अरुण लाल बर्थडे: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर, जिनके 'खून' में क्रिकेट
अरुण लाल ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से ज्यादा घरेलू क्रिकेट में कमाल किया। वह, रणजी ट्रॉफी के सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में पांचवें स्थान पर हैं, जहां उन्होंने 6760 रन, 53.23 की औसत से बनाए। दिल्ली के लिए छह सीजन खेलने के बाद, उन्होंने अपनी किस्मत आजमाने के लिए 1980-81 में बंगाल का रुख किया, जो उनके लिए सही फैसला साबित हुआ।
27 साल की उम्र में, देरी से ही सही, उन्हें श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट टीम में जगह मिली और उन्होंने अपनी पहली पारी में 63 रन बनाकर प्रभावित किया। पाकिस्तान दौरे पर उनका प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा, जहां कई अनुभवी खिलाड़ी भी इमरान खान के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे। अगले चार साल उन्होंने इंतजार में बिताए, लेकिन 1986-87 में उन्होंने रणजी क्वार्टर फाइनल और दलीप ट्रॉफी के सेमीफाइनल में दो बार 287 रन बनाकर धमाकेदार वापसी की।
अरुण लाल के लिए अगला बड़ा मौका पाकिस्तान के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में जगह मिलने पर आया, जहां उन्होंने दो अर्धशतक जड़कर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। सुनील गावस्कर के संन्यास के बाद, अरुण को लगातार 11 टेस्ट खेलने का मौका मिला। उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ कोलकाता में अपना सर्वोच्च टेस्ट स्कोर 93 रन बनाया, लेकिन बाद में वेस्टइंडीज के खिलाफ ही उनका करियर 1989 में समाप्त हो गया।
अरुण लाल का आखिरी शानदार प्रदर्शन 1989-90 में रणजी ट्रॉफी में रहा, जहां बंगाल ने 51 साल बाद खिताब जीता। क्वार्टर फाइनल में मुंबई के खिलाफ उनके 189 रन टीम की जीत में अहम साबित हुए।
अरुण लाल ने अपने 16 टेस्ट मैचों के करियर में 26.03 के औसत के साथ 729 रन बनाए। उनकों वनडे मैचों में सफलता नहीं मिली, जहां उन्होंने 13 मैचों में 9.38 के औसत के साथ 122 ही रन बनाए। हालांकि वह घरेलू क्रिकेट में स्टार रहे, जहां उन्होंने 156 फर्स्ट क्लास मैचों में 46.94 की औसत के साथ 30 शतक, 43 अर्धशतक के साथ 10,421 रन बनाए।
अरुण लाल का आखिरी शानदार प्रदर्शन 1989-90 में रणजी ट्रॉफी में रहा, जहां बंगाल ने 51 साल बाद खिताब जीता। क्वार्टर फाइनल में मुंबई के खिलाफ उनके 189 रन टीम की जीत में अहम साबित हुए।
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Article Source: IANS