वर्ल्ड कप इतिहास के 5 ऐसे मैच जब भारतीय टीम ने झेली दिल को तोड़ने वाली हार

Updated: Mon, May 27 2019 14:23 IST
वर्ल्ड कप इतिहास के 5 ऐसे मैच जब भारतीय टीम ने झेली दिल को तोड़ने वाली हार Images (Twitter)

वर्ल्ड कप के इतिहास में भारतीय टीम 2 दफा खिताब जीतने में सफल रही है। साल 1983 में महान कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम पहली बार विश्व विजेता बनी थी तो वहीं 28 साल के बाद साल 2011 में धोनी की करिश्माई कप्तानी में भारतीय टीम दूसरी दफा विश्व विजेता बनानें का कमाल कर दिखाया।

वर्ल्ड कप में भारतीय टीम 2 बार वर्ल्ड कप जीतने में सफल रही है तो वहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम 5 बार खिताब जीतने में सफल रही है। वर्ल्ड कप के इतिहास में भारतीय टीम का ओवरऑल परफॉर्मेंस संतोषजनक रहा है। लेकिन साल 2007 और 1999 में भारतीय टीम अच्छा परफॉर्मेंस नहीं कर पाई थी और खिताब जंग के नॉक आउट राउंड से पहले ही बाहर हो गई थी।

ऐसे में आईए जानते हैं वर्ल्ड कप में भारतीय टीम को मिली 5 ऐसी दिल तोड़ने वाली हार जिसे क्रिकेट फैन्स ही नहीं बल्कि भारतीय खिलाड़ी भी नहीं भूले होंगे।

 

1987 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया से 1 रन से हार

वर्ल्ड कप 1987 में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1 रन से हार झेलनी पड़ी। इस मैच में  9 अक्टूबर 1987 को चेन्नई में खेले गए मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की और 6विकेट पर 270 रन बनाए। आपको बता दें यह मैच भारत की हार से ज्यादा कपिल देव की स्पोर्ट्समैन स्पिरिट के लिए याद की जाती है।

हुआ ये था कि डीन जोन्स ने मोनिंदर अमरनाथ की गेंद पर लॉग ऑऩ की तरफ शॉट खेला जहां रवि शास्त्री कैच करने का प्रयास कर रहे थे लेकिन कैच लेने में शास्त्री असफल रहे और गेंद सीमा रेला के पार चली गई। ऐसे में रवि शास्त्री ने अंपायर की तरफ देखकर कहा कि गेंद मेरे हाथ में लगी और एक टप्पा के बाद सीमा रेखा के पार गई। ऐसे में यह चौका है।

अंपायर ने रवि शास्त्री की बात को मानकर चौका दे दिया। जिससे ऑस्ट्रेलिया टीम का स्कोर आखिरी में 268 रन हुआ। ऑस्ट्रेलिया पारी के समाप्त होने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम मैनेजर ने अंपायर से बात की और कहा कि अंपायर ने चौका का जो फैसला किया है वो गलत है क्योंकि गेंद छक्के के लिए गई थी।

बाद में अंपायर ने भारतीय कप्तान कपिल देव से बात की और आखिर में कपिल देव ने स्पोर्ट्स मैन स्पिरिट दिखाई और छक्के के लिए मान गए। जिससे ऑस्ट्रेलियाई टीम का स्कोर 268 से 270 रन हो गया। ऐसे में जब भारतीय टीम बल्लेबाजी करने आई तो पूरी टीम 269 रन पर आउट हो गई जिससे भारतीय टीम को 1 रन से दिल तोड़ने वाली हार मिली। 

 

1992 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया को 1 रन से हराया

1992 वर्ल्ड कप में भी भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 1 रन से हार झेलनी पड़ी थी। 1 मार्च 1992 में गावा में खेले गए इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की और 50 ओवर में 9 विकेट पर 237 रन ब

नाए। ऑस्ट्रेलिया की ओर से डीन जोन्स ने एक बार फिर से कमाल की बल्लेबाजी की और 90 रन बनाए। भारतीय टीम को जीत के लिए 50 ओवर में 238 रन बनानें थे।

ऐसे में भारत की ओर से मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 93 रन बनाए और संजय मांजरेकर ने 47 रन की पारी खेली। यह मैच भारत की गिरफ्त में था लेकिन आखिरी ओवर में जो हुआ उसे क्रिकेट फैन्स आजतक नहीं भूले होंगे। आखिरी ओवर में भारतीय टीम को जीत के लिए 13 रनों की दरकार थी। इस समय तक किरण मोरे अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे और ऐसा लग रहा था कि भारत को मैच जीता देंगे।

ऑस्ट्रेलिया की ओर से आखिरी ओवर टॉम मुडी ने की। 47वें ओवर की पहली गेंद पर किरण मोरे ने शानदार चौका जड़कर लक्ष्य को और भी करीब पहुंचा दिया। वहीं दूसरी गेंद पर भी किरण मोरे ने कमाल किया और चौका जड़कर लगभग भारतीय टीम को मैच जीता दिया। लेकिन कहते हैं क्रिकेट अनिश्चितों का खेले हैं। ऐसे में तीसरी गेंद पर टॉम मुडी ने मोरे को बोल़्ड आउट कर मैच को रोमांच के चरम सीमा पर पहुंचाने का काम किया। अब भारतीय टीम को 3 गेंद पर 5 रनों की दरकार थी। ऐसे में क्रिज पर अब मनोज प्रभाकर और श्रीनाथ मौजूद थे। चौथी गेंद पर  मनोज प्रभाकर ने 1 रन लिया और स्ट्राइक श्रीनाथ को देने में सफल रहे। पांचवीं गेंद पर श्रीनाथ और प्रभाकर के बीच गलतफहली हुई और प्रभाकर आसानी के साथ रन आउट हो गए।

