IPL में दो कोहली एक साथ- विराट तो स्टार बन गए और लेकिन दूसरा फुस्स, कौन था वो?
इस सीजन में जो नए खिलाड़ी सनसनी के साथ चमके उनमें से एक नाम सुयश शर्मा (Suyash Sharma) का है। उनके जिस रिकॉर्ड की सबसे ज्यादा चर्चा हुई वह ये कि किसी भी तरह का सीनियर क्रिकेट का कोई भी मैच खेले बिना सीधे आईपीएल खेले। सच ये है कि ऐसा रिकॉर्ड बनाने वाले 19 साल के लेग स्पिनर सुयश शर्मा (नाइट राइडर्स) पहले क्रिकेटर नहीं- कई और भी हैं जो आईपीएल डेब्यू से पहले कोई फर्स्ट क्लास, लिस्ट ए या अन्य टी 20 मैच नहीं खेले थे। आईपीएल का डेब्यू सीजन 2008 और उसी सीजन में तरुवर कोहली (Taruwar Kohli), दिनेश सालुंके और सिद्धार्थ चिटनिस ने ये रिकॉर्ड बनाया था। विराट कोहली (Virat Kohli) भी खेले थे पर वे सीनियर क्रिकेट में डेब्यू कर चुके थे। तो 2008 सीजन में, एक नहीं, दो कोहली की चर्चा थी- एक विराट और दूसरे तरुवर।
आज सरनेम कोहली इंटरनेशनल क्रिकेट में ख़ास है पर सिर्फ विराट की बदौलत- तरुवर कहां गए? ये दोनों असल में एक साथ 2008 अंडर-19 विश्व कप में चमके- विराट 235 रन और तरुवर 218 रन जिसमें लगातार तीन 50 थे। जिन प्रदर्शन की बदौलत भारत ने टाइटल जीता उनमें से एक तरुवर की बैटिंग भी थी।
तरुवर को राजस्थान रॉयल्स ने न सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट दिया- प्लेइंग इलेवन में भी शामिल किया। रिकॉर्ड रहा- 2 पारी में 10 रन। उसके बाद पता नहीं क्या हुआ कि उनका करियर ग्राफ नीचे ही गिरता चला गया। नतीजा- सब धीरे-धीरे तरुवर को भूल गए। अंडर 19 टीम में इन्हें टीके और वीके कहते थे पर आईपीएल सिर्फ विराट कोहली की रह गई और तरुवर नाम की याद भी ख़त्म हो गई। राजस्थान रॉयल्स ने एक सीजन बाद ही रिलीज कर दिया। किस्मत अच्छी थी कि तब भी किंग्स इलेवन पंजाब ने ले लिया और खिलाया भी। नतीजा- 2 मैच में 1 रन। बस यही है तरुवर कोहली का आईपीएल करियर- 4 मैच में 11 रन। जो एक बल्लेबाज की प्रतिष्ठा के साथ आईपीएल खेले ये उनमें से, पहली 4 पारी में दूसरा सबसे खराब रिकॉर्ड है।
तरुवर सिर्फ आईपीएल से नहीं गायब हुए- कुछ साल बाद पंजाब रणजी टीम में भी उनके लिए जगह नहीं बची। खिलाड़ी में दम था तभी तो पंजाब के लिए तिहरा शतक बनाया और टीम की कप्तानी भी की। बीसीसीआई का एक साथ, पूर्व भारत की कई टीम को रणजी खेलने का दर्जा देना तरुवर जैसे खिलाड़ियों के लिए वरदान बन कर आया। वे पंजाब से ट्रांसफर ले कर मिजोरम चले गए। वहां पहले ही सीजन में चमके और विजय हजारे ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी दोनों में शतक भी बनाए। ये एक सीजन का कमाल किसे याद है? जो मुकाम आईपीएल की बदौलत वे हासिल करते- वह तो कभी नहीं मिला। 2009 के बाद किसी टीम ने तरुवर को आईपीएल खेलने का कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिया। विराट ने कभी 300 का स्कोर नहीं बनाया- तरुवर ने ऐसे दो स्कोर बनाए : 300* पंजाब-झारखंड, 2012-13 और 307* मिजोरम-अरुणाचल, 2019-20 में।
गलती कहां हुई? खुद तरुवर को मालूम है कि क्या गलती की? वे उनमें से नहीं जो आईपीएल की चर्चा या पैसे से बिगड़ गए। असल में वे बेहतरी की नई ऊंचाई पर पहुंचने की चाह में अपनी क्रिकेट को तकनीक में इतना बेहतर बनाने में जुट गए कि उसे झेल नहीं पाए- हर स्ट्रोक बेहतर करने के चक्कर में रोज की नेट प्रैक्टिस पीछे रह गई और इसका उन्हें आज तक पछतावा है।
हालांकि विराट और वे साथ-साथ खेले और लगभग बराबर प्रतिष्ठा के साथ आईपीएल खेलना शुरू किया- तब भी तरुवर के लिए विराट आयडल हैं। हर पारी में रन के लिए उनकी भूख तरुवर के लिए प्रेरणा है। 2012-13 में, झारखंड के विरुद्ध, दिन का खेल खत्म होने पर वे 130* पर थे तो विराट ने उन्हें मैसेज किया था- 'छोड़ना नहीं है, शेरा!' और इस मैसेज की प्रेरणा से तरुवर ने 300* बना दिए अगले दिन।
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जब मिजोरम के लिए चमके तब भी तरुवर ने आईपीएल ऑक्शन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया पर तब तक टीमों की पसंद का तरीका बदल चुका था। खेल खून में थे- पिता, सुशील कोहली एक पेशेवर तैराक और वाटर पोलो खिलाड़ी थे। तरुवर अपनी शादी के कार्ड के लिए भी खूब चर्चा में रहे थे- ये बैट के के डिजाइन वाला कार्ड था। सुशील कोहली 'बीटऑल' नाम से स्पोर्ट्स गुड्स बनाने वाली कंपनी चलाते थे। इसलिए बचपन से क्रिकेट बैट मिलने में तो तरुवर को कोई दिक्कत नहीं हुई और 3-4 साल की उम्र में अपना पहला बैट मिल गया था पर कंपनी का 'बीट ऑल' नाम वे झेल नहीं पाए। आईपीएल एक ही 'कोहली' की है।