अन्य खेलों में भी क्यों न लागू हों लोढ़ा समिति की सिफारिशें: सर्वोच्च अदालत
नई दिल्ली, 23 जनवरी| देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को केन्द्र सरकार से पूछा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में प्रशासिक सुधार के लिए लोढ़ा समिति की सिफारिशों को अन्य खेल संस्थाओं में भी क्यों नहीं लागू किया जाना चाहिए ? अदालत ने इस मुद्दे पर अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वाले खिलाड़ियों द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा है। इस याचिका में पूर्व हॉकी खिलाड़ी अशोक कुमार का नाम भी शामिल है। न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन.वी. रामाना और न्यायमूर्ति डी.वाय. चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने याचिक पर केन्द्र सरकार की प्रतिक्रिया मांगी है। VIDEO: लाइव मैच में युवराज हुए खतरनाक बाउंसर के शिकार, दर्द देखकर कोहली भी डरे
इस याचिका पर नोटिस देते हुए खंडपीठ ने इसे बीसीसीआई का मुद्दा भी बताया है। इसके अलावा अदालत ने भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) को इस मामले में नोटिस जारी किया है। एथलेटिक्स, हॉकी, क्रिकेट और अन्य खेलों के जाने-माने खिलाड़ियों ने मांग की है कि लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों के अन्य खेल संघों में भी लागू किया जाए।
अशोक कुमार के अलावा हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यान चंद के बेटे के साथ-साथ एम.के. कौशिक, अश्विनी नाचप्पा, गुरबक्श सिंह ग्रेवाल, बलबीर सिंह ग्ररेवाल, बिशन सिंह बेदी, किर्ती आजाद, जोएकिम कारलाल्हो, वंदना राव, इडवर्ड स्केवरा, एस.एस नारायण, फुर्चुनेट फ्रांको, निशा मिलेट, प्रवीण थिपसे, भाग्यश्री थिपसे, रेखा बिधे शामिल हैं।
संन्यास लेने के बाद भी यह दिग्गज बना साल का सर्वश्रेष्ठ टी-20 खिलाड़ी
इस याचिका में राष्ट्रीय खेल विकास अधिनियम में बदलाव कर सर्वोच्च अदालत द्वारा नियुक्त की गई आर.एम. लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने बात कही है। याचिका दायर करने वाले पूर्व खिलाड़ियों का कहना है कि लोढ़ा समिति की सिफारिशें की खेल प्रशासन में बड़े पैमाने पर जरूरत है ताकि राष्ट्रीय खेल महासंघों में एकता और पारदíशता लाने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने अदालत ने कहा, "राष्ट्रीय खेल महासंघों में अच्छे प्रशासन की सीधा संबंध भारत में खेल के विकास से है। साथ ही इसका संबंध भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार से भी है।"