सही मायनों में क्रिकेट के युवराज बनकर उभरे थे युवराज

Updated: Tue, Nov 30 -0001 00:00 IST

2011 वर्ल्ड कप में जब भारत 28 साल बाद वर्ल्ड चैंपियन बना था तो इसमें हर खिलाड़ी ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। चाहें वो मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर हों,कप्तान धोनी या फिर अन्य खिलाड़ी। लेकिन भारतीय टीम में एक ऐसा खिलाड़ी था जो हर हाल में भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाना चाहता था और वो खिलाड़ी था युवराज सिंह । 

2011 वर्ल्ड कप में एक और बेहतरीन बात युवराज से जुड़ी हुई थी । वर्ल्ड कप 2011 शुरू होने से पहले युवराज सिंह ने कहा था कि वह 2011 वर्ल्ड कप किसी खास व्यक्ति के लिए जीतना चाहते हैं । वर्ल्ड कप जीतने कें बाद युवी ने बताया था कि वह शख्स कोई और नहीं सचिन तेंदुलकर थे। युवराज ने अपने प्रदर्शन को अपने परिवार के साथ – साथ सचिन को समर्पित किया था।

इन सब के साथ – साथ युवराज सिंह के 2011 वर्ल्ड कप में संघर्ष की गाथा में एक और महत्वपूर्ण बात जो इस खिलाड़ी के खेल को सदा के लिए अमर करता है वह है ,जब युवी वर्ल्ड कप मैचों में अपने ऑलराउंड परफॉर्मेंस से टीम भारत को जीत दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे तो युवराज कैंसर से पीड़ित थे। वर्ल्ड कप मैचों के दौरान कई बार युवराज हांफते हुए भी दिखाई पड़ते थे। कप्तान धोनी ने एक बार कहा था कि युवराज को मैचों के अंतराल में कई बार बॉथरूम में उल्टी करते हुए देखा था । युवी इस वर्ल्ड कप में सही मायनों में क्रिकेट के युवराज बनकर उभरे थे ।

 एक नजर 2011 वर्ल्ड कप में युवराज सिंह के ऑलराउंड परफॉर्मेंस पर

2011 वर्ल्ड कप में 19 फरवरी 2011 को भारत ने अपना पहला मैच बांग्लादेश के खिलाफ खेला। वीरेंद्र सहवाग की धमाकेदार 175 रन बनाए और विराट कोहली ने भी शानदार शतक जड़ा। युवराज सिंह को बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला था। भारत ने यह मैच 87 रन से जीत लिया था। 

इंग्लैंड के साथ हुए दूसरे मैच में युवराज ने शानदार बल्लेबाजी की और 50 गेंद पर 58 रन की छोटी मगर असरदार पारी खेली थी। अपनी बल्लेबाजी के दौरान युवराज ने 9 चौके जड़े थे। 

2011 वर्ल्ड कप में आयरलैंड और नीदरलैंड  के खिलाफ भी युवराज सिंह ने शानदार बल्लेबाजी करी। युवराज ने आयरलैंड और नीदरलैंड के खिलाफ शानदार अर्धशतक लगाए। अपनी इन पारियों के दौरान उन्होंने अपना विकेट नहीं गवांया। आयरलैंड के खिलाफ युवराज सिंह ने गेंद से भी कमाल दिखाया और 10 ओवर मे केवल 31 रन देकर पांच खिलाड़ियों को आउट किया। आयरलैंड के खिलाफ युवराज सिंह ने वर्ल्ड कप में एक नया रिकॉर्ड भी बनाया था। वह वर्ल्ड कप मुकाबले में नाबाद अर्धशतक लगाने के 5 विकेट लेने वाले पहले खिलाड़ी बने थे। 

आयरलैंड के बाद भारत की अगली टक्कर नीदरलैंड के खिलाफ थी। युवराज सिंह ने इस मैच में भी नाबाद अर्धशतक लगाया और उसके बाद फिर गेंद से कमाल करते हुए 9 ओवर में 43 रन देकर 2 महत्वपूर्ण विकेट लिए।  