ऐसे में आखिरी गेंद पर भारत को 4 रनों की दरकार थी। ऐसे में आखिरी गेंद पर श्रीनाथ ने हवा में लॉग ऑन की तरफ शॉट खेला और 2 रन लेने में सफल रहे। लेकिन तीसरा रन लेने से पहले ही वेंकटपति राजू क्रिज तक नहीं पहुंच पाए और 1 रन से भारत को हार मिली। कहा जाता है कि वेंकटपति राजू यदि दौड़ने में और भी तेजी दिखाते तो शायद यह मैच टाई हो सकता था।

 

1996 में सेमीफाइनल में भारत को मिली शर्मनाक हार

1996 सेमीफाइनल में भारत को श्रीलंका के हाथों हार झेलनी पड़ी। यह मैच ऐसा मैच था जो भारतीय दर्शकों के उपद्रव के कारण पूरा नहीं हो सका था और श्रीलंका को जीत दे दिया गया था। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी की और श्रीलंका ने 50 ओवर में 251 रन बनाए। ऐसे में भारतीय टीम ने लक्ष्य का पीछा शुरू किया और सचिन तेंदुलकर ने कमाल की बल्लेबाजी की और ऐसा लगने लगा कि टीम इंडिया आसानी के साथ मैच जीत जाएगी।

लेकिन सचिन तेंदुलकर 65 रन बनानें के बाद स्टंप आउट हुए और फिर मैच का पासा पलट गया। जिस वक्त सचिन आउट हुए उस समय भारतीय टीम का स्कोर 98 रन पर दो विकेट था। सचिन के आउट होने के बाद दूसरे भारतीय बल्लेबाज एक के बाद एक आश्चर्यजनक रूप से आउट होकर पवेलियन लौटने लगे। ईडन गॉर्डन पर क्रिकेट फैन्स भारतीय बल्लेबाजी से काफी खफा हो गए और उपद्रव मचाने लगा। बाद में मैच रैफरी ने मैच को रोक दिया और श्रीलंका को जीत दे दी। आज भी भारतीय क्रिकेट के वर्ल्ड  कप के सफल में यह मैच काले अध्याय की तरह है। 

 

1999 वर्ल्ड में जिम्बाब्वे के खिलाफ मिली हार

1999 वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे जैसी टीम के खिलाफ भारत को एक ऐसी हार मिली जो क्रिकेट फैन्स के लिए दिल तोड़ने वाला था। इस मैच में जिम्बाब्वे ने पहली बल्लेबाजी की और 50 ओवर में 9 विकेट पर 252 रन बनाए। जिसके बाद भारतीय टीम जब बल्लेबाजी करने आई तो सदगोपन रमेश, अजय जडेजा और नयन मोगिंया ने उपयोगी पारी खेल भारत को लक्ष्य के निकट पहुंचाने का काम किया लेकिन मैच का पासा उस समय पलचा जब रोबिन सिंह 35 रन बनाकर  हेनरी ओलंगा की गेंद पर 45वें ओवर में आउट हुए।

जिस समय रोबिन सिंह आउट हुए उस समय भारतीय टीम का स्कोर 8 विकेट पर 246 रन था। रोबिन सिंह के आउट होने के बाद  हेनरी ओलंगा ने कमाल किया और भारत को 2 विकेट केवल 3 रन के अंदर गिराकर जिम्बाब्वे को भारत के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दिला दी। भारत की यह हार आज भी क्रिकेट फैन्स के दिलों को दर्द देता है।

 

2003 फाइनल में उम्मीदें टूटी भारतीय टीम की

साल 2003 के वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ने कमाल का परफॉर्मेंस किया था और फाइनल तक का सफर तय किया। फाइनल में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 125 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। इस मैच में भारतीय गेंदबाज पूरी तरह से दबाव में दिखे यही कारण था कि ऑस्ट्रेलियाई टीम 50 ओवर में 2 विकेट पर 359 रन का स्कोर खड़ा कर दिया था जिसके कारण भारतीय बल्लेबाजी पूरी तरह से दबाव में आ गई और पूरी टीम 234 रनों पर ऑलआउट हो गई। फाइनल मैच में भारत की हार भारतीय क्रिकेट फैन्स के लिए उम्मीदों पर पानी फिरने जैसा था।

 

2007 में बांग्लादेश के खिलाफ मिली हार

साल 2007 के वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई था। राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारतीय टीम का परफॉर्मेंस बेहद ही खराब रहा था। आपको बता दें कि साल 2007 के वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के खिलाफ मिली हार से भारतीय क्रिकेट टीम का पूरा समीकरण ही बिगाड़ दिया था।

17 मार्च 2007 को खेले गए इस मैच में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी की और 191 रन ही बना पाए। भारत के लिए एक मात्र सफल बल्लेबाज सौरव गांगुली रहे जिन्होंने 66 रन की पारी खेली। गांगुली के अलावा युवराज ने 47 रन बनाए लेकिन बांग्लादेश को बड़ा लक्ष्य नहीं दे पाए। इसके बाद बांग्लादेश की टीम ने बड़े ही आसानी के साथ भारत को 8 विकेट से हरा दिया। इस हार से वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का समीकरण बिगड़ गया और आखिर में ग्रुप स्टेज खत्म हुआ और भारतीय टीम भी स्वेदश रवाना हो गई। साल 2007 में भारतीय टीम का खराब परफॉर्मेंस भारतीय क्रिकेट फैन्स बर्दाश्त नहीं कर पाए जिसके कारण हर एक भारतीय खिलाड़ियों की काफी आलोचना हुई।

विशाल भगत 

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