर्ल्ड कप 1996 में एक मैच में नॉट आउट भी रहे थे। सचिन तेंदुलकर के इन्हीं परफॉर्मेंस के कारण 1996 वर्ल्ड कप में मैन ऑफ द सीरीज के रूप में चुना गया था।
विशाल भगत/CRICKETNMORE