युवराज सिंह ने आगे भी अपना शानदार खेल जारी रखा और 20 मार्च 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ चेन्नई में हुए मैच में शानदार शतक ठोक कर भारतीय टीम को जीत दिलाई । जब भारत के दो विकेट केवल 51 रन के अंदर गिर गए तो युवराज सिंह ने विराट कोहली के साथ मिलकर टीम की नैया पार लगाई। युवराज ने वेस्टइंडीज कें गेंदबाजों की जमकर धुलाई की थी और 123 गेंद पर 113 रन बनाए थे जिसमें 10 ताबड़तोड चौके और 2 छक्के शामिल थे। युवराज ने उस मैच में अपने गेंदबाजी से भी कारनामा करते हुए 4 ओवर में 18 रन देकर दो विकेट भी लिए। 

2011 वर्ल्ड कप में युवराज सिंह मैजिकल युवराज हो गए थे। अपने मैजिकल परफॉर्मेंस से क्वार्टर फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ एक बार फिर से युवराज सिंह ने भारतीय टीम की जीत की नीव रखी थी। ऑस्ट्रेलिया के 260 रन के जबाव में युवराज सिंह ने सुरेश रैना के साथ मिलकर टीम भारत को जीत दिलाई । युवराज सिंह ने क्वार्टर फाइनल मैच में नॉट आउट रहते हुए 57 रन की पारी खेलकर टीम भारत के जीत पर               मोहर लगाई थी। उन्होंने गेंदबाजी में 10 ओवर में 44 रन देकर माइकल क्लार्क और ब्रैड हैडिन का महत्वपूर्ण विकेट लिया था।  युवराज के लगातार अच्छा परफॉर्मेंस देने के कारण ही ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने हार के बाद कहा था कि अब इस टीम भारत को रोक पाना मुश्किल है ।

हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में दूर्भाग्यपूर्ण रहते हुए युवराज सिंह बिना कोई रन बनाए आउट हुए थे पर युवी ने अपनी गेंदबाजी से जो कारनामा किया था वो उनके ऑलराउंड परफॉरमेंस में एक और कड़ी जोड़ता है । उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 10 ओवर में 57 रन देकर दो विकेट लिए थे। लीग मैचों के बाद तो युवराज कप्तान धोनी के पसंदीदा स्पिन गेंदबाज हो गए थे।

नॉक –आउट जैसे महत्वपूर्ण मैचों में युवी ने विकेट लेकर विरोधी बल्लेबाजों के नाक में दम कर दिया था। फाइनल मैच में भी युवी ने अपने गेंदबाजी से श्रीलंकाई बल्लेबाजों को बांधे रखा था। यादगार मैच में युवराज सिंह ने कुमार संगाकारा और महेला जयवर्धने के बीच पनप रहे साझेदारी को तोड़कर टीम भारत को मैच में वापसी कराई थी। युवी ने खतरनाक दिख रहे कप्तान कुमार संगाकारा और फिर समरवीरा को आउट किया था।   

भारत के तरफ से वर्ल्ड कप 2011 में जहीर खान के बाद 15 विकेट लेकर युवराज सिंह दूसरे सबसे सफल गेंदबाज रहे थे । युवराज सिंह ने श्रीलंका के साथ फाइनल मैच में कप्तान धोनी के साथ मिलकर टीम भारत को वर्ल्ड चैंपियन बननें के सपने को पूरा किया था। 

युवराज सिंह ने 2011 वर्ल्ड कप में 1 सेंचुरी और 4 हाफ सेंचूरी सहित कुल 362 रन बनाएं थे तो वहीं गेंदबाजी करते हुए 15 विकेट अपने झोली में डाले थे।  युवराज सिंह ने अपने इस कारनामें से कपिल देव के बाद ऐसे दूसरे इंडियन क्रिकेटर बने जिन्होंने वर्ल्ड कप मैचों में बल्लेबाजी करते हुए 300 से ज्यादा रन और 10 विकेटों से भी ज्यादा का आंकड़ा पार किया है । कपिल देव ने 1983 के वर्ल्ड कप में 303 रन और 12 विकेट लेने का कारनामा किया हुआ था। 

2011 वर्ल्ड कप में युवराज सिंह मैन ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजे गए थे। 2011 वर्ल्ड कप तक युवराज सिंह पहले ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्हें एक ही वर्ल्डकप में चार बार मैन ऑफ द मैच का खिताब मिला है । यही नहीं वर्ल्ड कप के एक मैच में 5 विकेट और हाफ सेंचुरी लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड युवराज सिंह के नाम है ।

 

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