श्रीलंका वाकई चैंपियन की तरह खेली थी

Updated: Fri, Feb 06 2015 14:17 IST

1996 का वर्ल्ड कप विवादों के सांए में शुरू हुआ,वर्ल्ड कप से 15 दिन पहले ही कोलंबो में स्थित सैंट्रल बैंक को उग्रवादी संगठन एलटीटीई के उग्रवादियों ने उड़ा दिया। माना जा रहा था कि श्रीलंका के हाथों से मैच की मेजबानी जा सकती है लेकिन श्रीलंका की सरकार द्वारा ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराने के बाद आईसीसी श्रीलंका में मैच कराने के लिए राजी हो गई। 

श्रीलंका को ग्रुप राउंड के 4 मैचों की मेजबानी मिली थी और इन चार मैचों में श्रीलंका को ऑस्ट्रेलिया,वेस्टइंडीज,केन्या और जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच खेलने थे। कोलंबों में हुए एलटीटीई के अटैक के बाद ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के क्रिकेट बोर्ड ने वहां अपनी टीम भेजने से मना कर दिया। अंत में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज श्रीलंका में खेलने नहीं गई और दोनों ही मैच में वॉकओवर के द्वारा श्रीलंका को जीत मिल गई। श्रीलंका की टीम को बिना कोई मैच खेले ही क्वार्टर फाइनल में जगह मिल गई थी। अपने देश में केन्या और जिम्बाब्वे के खिलाफ हुए मैचों में श्रीलंका ने आसानी से जीत हासिल करी। श्रीलंका का एक मैच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में भारत के खिलाफ हुआ जिसे उसने बड़ी आसानी से 6 विकेट से जीत लिया और 5 मैचों में 5 जीत के साथ अपने टेबल में टॉप किया। 


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इस वर्ल्ड कप में श्रीलंका ने 15 ओवरों  फिल्डिंग रिस्ट्रेक्शन का फायदा उठाने का नया ट्रेंड शुरू किया। श्रीलंका के लिए सनथ जयसूर्या और रोमेश कालूवितरना की सलामी जोड़ी इन 15 ओवरों में शानदार शॉट लगाकर खूब रन बटोर रही थी। श्रीलंका ने यही तेजी इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में दिखाई और शुरूआत झटकों के बाद भी  121 रन बना डाले। क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड की टीम ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करते हुए 235 रन का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। श्रीलंका ने तेज बल्लेबाजी करी और सनथ जयसूर्या के शानदार अर्धशतक की बदौलत श्रीलंका ने 9 ओवर बाकी रहते हुए 5 विकेट के नुकसान पर 236 रन बनाकर आसानी से मैच जीत लिया। 

इसके बाद कोलकाता के ईडन गार्डन में हुए सेमीफाइनल में श्रीलंका का मुकाबला भारत के साथ हुआ। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और 1 रन के कुल स्कोर पर ही श्रीलंका के दोनों सलामी वापस पवेलियन लौट गए। लेकिन श्रीलंका ने शुरूआती ओवर में तेज खेलने की अपनी स्ट्रेटजी जारी रखी और 15 ओवर में 86 रन ठोक ठाले। अरविंद डि सिल्वा ( 66 रन) और रोशन महानामा (58 रन) के शानदार अर्धशतकों की बदौलत ने श्रीलंका की पारी को संभाला और निर्धारित 50 ओवरों में 8 विकेट के नुकसान पर 251 रन बना लिए। 

इसके जबाव मे भारत की शुरूआत शानदार रही और भारत ने 2 विकेट के नुकसान पर 98 रन बना लिए। तब लग रहा था कि भारत बड़ी आसानी से मैच जीत लेगा। लेकिन सचिन तेंदुलकर (65 रन) के आउट होते ही भारत की पारी पूरी तरह लड़खड़ा गई और भारत का स्कोर 34.1 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 120 हो गया। भारत की ऐसी हालत देखकर मैदान में मौजूद भारतीय दर्शकों का गुस्सा फूट पड़ा और वह मैदान में पानी की बोतले और अन्य चीजें फेंकने लगे। दर्शक इतने गुस्से में थे कि उन्होंने एक स्टैंड में आग भी लगा दी थी। मैच को करीब 20 मिनट रोका गया लेकिन दर्शक शांत नहीं हुए जिसके चलते मैच रैफरी क्लाइव लॉयड ने श्रीलंका को मैच में विजयी घोषित कर दिया।
वहीं दूसरा सेमीफाइनल श्रीलंका औऱ वेस्टइंडीज के बीच हुआ। शेन वॉर्न की जादुई गेंदबाजी की बदौलत बेहद ही रोमांचक मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज को 5 विकेट से हरा दिया। 

लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में फाइनल मुकाबले के लिए श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया की टीम आमनें सामनें थी। टॉस हारकर ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाजी करने उतरी और कप्तान मार्क टेलर के शानदार अर्धशतक और रिकी पॉन्टिंग औऱ माइकल बेवन की उपयोगी पारियों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट पर 241 रन बना लिए थे। 

]इसके जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी श्रीलंका की शुरूआत खराब रही औऱ सलामी बल्लेबाज सनथ जयसूर्या और रोमेश कालूवितरना सस्ते में आउट हो गए और श्रीलंका का स्कोर 2 विकेट पर 23 रन हो गया। इसके बाद अरविंदा डि सिल्वा और गुरूसिंहा ने श्रीलंका की पारी को संभाला और तीसरे विकेट के लिए 125 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी करी। डि सिल्वा ने शानदार शतक लगाया और नाबाद 107 रन की पारी खेली, वहीं गुरूसिंहा ने अर्धशतक लगाते हुए 67 रन बनाए। अंत में कप्तान अर्जुना राणातुंगा ने नाबाद 47 रन की बदौलत श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को 7 विकेट से हरा दिया और पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनी। श्रीलंका के सनथ जयसूर्या को उनके आक्रामक और ऑलराउंड खेल के चलते उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया। 

सौरभ शर्मा/CRICKETNMORE

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